स्पोट्र्स स्टेडियम में प्रदेश स्तरीय महिला हैंडबॉल और बास्केटबॉल की तीन दिवसीय प्रतियोगिता फ्राइडे से शुरू हो गई. इसमें प्रदेश की कई नेशनल और इंटरनेशनल खिलाडिय़ों ने भाग लिया. गोरखपुर मंडल की टीम में शामिल मोनी चौधरी देश की नेशनल टीम का हिस्सा रह चुकी हैं. इसके अलावा उनकी टीम ने इंटरनेशनल गोल्ड भी कब्जा किया था.

मोनी ने अपने बल पर पाया मुकाम, बनीं इंटरनेशनल प्लेयर

बरेली (ब्यूरो)। स्पोट्र्स स्टेडियम में प्रदेश स्तरीय महिला हैंडबॉल और बास्केटबॉल की तीन दिवसीय प्रतियोगिता फ्राइडे से शुरू हो गई। इसमें प्रदेश की कई नेशनल और इंटरनेशनल खिलाडिय़ों ने भाग लिया। गोरखपुर मंडल की टीम में शामिल मोनी चौधरी देश की नेशनल टीम का हिस्सा रह चुकी हैं। इसके अलावा उनकी टीम ने इंटरनेशनल गोल्ड भी कब्जा किया था।

बचपन में उठ गया पिता का साया
मोनी बताती हैं कि वह गांव की निवासी है। उनका गांव जखैता जो बुलंदशहर डिस्ट्रिक्ट के शिकारपुर तैहसील में हैं। जब वह आठ साल की थी तब पिता का देहांत हो गया था। इससे उनके परिवार को काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ा। पिता के न होने से परिवार की आर्थिक स्थिति और ज्यादा खराब हो गई। उनकी मां मुकेश देवी ने ही परिवार को संभाला और पूरी जिम्मेदारी दोनों बड़े भाईयों पर आ गई।

उल्टा-सीधा बोलते थे लोग

मोनी बताती हैं कि बड़े भाई विराट ने ट्रांसर्पोटिंग का काम किया था। गांव के लोग उल्टी-सीधी बातें करते थे। वो भाई को बोलते अकेली लडक़ी है पापा सिर पे नहीं हैं कहां भेज रहे हो। इस कारण शुरुआत में बड़े भाई ने भी सपोर्ट नहीं किया। बाद में जब वह अच्छा खेलने लगी तो वह भी सपोर्ट करने लगे। इसके उनकी उम्मीद और भी बढ़ गई।

रेलवे में मिली नौकरी
मोनी को स्पोट्र्स कोटा से रेलवे में नौकरी मिली है। रेलवे में उनका सिलेक्शन 2023 में हुआ और अभी गोरखपुर में तैनात हैं। वह गोरखपुर के रेलवे टीम से खेलती हैं इसके अलावा गोरखपुर और यूपी की मेन टीम का भी हिस्सा हैं। रेलवे में नौकरी मिलने के बाद से वह अपने परिवार को आर्थिक रूप से सपोर्ट कर पा रही हैं।

कुश्ती से की थी शुुरुआत
मोनी ने बताया कि उन्होंने खेलने की शुरुआत कुश्ती से की थी। बाद में उनके कोच इरफान ने उन्हें हैंडबॉल खेलने को कहा। इसके बाद वह हैंडबॉल में अच्छा खेलने लगी। इसके बाद वह अयोध्या हॉस्टल चली गईं जहां 2016 से उनके हैंडबाल करियर की शुरुआत हुई। इसके बाद 2017 में सब जूनियर नेश्नल खेला। इसके बाद उनका सलेक्शन जूनियर नेश्नल हुआ। जहां से वह आगे बढ़ती गई और इसके बाद जयपुर में पहला इंटरनेश्नल खेला जिसमें कोई मेडल नहीं मिला। इसके बाद उन्हें सीनियर टीम में जगह मिली। इसके वह 2022-2023 में देश की जूनियर ऐशियन चेम्पियनशिप टीम की ओर से खेलने कजाकिस्तान गई जहां उनकी टीम को गोल्ड मेडल भी मिला। वह बताती है कि वह जब तक हमारी टीम ओलंपिक गोल्ड मेडल नहीं जीतेगी वह देश के लिए खेलती रहेगी।

Posted By: Inextlive