मेमोरी बूस्टर इन डिमांड
--- Exam के समय 50 फीसदी तक बढ़ जाती है बिक्री
-- सिर्फ साइकोलॉजिक प्रेशर कम करने में मददगार केस 1. रामपुर गार्डन के रहने वाले राहुल एग्जाम को लेकर कुछ ज्यादा ही टेंशन में हैं, जबकि वे पढ़ाई में अव्वल हैं। उनकी शिकायत है कि उनकी मेमोरी पावर कमजोर हो गई। इसे दूर करने लिए उन्होंने मेमोरी बूस्टर लेना शुरू कर दिया है। केस 2 कमोबेश यही हाल कैंट में रहने वाली गरिमा का है। वे भी आजकल इस समस्या से दो-चार हो रही हैं। गरिमा ने भी इससे निजात पाने के लिए मेमोरी बूस्टर का उपयोग शुरू कर दिया है।BAREILLY: सीबीएसई और यूपी बोर्ड एग्जाम के बस कुछ ही दिन शेष बचे हैं, इस बीच तैयारी और टेंशन चरम पर है। स्टूडेंट्स अच्छे मार्क्स के लिए दवा और दुआ दोनों तरीके अपना रहे हैं। लिहाजा मार्केट में मेमोरी बूस्टर सीरप और कैप्सूल की डिमांड बढ़ गई है। जानकार बताते हैं कि एग्जाम के समय इनकी बिक्री भ्0 फीसदी तक बढ़ जाती है। शहर में मेमोरी बूस्टर दवाओं का व्यापार लाखों में फल-फूल रहा है।
पैरेंट्स का प्रेसरपैरेंट्स एक ओर जहां मार्क्स और सिलेबस कवर करने के लिए बच्चों पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। वहीं स्टूडेंट्स मेमोरी पावर बढ़ाने के लिए कई नुस्खे अपना रहे हैं। डॉक्टर्स की मानें तो यह नुस्खे साइकोलॉजिकल प्रेशर कम करते हैं, इसका सेवन करने से साइड इफैक्ट की संभावना बढ़ जाती है।
भ्0 परसेंट सेल बढ़ी सिटी के ज्यादातर केमिस्ट्स ने माना कि जुलाई से नवम्बर तक मेमोरी बूस्टर की सेल न के बराबर होती है। जबकि अक्टूबर के आखिर से लेकर दिसम्बर के मिडसेम एग्जाम के दौरान क्0 परसेंट की खपत बढ़ जाती है। फरवरी में बोर्ड एग्जाम की डेट्स डिक्लेयर होने के साथ ही इनकी मांग में इजाफा होना शुरू हो जाता है। सामान्य दिनों की तुलना में इसकी बिक्री करीब भ्0 परसेंट अधिक हो जाती है। शॉप्स पर सीरप की डिमांड एग्जाम के दौरान इनकी डिमांड बढ़ी जाती है। स्टॉकिस्ट मांग के अनुसार मेमोरी बूस्टर का स्टॉक पहले से कर लेते हैं। मेमोरी बूस्टर दवाओं में कैप्सूल और सीरप दोनों की ही डिमांड होती है। शॉपकीपर्स की मानें तो एडवरटाइजिंग के चलते ज्यादातर स्टूडेंट्स कैप्सूल के बजाय सीरप का सेवन करते हैं। ये दवाएं सभी मेडिकल स्टोर्स सस्ते दामों में आसानी से मिलते हैं। डॉक्टर्स एडवाइसडॉक्टर्स के मुताबिक यह मेडिसिंस तीन तरह की होती हैं। पहली आयुर्वेदिक। डॉक्टर्स भी इसे प्रिसक्राइव करते हैं। नेचुरल होने से इनका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है। दूसरे मेमोरी बूस्टर्स ट्राइवेक्टरॉल किस्म के होते हैं, जो ब्रेन की स्पीड तेज होने का भ्रम पैदा कराती हैं। सबसे अधिक इन्हीं दवाओं का स्टूडेंट्स सेवन करते हैं। तीसरी किस्म ड्रग्स कटेगरी की होती हैं, जो स्टूडेंट्स को एडिक्ट बनाने का काम करती हैं। यह स्टूडेंट्स के नर्व्स को काफी इफेक्ट करती हैं। इनके लगातार सेवन करने से नर्व्स सिस्टम पर बुरा असर पड़ता है।
साइकोलॉजिकल इफेक्ट एक्सपर्ट्स की मानें तो डिप्रेशन कम करने और लास्ट टाइम में ज्यादा सिलेबस कवर करने चक्कर में स्टूडेंट्स इनका इस्तेमाल करते हैं। यह मेडिसिंस टेंशन कम करने का दावा तो करती हैं, लेकिन इनमें मेमोरी बूस्ट करने वाले इनग्रेडिएंट्स न के बराबर होते हैं। हालांकि एक्सपर्ट्स का यह भी मानना है कि मार्केट में अवेलेबल कई वैराइटी के मेमोरी बूस्टर साइकोलॉजिकली स्टूडेंट्स को काफी रिलीफ पहुंचाते हैं, जबकि ऐसा नहीं है। इसके लगातार यूज करने से स्टूडेंट्स में चिड़चिड़ापन, वीक आईक्यू, घबराहट, चक्कर आना, डिप्रेशन, हाइपर टेंशन और स्ट्रेस के साथ ही ड्रग एडिक्शन की प्रॉब्लम्स भी बढ़ जाती हैं। वर्जनआम दिनों के मुकाबले बोर्ड एग्जाम्स के दौरान मेमोरी बूस्टर सीरप की मांग बढ़ जाती है। दिसंबर महीने से मार्च तक इन सीरप की खपत में भ्0 फीसदी तक की बढ़ोतरी होती है।
दुर्गेश खटवानी, प्रेसीडेंट, केमिस्ट एसोसिएशन यह मेडिसिंस कानून के दायरे से बाहर होती हैं। इसलिए यह बिना डॉक्टर्स की प्रिस्क्रिप्शन के ही सेल कर दिए जाते हैं। हालांकि कुछ स्ट्डेंट्स को डॉक्टर्स भी प्रिसक्राइब करते हैं। - अजीत सिंह, मेडिकल शॉप ओनर बोर्ड एग्जाम के दौरान इन दवाओं की सेल में जबरदस्त इजाफा देखने को मिलता है। इसलिए इनका स्टॉक पहले से ही कर लिया जाता है। - राजीव ढ़ींगरा, मेडिकल स्टोर ओनर आयुर्वेदिक सीरप का साइड इफेक्ट नहीं होने से इनका सेवन किया जा सकता है। लेकिन यह केवल साइकोलॉजिकल प्रेशर करता है। इससे मेमोरी बूस्टअप नहीं होगी। - डॉ। राजीव गोयल, फिजिशियन इन दवाओं के सेवन से ओवर स्टिमुलेशन की प्रॉब्लम होती है। स्टूडेंट्स में चिड़चिड़ापन, कंसंट्रेशन की पावर बिगड़ना व अन्य स्टमक रिलेटेड प्रॉब्लम हो जाती हैं। - डॉ। विजय सिंह, डायरेक्टर मेंटल हॉस्पिटल