-पूजा-अर्चना के साथ टोटकों का सहारा लेने में आगे

-यहीं से बैठकर दूसरे शहरों में भी करा रहे अनुष्ठान

BAREILLY: नॉमिनेशन प्रोसेस कंप्लीट होने के बाद बरेली लोकसभा के कैंडीडेट अपने पक्ष में सियासी माहौल गरम करने के लिए जीतोड़ कोशिश में जुट गए हैं। पांचों विधानसभा क्षेत्रों में धुआंधार कंपेनिंग के साथ जीत की गुणाभाग में जुटे उम्मीदवार तंत्र-मंत्र का सहारा लेने में पीछे नहीं हैं। खास बात यह कि अपने पुरोहितों से जीत की जाप करवाने के साथ ही विरोधियों का खेल बिगाड़ने के लिए टोटकों का सहारा लेने भी आगे हैं। एक दिन पहले शुरू हुए नवरात्रि के मद्देनजर ये चुनावी लड़ाके मां दुर्गा से जीत का आशीर्वाद पाने के लिए पंडितों की राय के अनुसार विधि-विधान से पूर्जा अर्चना में भी पीछे नहीं हैं।

सिद्ध पीठों से भी घर बैठे आशीर्वाद

समय अभाव के कारण कैंडीडेट्स अपने घरों में गोपनीय ढंग ये पूजा पाठ में जुट गए हैं। ब्रह्म मुहूर्त में घंटों मंत्रोच्चार कर जीत का रास्ता तलाश रहे हैं। उम्मीदवार के राशि और नक्षत्रों का भी ध्यान रखा जा रहा है। ग्रह-गोचर को सही करने के लिए तमाम उपाय किए जा रहे हैं। राष्ट्रीय पार्टियों के ये उम्मीदवार यहां से ही नौ सिद्ध पीठों में शामिल बनारस, नासिक, उज्जैन के अलावा वृंदावन आदि के पंडितों के अकॉउंट्स में पूजन-अर्चन के लिए पैसे जमा कर रहे हैं। उन्हें विश्वास है कि उन स्थानों पर देवी-देवताओं के लिए किए जाने वाले जाप और हवन का लाभ मिलेगा। सोर्सेज के अनुसार, श्रीकुल की आठवीं देवी बंगला मुखी की पूजा के लिए कुछ उम्मीदवार मध्य प्रदेश के दतिया तक जा चुके हैं।

अलग-अलग विविध रूपों का आह्वान

तंत्र-मंत्र और यंत्र से पूजन-अर्चन कराने वाले पंडितों का मानना है कि इससे कैंडीडेट्स को निश्चित तौर पर सफलता मिलेगी। तंत्र को तामसी पूजा माना जाता है और इसके अधिकांश पंडित कालरात्रि के दिन गोपनीय तरीके से मंदिरों, श्मशान में जलती चिता और प्रवाहित गंगाजल के बीच आह्वान करते हैं। इसके लिए रौद्र रूप की देवी बंगला मुखी, छिम्माता, भैरवी, तारा, भद्रामुखी, बैकुंठी देवी, वैशाली आदि का आह्वान हो रहा है। सात्विक विचारधारा के तहत घरों में गोपनीय तरीके से नवदेवियों में शामिल अंबा, शैलपुत्री, दुर्गा, सिद्धिदात्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि का आह्वान मंत्रोच्चार और जाप से किया जा रहा है। पंडित अपने यजमानों की जीत के लिए देवियों की अलग-अलग रूपों के यंत्र यानी कमल, खड्ग, त्रिशुल, चक्र आदि का भी भोग लगा रहे हैं।

दूसरे प्रदेशों से बुलाए गए पंडितजी

नवरात्र में अमूमन मंदिरों और सामान्य तबके के यजमानों के घर पूजा कराने पंडितों की मांग बढ़ गई है। वजह लोकसभा चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी के यहां भी वे पूजा अर्चना करा रहे हैं। अधिकांश पंडित इनकी मंशा के अनुसार हवन-पूजन का रेट बता चुके हैं। जाप-स्तुति का सिलसिला भी शुरू कर चुके हैं। तंत्र, मंत्र और यंत्र की पूजा के लिए विद्वानों का भी अलग-अलग कटेगरी निर्धारित है। कैंडीडेट्स ने तंत्र पूजा के लिए तांत्रिक, मंत्र पूजा के लिए सात्विक वैदिक मंत्रोच्चार और हवन कराने वाले विद्वानों को चुन रखा है। इसी तर्ज पर यंत्र पूजा कराने वाले विद्वानों की केटेगरी भी बंटी है। कुछ उम्मीदवार ने तो विशिष्ट पूजा के लिए बंगाल, महाराष्ट्र और देश के अलग-अलग हिस्सों के पंडितों को भी बुलाए हैं।

दूसरे का खेल बिगाड़ने का भी जाप

घर, मंदिर और अन्य स्थानों पर अपने यजमानों की जीत सुनिश्चित करने के लिए पंडितजी भी जोर लगा रहे हैं। विपक्षियों पर जीत के लिए मंत्रोच्चार, हवन, स्तुति आदि के सहारे देवी को खुश करने की कोशिश में जुटे पंडितों के बीच भी समर छिड़ गया है। दरअसल, ये विद्वान ग्रह, नक्षत्र के अनुसार अपने यजमान को विजश्री दिलाने के साथ-साथ विपक्षी पंडितों के अनुष्ठान को असफल करने की जुगत में लगे हैं। उनका मानना है कि मंत्रों के उच्चारण और स्तुति के माध्यम से विपक्षी दलों के उम्मीदवार और पंडितों के ग्रह चाल को प्रभावित किया जा सकता है। इसकी वजह से विपक्षियों की बुद्धि दिग्भ्रिमित होगी और शुभ करने की कोशिश में अशुभ कार्य होगा। इसका सीधा लाभ यजमान को मिलेगा।

अपनी जीत के लिए लगभग सभी उम्मीदवार अलग-अलग विधियों से पूजा-अर्चना करा रहे हैं। ये प्रत्याशी मंत्र, यंत्र और तंत्र की पूजा से ग्रहों की चाल सुधारने में लगे हैं। इसके सहारे वे विरोधियों को पटखनी देने की जुगत लगा रहे हैं। हालांकि पूर्ण सफलता के लिए सात्विक रूप से वैदिक मंत्रोच्चार के साथ की गई पूजा काफी फलदाई होगा।

-पंडित राजेंद्र तिवारी, ज्योतिषाचार्य।

प्रत्याशियों की जीत के लिए गुप्त रूप से श्रीकुल की आठवीं देवी बंगला मुखी पीतांबरा का पूजन-अर्चन किया जा रहा है। यह अनुष्ठान बाम मार्ग (तंत्र विद्या) से हो रहा है। प्रत्याशी बाम मार्ग और मंत्र मार्ग से विजय यज्ञ की कामना कर रहे हैं।

-पंडित शिवकुमार।

: नवरात्र में देवी की नव रूपों का अलग-अलग ढंग से पूजन-अर्चन हो रहा है। इस पूजा के माध्यम से राशि और कुंडली के अनुसार ग्रहों की चाल ठीक करने की कोशिश की जा रही है।

पंडित प्रदीप कुमार चौबे।

Posted By: Inextlive