विभाग ने माना मच्छरों की रजिस्टिविटी पॉवर बढ़ी, दवा रही बेअसर

शहर में एंटी लार्वा छिड़काव शुरू, मई में दोबारा फॉगिंग की तैयारी

BAREILLY: शहर के मच्छर बेहद पॉवरफुल होते जा रहे हैं। उनको मारने के लिए निगम जिस केमिकल का इस्तेमाल करता है वह बेअसर सा हो गया है। अब मच्छरों से निपटने के लिए निगम परंपरागत तरीकों को छोड़कर नए तरीके अपनाने की तैयारी कर रहा है, ताकि शहरियों का खून चूस रहे मच्छरों को सबक सिखाया जा सके। अब देखना यह है कि निगम के नए तरीके मच्छरों को काबू कर पाएगा या नहीं।

नहीं हो रहा मैलाथियान का असर

निगम की ओर से मच्छरों को मारने के लिए 9भ् फीसद डीजल में भ् फीसद मैलाथियान टेक्निकल मिलाकर फॉगिंग की जाती है। अर्से से इसी दवा का छिड़काव होने से मच्छरों पर अब यह दवा बेअसर साबित हो रही है। क्म् मार्च से भ् मई तक शहर में फॉगिंग अभियान चला था। बावजूद उसके मच्छरों की तादाद व प्रकोप में कमी न आने से निगम अफसरों की चिंता बढ़ गई है।

मच्छरों का बढ़ा डिफेंस मैकेनिज्म

मच्छरों के आगे निगम की फॉगिंग फेल होने के पीछे मच्छरों का डिफेंस मैकेनिज्म मजबूत करना है। डिस्ट्रिक्ट मलेरिया ऑफिसर डॉ। आरपी सिंह के मुताबिक मच्छरों में लगातार एक ही तरह की दवा के खिलाफ रजिस्टेंस बढ़ाने का गुण होता है। मच्छरों के हॉर्मोन में दवा या पेस्टीसाइड के खिलाफ रजिस्टेंस बढ़ाने की उनकी यह खूबी ही उन्हें तमाम कवायदों के बाद भी जिंदा रखे हुए हैं। निगम की ओर से भी लगातार मैलाथियान टेक्निकल के इस्तेमाल से शहर के मच्छरों में यह दवा भी बेअसर होने लगी है।

रात में फॉगिंग होगी असरदार

मच्छरों के खिलाफ फॉगिंग को कामयाब बनाने के लिए इसे दिन या शाम के बजाए रात में कराना ज्यादा कारगर रहेगा। डीएमओ के मुताबिक रात 8 बजे के बाद फॉगिंग कराने से इसका असर ज्यादा देर तक रहेगा। अगस्त-सितंबर का महीना इसके लिए सबसे ज्यादा बेहतर है, जब माहौल में नमी बढ़ जाती है। ऐसे में रात में की जाने वाली फॉगिंग से दवा हवा में उड़ती नहीं। आसमान से गिरने वाली ओस माहौल में एक चादर बनाने का काम करती है, जिससे फॉगिंग की दवा जमीन पर रहती है। इससे मच्छरों की रजिस्टेंस बढ़ने के बाद भी उनकी रोकथाम पर नकेल कसी जा सकेगी।

एंटी लार्वा अिभयान शुरू

फॉगिंग अभियान में नाकामी झेलने के बाद निगम के स्वास्थ्य विभाग ने मच्छरों से निपटने को शहर में एंटी लार्वा का छिड़काव कराना शुरू कर दिया है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से दो एंटी लार्वा मशीनों से शहर के मलिन बस्तियों व पुराने इलाकों में दवा का छिड़काव किया जा रहा है। मच्छरों पर काबू न पा सकने पर निगम रूके हुए पानी, नाले-नालियों में एंटी लार्वा का छिड़काव कर मच्छरों के लार्वा व अंडों को खत्म कर उनकी तादाद को कम करने की कवायद में जुट गया है।

फरवरी-मार्च में बढ़े मरीज

फरवरी से ही शुरू बारिश के चलते बदले मौसम ने मच्छरों को पनपने का बेहतर माहौल दिया। इन तीन महीनों में ही बरेली जिले से ख्0 मलेरिया के मरीज मिले है। यह मरीज भी डिस्ट्रिक्ट मलेरिया ऑफिस के रिकॉर्ड में दर्ज है। वहीं मलेरिया के इससे ज्यादा मरीज होने की संभावना है, जिनका इलाज निजी हॉस्पिटल में चला हो। ख्0क्भ् में जनवरी में बरेली नगर निगम सहित क्भ् अन्य सीएचसी-पीएचसी से कुल ब्म्भ् स्लाइड की जांच की गई। जिसमें महज क् कंफर्म मरीज मिला। वहीं फरवरी में क्0,म्फ्ख् स्लाइड की जांच में 9 मरीज और मार्च में सिर्फ म्,म्फ्ब् स्लाइड की जांच में क्0 मलेरिया के कंफर्म मरीज ि1मले हैं।

नई दवा खरीदने की तैयारी

मच्छरों के खिलाफ फॉगिंग व एंटी लार्वा अभियान में नगर निगम हर साल लाखों रुपए खर्च करता है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से फॉगिंग व एंटी लार्वा के लिए अलग से बजट की व्यवस्था नहीं होती। लेकिन विभाग की ओर से हर साल ब्-म् लाख मैलाथियान टेक्निकल दवा, एंटी लार्वा व डीजल की खरीद पर खर्च किए जाते है। वहीं पिछले साल करीब क्0 लाख की लागत से दो छोटी फॉगिंग मशीन भी खरीदी गई है। मैलाथियान टेक्निकल दवा के बेअसर होने पर विभाग फॉगिंग में यूज की जाने वाली एक अन्य दवा किंग्सफॉग खरीदने की तैयारी में है। किंग्सफॉग दवा की खूबी यह भी है कि इसमें मैलाथियन टेक्निकल की तरह तीखी बदबू नहीं होती।

फॉगिंग के बावजूद मच्छरों की समस्या बनी रही। कई वार्ड से मच्छरों की दिक्कत से कंप्लेन मिली हैं। मच्छरों की रजिस्टेंस पॉवर बढ़ने से फॉगिंग दवा ज्यादा असर नहीं कर रही। वार्डो में एंटी लार्वा का छिड़काव शुरू करा दिया गया है। स्थिति कंट्रोल में न आई तो मई में एक बार फिर फॉगिंग कराएंगे। - डॉ। एसपीएस सिंधु, नगर स्वास्थ्य अधिकारी

Posted By: Inextlive