संक्रमित होने पर ज्यादा खिलखिलाना हो सकता है जानलेवा
आई अलर्ट
- डबल म्यूटेंट वायरस से संक्रमित व्यक्ति का ऑक्सीजन लेवल पर पड़ता है प्रभाव - बोले एक्सपर्ट- हैप्पी हाइपोक्सिया का हो सकते हैं शिकार, जा सकती जानअंकित चौहान, बरेली : पिछले वर्ष मार्च में कोरोना वायरस का पहला केस मिला तो शासन के आदेश पर शहर ठहर गया। इस दौरान आईसीएमआर यानि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने फीवर, जुकाम, खांसी और गले में दर्द की शिकायत होने पर फौरन कोविड जांच कराने की गाइड लाइन जारी की। ऐसा हुआ भी इन लक्षणों के लोगों में कोरोना की पुष्टि भी हुई। लेकिन वर्ष 2021 के अप्रैल माह में दोबारा कोरोना ने तेजी से पांव पसारना शुरू कर दिया, पिछले एक सप्ताह से संक्रमितों का आंकड़ा 400 से पार पहुंच गया है। इन संक्रमितों में जिनकी बॉडी में ऑक्सीजन लेवल सामान्य से कम है उनके लिए यह खबर काम की है। ऐसे पेंशेंट्स बेड रेस्ट की बजाए बॉडी को अधिक मूव करते हैं या फिर बार-बार जोरों से हंसते हैं तो वह हैप्पी हाइपोक्सिया का शिकार हो सकते हैं।
क्या होता है हैप्पी हाइपोक्सियाएक्सपर्ट के अनुसार कोरोना के मरीजों में ऑक्सीजन का स्तर गिरने के बाद भी पता नहीं चलता और वे सामान्य रूप में होते हुए अचानक से मौत के मुंह में चले जाते हैं, इस समस्या को हैप्पी हाइपोक्सिया या साइलेंट हाइपोक्सेमिया कहा जा रहा है।
कोरोना के बदले स्ट्रेन में सामने आए केस पिछले वर्ष मार्च में कोरोना ने कहर बरपाना शुरू किया तो आम लक्षण जैसे खांसी, जुकाम और लगातार फीवर होने पर कोविड जांच कराने पर व्यक्ति में कोरोना की पुष्टि हो रही थी लेकिन इस वर्ष जब कोरोना के सेकेंड स्ट्रेन की आमद हुई थी कोविड के लक्षण होने पर थर्मल स्क्रीनिंग के दौरान अधिकांश संक्रमित की बॉडी में ऑक्सीजन लेवल सामान्य से कम ही आ रहा है। डीएसओ भी हुए हाइपोक्सिया का शिकार पिछले वर्ष जुलाई माह में डीएसओ में कोरोना संक्रमण की चपेट में आ गए थे, उनका दिल्ली स्थित एक निजी हॉस्पिटल से इलाज चल रहा था, इलाज के दौरान जब उनकी हालत कुछ ठीक हुई तो वह वार्ड में ही चहल कदमी करने लगे, लगातार ऐसा करने पर उन्हे सांस लेने मे अचानक तकलीफ होने लगी, फौरन डॉक्टर से संपर्क किया तो डॉक्टर ने उन्हें फौरन बेड रेस्ट को कहा और हिलने के लिए भी मना कर दिया। वहीं जांच में उनकी बॉडी में ऑक्सीजन लेवल भी सामान्य से कम निकला था। इन बातों का रखें ध्यान- संक्रमित होने पर चहलकदमी न करें
- वहीं दिन में चार ऑक्सीजन लेवल की जांच करें - सांस लेने में तकलीफ होने पर फौरन डॉक्टर से संपर्क करें - टीवी या मोबाइल पर लगातार जोक्स और कॉमेडी प्रोग्राम न देखें वर्जन संक्रमित मिलने वाले अधिकांश मरीजों की जांच में ऑक्सीजन लेवल सामान्य से कम आ रहा है। ऐसे में मरीज अक्सर आइसोलेशन के दौरान खुद को व्यस्त रखने के लिए कॉमेडी प्रोग्राम देखते हैं लेकिन लगातार ऐसा करने से वह हैप्पी हाइपोक्सिया का शिकार हो सकते हैं। बॉडी के अधिक मूवमेंट से बॉडी का ऑक्सीजन लेवल डाउन होता है। डॉ। रंजन गौतम, जिला सर्विलांस अधिकारी।