मां की कहानी
मां मेरी मांमां का नाम आते ही सुकून का एहसास होता है। मां जो हमें जन्म देती है। हजारों कांटों को सहकर हमारा लालन-पालन करती है। मां वह छांव है, जिसकी गोद में में आकर जिंदगी भर की थकान दूर हो जाती है। मां वह उपहार है, जिसका कोई मोल नहीं है। मदर्स डे पर ऑर्गनाइज्ड आई नेक्स्ट की एक्टिविटी 'मां की कहानी आपकी जुबानीÓ के लिए हमें ढेरों एंट्रीज मिलीं। भावों से भरी एक से बढ़कर एक एंट्रीज के बीच बेस्ट थ्री चुनने के लिए जजेज को भी काफी मुश्किल हुई। ढेर सारी एक से बढ़कर एक एंट्रीज के बीच जजेज द्वारा सलेक्ट की गई बेस्ट थ्री इंट्रीज हम यहां प्रस्तुत कर रहे हैं।First prizeसारा काम मम्मी ही क्यों करती है?
मेरी मां एक स्कूल टीचर है। वह सुबह होते ही पहले घर के काम निपटाती है। उसके बाद वह पूरा दिन घर के काम करती है। स्कूल से आने बाद घर में ही ट्यूशन पढ़ाती है और उसके बाद शुरू होती है किचेन की जंग। इसके बाद डिनर का अरेंजमेंट करती है। इसके बाद रात में ही सुबह के लिए तैयारियां भी करती है। शायद ठीक से नींद भी नहीं ले पाती हैं। इस सबके बावजूद मेरी मां मुझे बहुत प्यार करती है। वह बहुत ही सहनशील, धैर्यवान और त्याग करने वाली महिला हैं। कभी-कभी डांट भी पढ़ती है। अब तक उन्होंने अपनी लाइफ में काफी स्ट्रगल भी किया है। यही वजह है कि उन्हें हाउस वाइफ से सर्विस वूमेन भी बनना पड़ा। मैं जब मम्मी से चिपक कर सोती हूं, तब मुझे बहुत सुकून मिलता है। ऐसी छाया कहीं और से तो मिल ही नहीं सकती है। मेरी इच्छा है कि यह सुकून मुझे जिंदगी में ज्यादा से ज्यादा वक्त तक मिलता रहे। मैं जितनी भी उनकी मदद कर सकती हूं, जरूर करती हूं। पर कभी-कभी यह भी सोचती हूं कि भारत में सारा काम मम्मी ही क्यों करती है. -अक्षिता वाष्र्णेयSecond prize और बदल गई सोच
जब मैं बच्ची थी मां की हर बात मुझे नागवार गुजरती थी। मुझे लगता था कि क्या मां जब देखो तब डांटना, ये मत करो, उससे बात मत करो, ठीक से बैठो। परेशान थी मैं इतनी बंदिशों से। मन में सोचती थी कि मां बंदिशें लगाती क्यों है। बड़ी दुविधा से ये बचपन बीता। मां ने जो कहा वह सुनना ही पड़ा क्योंकि वह मां है। इन दिनों मैं प्रेगनेंट हूं। मां बनने के एहसास ने मेरी सोंच बदल दी. मुझे मां का शनिवार को नौकरी से लौटने के बाद हफ्ते भर के कपड़ों को भिगोकर, खाना खिलाने के बाद चार बच्चों के कपड़ों को देर रात तक हैंडपंप चलाकर धोना, दूसरे दिन सूखने के बाद उन्हें प्रेस करना याद आता है। इन कपड़ों को वह मंडे को हमारे स्कूल जाने के लिए तैयार करती थीं। इतने के बाद भी संडे की सुबह का लंच भी हमारे लिए खास होता था, ताकि हम बच्चों को हर टेस्ट मिल सके। अब तक जो बुरा लगता था वहीं जिंदगी की सीख बन गया। अब मैंने ये सीख अपने बच्चों क ो भी देने की ठानी है। -अंतिमा मैक्स्वेलThird prizeसंघर्ष ने दिलाई जीत
मेरे पिताजी ने भतीजों की देखभाल के लिए अपनी आर्मी की नौकरी छोड़ दी। हम पांच बहनें और एक भाई है। पर न तो हमारे रहने का तो कोई ठिकाना था, न ही पढ़ाई-लिखाई का। मां ने हिम्मत नहीं हारी और उनके पास जो कुछ था, उसे बेचकर उन्होंने बरेली में त्रिवेणी प्रिंटिंग प्रेस स्टार्ट की। शुरुआत में लोगों ने परेशान किया, किसी ने ठगा भी। मां ने हिम्मत नहीं हारी। मां की जी-तोड़ मेहनत में भी किसी ने उनका साथ नहीं दिया। उन्होंने दिन-रात मेहनत की। कुछ समय के लिए दो वक्त की रोटी जुटाना भी मुश्किल हुआ। पर धीरे-धीरे मेहनत रंग लाई और घर की स्थितियां ठीक होती चली गईं। इतने संघर्ष के बावजूद भी मां की ममता में कभी कोई कमी नहीं आई। इस ममता की छांव में हम हर गम से दूर रहे। दु:ख की छाया भी हमसे दूर रही। पर मां ने इसके लिए रात को भी रात न समझा, पूरी रात प्रिंटिंग प्रेस में काम करने के बाद भी मां के चेहरे पर शिकन तक नजर नहीं आती। आज जब भी मां के संघर्ष को याद करती हूं तो अपने आप में एक पॉजीटिव एनर्जी का एहसास होता है. -शिखा कुलश्रेष्ठ मदर्स डे पर आई-नेक्स्ट और तनिष्क की स्पेशल एक्टिविटी
मदर्स डे पर आई नेक्स्ट और तनिष्क ने मी एंड माई मॉम इवेंट ऑर्गनाइज किया है। इस इवेंट में मदर्स डे के दिन महानगर, ग्रीन पार्क , किप्स सिविल लाइंस और तनिष्क के शोरूम में आई नेक्स्ट का एक्टिविटी बोर्ड लगाया जाएगा। इस बोर्ड पर आप अपनी मदर्स के लिए बेस्ट विशेज लिख सकते हैं. तनिष्क के मैनेजर विवेक अरोड़ा ने कहा कि यह अच्छी पहल है। जो लोग अपनी बात बोल कर मां तक नहीं पहुंचा सकते हैं, वह न्यूज पेपर के माध्यम से मां तक अपनी बात पहुंचा सकता है।