कार्यकारिणी बैठक में दुकानों पर हंगामा, पंद्रह दुकानें होंगी सील
नगर निगम कार्यकारिणी बैठक में उठा दुकानों का मुद्दा
पंजाबी मार्केट में बनी दुकानों की होगी जांच बरेली। वेडनेसडे को नगर निगम की कार्यकारिणी बैठक में सदस्यों ने बैठक की शुरुआत से ही हाई वोल्टेज ड्रामा शुरू कर दिया। मेयर कार्यालय में नगर निगम कार्यकारिणी की बैठक हुई। बैठक में जमकर हंगामा हुआ। पार्षदों ने कहा कि नॉवल्टी चौराहे के पास नगर निगम की दुकानों में अवैध निर्माण पाए जाने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई है। पार्षदों ने गड़बड़ी और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। मेयर ने कहा सभी मामलों में जांच कराई जाएगी। पंद्रह दुकानों को सील करने की मुहर भी लग गई। अवैध निर्माण है तो कार्रवाई क्यों नहींबैठक में उपसभापति संजय राय व नगर निगम कार्यकारिणी सदस्यों ने नॉवल्टी के पास बनी अवैध दुकानों का मामला उठाया। कहा कि जांच में अवैध निर्माण की पुष्टि हो चुकी है। उसके बाद भी निगम के अधिकारी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। सदस्यों ने कहा कि खुद अपर नगर आयुक्त अजीत कुमार सिंह ने पैमाइश कराई थी और जांच के बाद 15 दुकानों में मानक से ऊंचे लिंटर बनाने समेत अन्य मामलों अनाधिकृत पाया था और नोटिस दिया था। पार्षद कपिलकांत, राजकुमार गुप्ता आदि ने पंजाबी मार्केट में बनी नगर निगम की 27 दुकानों का मामला उठाया। कहा कि यहां दुकानदारों ने दुकानें बड़ी कर ली लेकिन किराया पुरानी दर का ही वसूला जा रहा है। मेयर उमेश गौतम ने अपर नगर आयुक्त अजीत कुमार सिंह के नेतृत्व में कई पार्षदों को शामिल करते हुए इस पूरे प्रकरण की रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं।
ये अधिकारी रहे मौजूद बैठक में नगर आयुक्त अभिषेक आनंद, अपर नगर आयुक्त श्यामलता आनंद, मुख्य अभियंता भूपेश कुमार सिंह समेत अन्य मौजूद रहे। प्याऊ को दुकान में बदल दिया संजय राय ने बताया कि किला क्रासिंग के पास दुकान नंबर चार में प्याऊ में दर्ज थी। पास में तिलक इंटर कॉलेज का शौचालय बना है लेकिन इसे गुपचुप से दुकान के तौर पर आवंटित कर दिया गया। इसका केवल 30 हजार रुपये मामूली प्रीमियम और करीब 425 रुपये किराया तय किया गया है। मेयर ने नगर आयुक्त से इसकी जांच रिपोर्ट मांगी है। किराया बढ़ाने का प्रस्ताव रद्द नगर निगम की 32 संपत्तियों के आवंटियों पर प्रीमियम धनराशि और किराया बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव रखा था। इससे पानए बीड़ी बेचने वाले दुकानदार अभी तक 42 सौ सालाना किराया दे रहे लेकिन अब इसे बढ़ाकर 52 हजार रुपये करने का प्रस्ताव था। इस प्रस्ताव को रद्द कर दिया गया।