संतोष नहीं, मेनका को मिली कमान
-बरेली की जिला सतर्कता एवं अनुश्रवण समिति की अध्यक्ष बनीं
-मंत्रालय के फैसले से पसोपेश में फंसे बरेली के आला अफसर BAREILLY (22 Oct। JNN): इसे केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी का रुतबा कहें या फिर विभागीय चूक, पीलीभीत की सांसद होते हुए भी मेनका गांधी को बरेली की जिला सतर्कता एवं अनुश्रवण समिति की कमान सौंपी गई है। इसे लेकर अफसर पसोपेश में हैं। असल में इस कमेटी का प्रेसीडेंट हमेशा से बरेली का वरिष्ठ सांसद ही बनता चला आ रहा है। जिले के लिए बेहद अहम कमेटीजिले के लिए यह समिति खासी महत्वपूर्ण होती है। इसमें बरेली के अलावा आंवला के सांसद, सभी नौ विधायक, एमएलसी रहते हैं। डीएम और सीडीओ के अलावा सभी जिला स्तरीय अधिकारियों को शामिल किया जाता है। कमेटी का काम इंदिरा आवास, मनरेगा, स्वयं सहायता समूह, भूमि का रिकॉर्ड और राष्ट्रीय स्वच्छता अभियान इत्यादि पर नजर रखने का है। बैठक में इन तमाम अहम कार्यो पर डिस्कशन के बाद उन्हें गति देने की रणनीति तय होती है। रूल यह है कि कमेटी का अध्यक्ष वरिष्ठ सांसद को बनाया जाता है। ऐसे में यह जगह केंद्रीय कपड़ा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संतोष गंगवार को मिलना चाहिए थी, वह सातवीं बार सांसद बने हैं।
रूरल डेवलप मिनिस्ट्री से आई चिट्ठी
ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार से पीलीभीत की सांसद मेनका गांधी को प्रेसीडेंट बनाने की चिट्ठी आई है। विकास विभाग के अफसर मान रहे हैं कि शायद ऐसा चूक से हो गया, लेकिन एक सप्ताह से ज्यादा गुजर गया, कोई भूल सुधार का पत्र भी नहीं आया है। मेनका गांधी का बरेली से जुड़ाव महज इतना है कि बहेड़ी विधानसभा पीलीभीत लोकसभा के अंतर्गत आती है, जहां की वह सांसद हैं।