लगातार मौतों पर मेंटल हॉस्पिटल की दलील
-पिछले एक हफ्ते में चार मरीजों की मौतों को हॉस्पिटल ने बताया संयोग
-हॉस्पिटल में एक साल में कम हो गए मरीज, 408 बेड पर 195 मरीज -मरीजों की देखरेख के लिए एक भी नर्स नहीं, ओपीडी में भी इंतजाम अधूरेBAREILLY: पिछले एक हफ्ते में ब् मरीजों की मौत पर सवालों में घिरे मेंटल हॉस्पिटल ने अपनी बदइंतजामी पर लीपा-पोती का काम शुरू कर दिया है। हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन ने एक हफ्ते में ही लगातार हुई ब् मौतों को महज संयोग करार दिया है। हॉस्पिटल प्रशासन ने मरीजों की हो रही मौतों पर अव्यवस्था या इलाज में बदइंतजामी के आरोपों को नकारते हुए नियमानुसार काम करने की बात कही है। बरेली मंडल का इकलौता मेंटल हॉस्पिटल मरीजों की मौत से एकाएक फिर से सुर्खियों में आ गया है। पिछले एक साल में मरीजों को हॉस्पिटल में एडमिट किए बिना लौटाने से लेकर हॉस्पिटल की अंदरूनी अव्यवस्था और डाइरेक्टर पर स्टाफ के आरोपों के चलते मेंटल हॉस्पिटल विवादों में छाया रहा।
क्0 महीने में घट गए मरीजअगस्त ख्0क्ब् में मेंटल हॉस्पिटल के नए डाइरेक्टर के तौर पर डॉ। सुनील कुमार श्रीवास्तव की तैनाती हुई। इसके बाद से ही हॉस्पिटल में एडमिट मरीजों की तादाद में जबरदस्त कमी आने लगी। हॉस्पिटल में कुल ब्08 बेड पर जहां ढाई सौ से ज्यादा मरीज एडमिट थे, कुछ ही महीनों में इनकी तादाद घटकर क्9भ् पर पहुंच गई। शासनदेश का हवाला देते हुए डाइरेक्टर ने उत्तराखंड के मरीजों को एडमिट करने से इंकार कर दिया। वहीं स्टाफ ने आरोप लगाए कि ऐसे किसी शासनादेश की उन्हें जानकारी नहीं दी गई। इस मामले में एक शिकायतकर्ता की मानवाधिकार यूपी में कंप्लेन के बाद डाइरेक्टर से जवाब तलब तक कर लिया गया।
बिना स्टाफ नर्स मरीजों की देखरेख मेंटल हॉस्पिटल में मरीजों की देखरेख व इलाज में जबरदस्त अनदेखी की शिकायतें निकलकर सामने आ रही हैं। हॉस्पिटल में एडमिट मरीजों की देखभाल व इलाज के लिए एक भी स्टाफ नर्स की नियुक्ति नहीं है। नियमानुसार ब्08 बेड के मुताबिक कम से कम ब्0 स्टाफ नर्स होनी चाहिए। लेकिन एक भी नर्स न होने से कर्मचारियों के भरोसे ही मरीजों के इलाज व देखरेख की व्यवस्था सांसे ले रही। वहीं ओपीडी में भी मरीजों के इंतजाम पूरे नहंी। मेंटल हॉस्पिटल की ओपीडी में रोजाना ख्00 से ख्भ्0 मरीज आते हैं। लेकिन उनके लिए ठंडे पानी की व्यवस्था नहीं हो सकी है। इसके इलावा कई बार मरीजों को एडमिट करने के बजाए ओपीडी से ही निपटाकर लौटा दिया जाता है। ------------------ आरोपों पर डाइरेक्टर की दलीलएक हफ्ते में मेंटल हॉस्पिटल के ब् मरीजों की मौत पर डाइरेक्टर सुनील कुमार श्रीवास्तव का कहना है कि सभी मौतें महज एक संयोग है। मरीजों की उम्र हो चुकी थी उनमें से कुछ पिछले ख्7 से ख्9 साल से हॉस्पिटल में एडमिट थे। हॉस्पिटल में फिजिशियन की जरूरत है, जो हैं नही। एक भी स्टाफ नर्स नहीं जो मरीजों की देखरेख करें। डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल रेफर किए गए मरीजों के मेडिकल डॉक्यूमेंट्स नहीं मांगे गए वरना उन्हें मुहैया कराया जाता। डाइरेक्टर ने यह भी कहा कि शासनादेश के तहत उत्तराखंड के मरीज एडमिट नहीं किए जाते।