कानून का उठाया जा रहा 'फायदा'
- आईजी के आदेश पर रेप केस के मामलों की गई गहनता से जांच
- जोन भर के थानों में दर्ज 24 मामले फर्जी निकले, इसमें 13 हैं बरेली के मामलेBAREILLY: शहर में महिलाओं के साथ बढ़ रही रेप और छेड़छाड़ की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए पुलिस मुस्तैद तो हो गई है, लेकिन इसके कुछ साइडइफेक्ट्स भी निकलकर सामने आए हैं। क्राइम अगेंस्ट वीमेन के कई केसेस फेक निकल रहे हैं। ऐसे केसेज में किसी निर्दोष को सजा ना हो, इसके लिए आईजी जकी अहमद ने खुद कमान संभाली। उन्होंने रेप केस के सभी मामलों को गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे। जांच में दर्ज कई मामलों में से 24 मामले पूरी तरह से फेक पाए गए। बावजूद इसके आईजी ने सभी जोन के अधिकारियों और थाना प्रभारियों को सख्त निर्देश दिए हैं कि किसी भी महिला की शिकायत को तत्काल प्रभाव से दर्ज किया जाए। लेकिन मामले की बारीकी से जांच की जाए, ताकि निर्दोष को सजा ना हो और ना ही दोषी बचकर निकल पाए।
बरेली के 13 रेप केस फर्जीआईजी जकी अहमद ने जोन के अधिकारियों और थाना प्रभारियों को डेढ़ माह के अंदर सभी थानों में दर्ज रेप केसेज की सघन जांच कर रिपोर्ट सब्मिट करने का निर्देश दिया था। जांच के बाद सभी जोन के थानों में दर्ज कई रेप केसेस में से 24 मामले फर्जी पाए गए। वहीं सिर्फ बरेली के थानों की बात करें तो यहां दर्ज मामलों में 13 केसेज फर्जी पाए गए। अधिकारियों के अनुसार रेप केस की एफआईआर, किसी पर भी दबाव बनाने का मजबूत आधार बनता जा रहा है।
रंजिश में भी रेप की FIR महिलाओं के साथ हुई कई दिल दहलाने वाली घटनाओं के बाद से शासन की ओर से रेप की त्वरित एफआईआर दर्ज करना कंपलसरी कर दिया गया। अधिकारियों का मानना है कि इस अनिवार्यता का गलत इस्तेमाल भी किया जा रहा है। अधिकारियों ने जांच में पाया कि रेप केस दर्ज कराकर वादी अपने कई फंसे काम करवाने का दवाब डालते हैं। इसमें आपसी रंजिश, जमीनी विवाद, लेनदेन या अन्य फायदे के लिए संबंधित व्यक्ति पर रेप केस दर्ज कराने की धमकी देते हैं। धमकी से काम नहीं बनने पर रेप केस की एफआईआर कर बदनामी और बाद में समझौते के जरिए केस वापसी के लिए मनमुताबिक काम कराने के पैंतरे अपनाते हैं। निर्दोष को सजा ना होअधिकारी मानते हैं कि केस दर्ज करना जरूरी है। लेकिन किसी निर्दोष को सजा ना हो, इसके लिए साक्ष्य सही साबित होने पर ही आवश्यक कार्रवाई करनी चाहिए। एक बार मुकदमा दायर होने के बाद बेकसूर होने पर भी समाज, आरोपी को स्वीकार नहीं करता। नौकरी करना या रिश्तेदारों का भी विश्वास हासिल करना मुश्किल हो जाता है। लोगों के ताने और दूरी उसे डिप्रेशन में डाल देती है। ऐसी स्थिति किसी के साथ ना हो, इसलिए रेप केसेज की जांच गहन रूप से जांच बेहद जरूरी है।
हमने क् मई से क्ख् जून तक के सभी जोन में दर्ज रेप केसेज की जांच की। इसमें रेप के ख्ब् मामले फर्जी पाए गए। इन सभी फर्जी केसेज का इस्तेमाल अपने पर्सनल फायदों के लिए किया गया था। -जकी अहमद, आईजी