शहर में धूल का गुबार, मास्क बन रहा ढाल
- कोरोना के बाद जिला अस्पताल की ओपीडी में आने वाले मरीजों में 20 फीसदी घटे सांस के रोगी
- मास्क पहनने के चलते कम रहा सीजनल बीमारियों का असर बरेली : साल 2020 में मार्च से कोरोना का प्रकोप बढ़ा तो शासन ने इससे बचाव के लिए सबसे बड़ी ढाल दो गज दूरी और मास्क का पाठ पढ़ाया। बरेलियंस ने इससे आत्मसात भी किया। कोरोना को सबसे ज्यादा घातक सांस के रोगियों के लिए माना, लेकिन इस जानलेवा वायरस से सांस रोगियों को बचाने के लिए मास्क ने बड़ी भूमिका निभाई। इस बात का खुलासा इस बात से हुआ कि कोरोना से पहले जिला अस्पताल की ओपीडी में आने वाले सांस रोगियों की संख्या में कोरोना के बाद करीब 20 फीसदी की गिरावट आई है। कैसे मास्क बना ढालमार्च से कोरोना का प्रकोप तेजी से बढ़ा तो प्रशासन ने इससे बचाव के लिए मास्क लगाना पूरी तरह से अनिवार्य कर दिया, ऐसे में लोग लॉकडाउन के दौरान अगर किसी जरूरी काम से भी बाहर निकले तो कानूनी कार्रवाई से बचाव के लिए मास्क पहने रहे। इससे जहां एक ओर कोरोना वायरस से वह बचे रहे वहीं धूल और धुएं से होने वाली परेशानी भी कम हुई।
फैक्ट फाइन- 2019 में जिला अस्पताल की ओपीडी में आए मरीज 596711
- 2020 में कुल 245583 इतने आए ओपीडी में मरीज - 2019 में जिला अस्पताल में कुल 29295 मरीज हुए एडमिट - 2020 में जिला अस्पताल में कुल 15989 मरीज हुए एडमिट - 1000 से 1700 के करीब डेली मरीज आ रहे ओपीडी में सांस रोगियों के लिए मास्क वरदान मार्च से कोरोना का प्रकोप बढ़ा तो शहर में तीन माह के लिए लॉकडाउन लागू कर दिया गया। ऐसे में शासन ने शहर में धीमी गति से हो रहे ओवरब्रिज निर्माण का कार्य भी शुरू करने के निर्देश दिए। वर्तमान में शहर में ओवरब्रिज का निर्माण तेजी से चल रहा है। ऐसे में मास्क लगाकर निकल रहे सांस रोगियों का काफी बचाव हो रहा है, शहर में उड़ रहा धूल का गुबार मास्क लगा होने के चलते उनके फेफड़ों तक नहीं जा पा रहा है जिससे उन्हें परेशानी भी कम हो रही है। बीस फीसदी को चेस्ट की दिक्कतवरिष्ठ फिजीशियन डॉ। वागीश वैश्य के अनुसार मास्क लगा होने से धुल या फिर पीएम 2.5 कण मरीजों के शरीर में प्रवेश नहीं कर पाते जिससे फेफड़ों में इंफेक्शन नहीं बढ़ता, इसलिए उन्हें सांस लेने में दिक्कत कम हो रही है। ओपीडी में आने वाले मरीज सांस की जगह चेस्ट में दर्द व अन्य दिक्कतें बता रहे हैं।
मरीजों की बात पिछले दस सालों से सांस की समस्या है, लेकिन जिला अस्पताल आने पर ही नहीं किसी भी कार्य से घर से बाहर निकलने पर मास्क लगा रहे हैं, डॉक्टर मास्क का यूज करने की सलाह दे रहे हैं। बेनीराम, चौपला, उम्र 62 कोरोना के बाद से लगातार मास्क लगा रहे हैं, सांस लेने में कोई तकलीफ नहीं है। कभी कभार सीने में दर्द होता है इसलिए डॉक्टर की सलाह लेने आए हैं। जीके जैन, बानखाना, उम्र 58 यूं तो कोरोना का प्रकोप कम हो रहा है लेकिन मास्क का उपयोग भी कम देखने को मिल रहा है, लेकिन सलाह है कि बुजुर्ग और सांस रोगी इसका उपयोग जरूर करें। मास्क सिर्फ कोरोना से ही नहीं पॉल्युशन से बचाव करने में सार्थक है। डॉ। सुदीप सरन, वरिष्ठ फिजीशियन