मां का कातिल निकला बेटा
2010 से शुरू हुई कहानी रामवीर यादव फरीदपुर थाने के नवदिया गांव का रहने वाला है। रामवीर के भाई संतोष की पत्नी अवधेशा की संदिग्ध परिस्थितियों में 16 अक्टूबर 2010 को मौत हो गई थी। रामवीर की मानें तो उसकी भाभी ने आत्महत्या की थी। अवधेशा शाहजहांपुर के विक्रमपुर की रहने वाली थी। उसके परिवार वालों की तरफ से संतोष, पिता जयसिंह, मां राजवती, भाई रामवीर, श्यामवीर और अंकित के खिलाफ हत्या का केस दर्ज कराया गया। नाबालिग होने की वजह से जांच में श्यामवीर और अंकित इस केस से बाहर हो गए। लेकिन पुलिस ने बाकी आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इस मामले में जनवरी 2012 में जमीन और पैसे देकर रामवीर और उसके भाभी के परिवार में समझौता भी हुआ लेकिन रामवीर के मन में बदले की आग भड़कती रही।पांच आईओ बदल गए
24 फरवरी 2012 को फतेहगंज पूर्वी में रामवीर की मां राजवती की मायके से लौटते वक्त गोली लगने से मौत हो गई। हत्या का आरोप अवधेशा के पिता मुरली, चाचा रामनिवास तथा भाई जितेंद्र पर लगाया गया। पुलिस ने तीनों को अरेस्ट कर जेल भेज दिया। जेल में मुरली की मौत हो गई। अप्रैल माह में मामले की जांच आईजी जोन एसआईएस को सौंपी गई। इस दौरान पांच आईओ भी बदले गए। जब छटे आईओ एसआई सुखेंद्र सिंह ने जांच की तो सारी कहानी से पर्दा उठ गया। जांच में रामवीर ही अपनी मां का कातिल निकला। सैटरडे को रामवीर को कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया।