मॉस्किटो क्वॉयल के अलावा लिक्विड रेपलेंट भी बना बीमारियों की जड़

रेपलेंट के वेपर्स से अस्थमा, फिट्ज और एलर्जी के बढ़ रहे केसेज

वेंटिलेशन के बिना बंद कमरे में खतरनाक, अवेयर नहीं ज्यादातर लोग

BAREILY: मच्छरों के आतंक से बचने को कभी बेहतर हथियार समझे जाने वाली मॉस्किटो क्वॉयल अब उतनी पॉपुलर नहीं। वजह बाजार में आई लिक्विड मॉस्किटो रेपलेंट ने तेजी से घरों में अपनी पहुंच बना ली। सेफ्टी के दावों और पॉवर बूस्टर जैसी टेक्निक से लबरेज यह रेपलेंट बच्चों तक की पसंद बन गए, लेकिन एडफिल्मों में मां के नजरिए से बेहद सुरक्षित और मच्छरों से बचाव के लिए बेहतर मानी जाने वाली यह लिक्विड रेपलेंट असल में डॉक्टर्स की नजर में काफी खतरनाक है। इसे यूज करने के दौरान की जाने वाली असावधानियां लोगों को न सिर्फ बीमार बना रही हैं, बल्कि लंबे समय तक बरकरार रहने पर उनकी जान के लिए खतरा भी बन रही है।

क्वॉयल जितनी खतरनाक

धुआं छोड़ने वाली मॉस्किटो क्वॉयल से बेहतर ऑप्शन माने जानी वाली लिक्विड रेंपलेंट भी बेहद खतरनाक है। मॉस्किटो क्वॉयल का धुआं जहां आंख, कान और सांस की एलर्जी की वजह बनती है, वहीं इसे गलती से खा लेने पर एसिडिटी, उल्टी, पेटदर्द, लूज मोशन और ब्लीडिंग की प्रॉब्लम्स होती है। जबकि लिक्विड रेपलेंट से निकलने वाले वेपर्स फेफड़ों के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक है। इससे सिटी में कमजोरी, मिर्गी के दौरे और अस्थमेटिक अटैक की प्रॉबलम्स वाले पेशेंट्स की तादाद बढ़ रही है।

वेपर्स बन रहा साइलेंट किलर

लिक्विड रेपलेंट में मौजूद वेपर्स ही मच्छरों से बचाव के इस जरिए को लोगों के लिए नुकसानदेह बना रहे हैं। दरअसल इंसान के फेफड़े एक निश्चित साइज वाले वेपर्स को ही सोखने की क्षमता रखता है। जबकि लिक्विड रेपलेंट से निकलने वाले वेपर्स का साइज बड़ा होता है। जो फेफड़े में पहुंचकर वहां जम जाते हैं। यह वेपर्स जब खून तक पहुंच जाते हैं तो कार्डियक टॉक्सिक बनकर खून में अब्जॉर्ब हो जाते हैं। एक्सप‌र्ट्स का कहना है कि बिना सावधानी लंबे समय तक इसे यूज करने पर वेपर्स साइलेंट किलर की तरह जान के लिए खतरा हैं।

कंस्ट्रेटेड लेवल में खेल

मॉस्किटो लिक्विड रेपलेंट में यूज होने वाले केमिकल्स मचछरों के साथ ही इंसान के लिए भी काफी खतरनाक होते हैं। मच्छरों को दूर रखने के लिए रेपलेंट के तौर पर इनमें ट्रांसफ्लुथ्रिन, ब्यूटीलेटेड हाइड्रॉक्सी टालुइन और डिऑड्राइज्ड केरोसिन का यूज होता है। एक्सप‌र्ट्स बताते हैं कि रेंपलेंट को एक निश्चित कंस्ट्रेटेड लेवल तक ही बनाया जा सकता है, जो इंसानों की सेहत के लिए खतरनाक ना हो। लेकिन ज्यादा असरदार रिजल्ट दिखाने के लिए कई बार कंपनीज ज्यादा कंस्ट्रेटेड लेवल का रेपलेंट बनाती है, जबकि केमिकल कंपोजीशन में इसकी क्षमता कम दिखा दी जाती है।

अवेयरनेस से ही बचाव

लिक्विड रेपलेंट का सावधानी से यूज करना ही इससे होने वाली बीमारियों से बचाव का कारगर तरीका है। एक्सप‌र्ट्स कहते हैं कि लोग मॉस्किटो क्वॉयल के यूज के लिए तो बेहद अवेयर रहते हैं। लेकिन लिक्विड रेपलेंट के मामले में काफी लापरवाही बरतते हैं। लिक्विड रेपलेंट के यूज के लिए सबसे पहले कमरे में प्रॉपर वेंटिलेशन होना बेहद जरूरी है। वहीं बेहद बुजुर्ग और छोटे बच्चों के कमरों में यूज करते समय भी काफी सावधानी बरतें। वेंटिलेशन ना होने की सिचुएशन में इससे निकलने वाले वेपर्स दम घुटने की भी वजह बनते हैं। वहीं ऐसे पेशेंट्स जिनका इलाज चल रहा हो और दवा खाने के बाद उन्हें गहरी नींद आती हो साथ ही एल्कोहल लेने वाले लोग भी इसके यूज में सावधानी बरते।

मॉस्किटो क्वॉयल की तरह ही लिक्विड रेपलेंट भी लापरवाही से यूज करने पर बेहद खतरनाक है। इससे दमा का अटैक, मिर्गी के दौरे, कमजोरी और फेफड़ों को नुकसान होने की आशंका बढ़ जाती है। इससे एलर्जी और सांस की बीमारी वाले पेशेंट्स की तादाद बढ़ गई है। कमरे में वेंटिलेशन होने पर ही इसे यूज करें।

- डॉ। जेके भाटिया, फिजिशियन

Posted By: Inextlive