संसाधन कम, मेलेरिया बेदम
-जनवरी से अब तक 1.22 लाख टेस्ट में 1260 मलेरिया पॉजिटिव
मलेरिया विभाग के पास स्टाफ का टोटा, डीएमओ के पास वाहन भी नहीं बरेली। कोरोना संक्रमण के बीच अगर मलेरिया भी पांव पसारता तो हालात कितने भयावह होते, इसकी कल्पना ही की जा सकती है। डिस्ट्रिक्ट में मलेरिया कंट्रोल को लेकर अलर्टनेस का ही नतीजा रहा कि यह संक्रमण पांव नहीं पसार सका और बरेलियंस कोरोना की मुसीबत के बीच एक और बड़ी मुसीबत से बच गए। हेल्थ डिपार्टमेंट की मलेरिया डिविजन ने इस साल अब तक 1.22 लाख से अधिक टेस्टिंग की ओर इसमें 1240 पॉजिटिव पाए गए। इनमें से भी सभी दवा खाने के बाद सही हो गए। यह उपलब्धि इसलिए भी बड़ी है कि हेल्थ डिपार्टमेंट का मलेरिया डिविजन संसाधन विहीन है। टेस्टिंग बढ़ी, केसेस कमडिस्ट्रिक्ट में मलेरिया कंट्रोल की सबसे बड़ी जिम्मेदारी हेल्थ डिपार्टमेंट के पास है। इसके लिए हेल्थ डिपार्टमेंट में मलेरिया डिविजन है। यह डिविजन ही मलेरिया की ट्रेसिंग, टेस्टिंग और ट्रीटमेंट की कमान संभालता है। इसके लिए हर साल जनवरी से लेकर दिसंबर तक एक्टिव केस सर्च अभियान चलता है। अभियान के तहत इस साल अब तक 1,22,594 लोगों की मलेरिया टेस्टिंग हुई, जिसमें 1260 मलेरिया पॉजिटिव पाए गए। जबकि बीते साल कुल 79,397 टेस्ट हुए और इनमें से 3864 पॉजिटिव निकले। मलेरिया के चलते बीते साल भी कोई भी डेथ नहीं हुई ओर इस साल भी अब तक कोई डेथ नहीं है।
सीरियस केसेस भी कम मलेरिया पैरासाइट के तीन प्रकार संक्रमित केस पाए जाते हैं। इनमें सबसे कॉमन है पीवी यानी प्लाज्मोडियम वाईवेक्स, दूसरा प्रकार है पीएफ सानी प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम और तीसरा प्रकार है पीएम यानी प्लाज्मोडियम मलेरिया। मलेरिया के इन प्रकारों में से पीएफ सबसे घातक होता है। मलेरिया डिविजन के आंकड़ों के अनुसार बीते साल 3864 पॉजिटिव केसस में 3339 पीवी, 501 पीएफ और 24 पीएम केसेस थे। इस साल अब तक के कुल 1240 पॉजिटिव केसस में 1154 पीवी, 64 पीएफ और 22 पीएम केसस पाए गए हैं। इस तरह बीते साल पीएफ केसस इस साल से आठ गुना अधिक पाए गए थे। पीएफ मलेरिया से ही सबसे अधिक डेथ होती हैं, पर डिस्ट्रिक्ट में हेल्थ डिपार्टमेंट की एक्टिवनेस से न तो बीते साल कोई डेथ हुई और न ही इस साल। प्रेग्नेंट मलेरिया पॉजिटिव भी कमहेल्थ डिपार्टमेंट के मलेरिया डिविजन के आंकड़ों के अनुसार बीते साल कुल मलेरिया पॉजिटिव में 45 प्रेग्नेंट थीं, जबकि इस बार अब तक पाए गए कुल पॉजिटिव में मात्र 15 प्रेग्नेंट हैं। डीएमओ डॉ। पीके जैन ने बताया कि प्रेग्नेंट महिला को सीधे मलेरिया की दवा नहीं दी जाती है। उनका डॉक्टर की देखरेख में ही इलाज होता है।
संसाधनों का टोटा मलेरिया कंट्रोल को भले ही हेल्थ डिपार्टमेंट के पास अलग से डिविजन हो, पर यह डिविजन संसाधन विहीन है। इस डिविजन में एक डीएमओ के अलावा एएमओ, सीनियर मलेरिया इंस्पेक्टर, मलेरिया इंस्पेक्टर और फील्ड वर्कर्स तैनात होते हैं, लेकिन यहां एमएसआई व एएमओ तो हैं ही नहीं। फील्ड वर्कर्स भी मात्र दो हैं, इनमें से भी एक का हाथ फ्रेक्चर है। इसके अलावा यहां डिस्ट्रिक्ट मलेरिया ऑफिसर यानी डीएमओ के पास विभागीय वाहन भी नहीं है। इसके बाद भी यह डिविजन मलेरिया कंट्रोल में जुटी हुई है और आंकड़ों में मलेरिया कंट्रोल में भी है।सीमित संसाधनों के बीच मलेरिया कंट्रोल के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं। इस बार मलेरिया की टेस्टिंग भी बीते साल से अधिक हुई है और पॉजिटिव केसेस में भी कमी आई है। कहीं भी अगर मलेरिया के लक्षण वाला मरीज पाया जाता है तो, उसकी जांच भी कराई भी जाती है और क्षेत्र में एंटि लार्वा कैमिकल का छिड़काव भी कराया जाता है। सभी पॉजिटिव को निगरानी में दवा दी जाती है, इससे मलेरिया पूरी तरह काबू में है।
डॉ। पीके जैन, डीएमओ फैक्ट फाइल वर्ष टेस्ट पॉजिटिव पीवी पीएफ पीएम प्रेगनेंट 2021 122594 1240 1154 64 22 45 2020 79397 3864 3339 501 24 15