मंच पर दिखा प्यार वासना और शक्ति का तालमेल
- वेडनसडे को थिएटर फेस्ट में प्ले 'अग्नि और बरखा' का हुआ मंचन
BAREILLY: मानवीय शक्ति, प्यार, वासना और त्याग को केंद्र में रखकर कहानी शुरू से अंत तक खुद को संासारिक पहलुओं से टटोलती रही। किरदार के माध्यम से गिरीश कर्नाड की कहानी 'अग्नि और बरखा' में दिल्ली के श्री राम सेंटर फॉर परफार्मिग आर्ट्स के कलाकारों की बेहतरीन परफार्मेंस ने भी दर्शकों को भाव विभोर कर दिया। साधारण कहानी से उच्च अभिव्यक्ति को दर्शाने में निर्देशक केएस राजेंद्रन का हुनर दिखता है। 9वें दयादृष्टि रंगविनायक विंडरमेयर थिएटर फेस्ट के छठें दिन प्ले 'अग्नि और बरखा' का मंचन किया गया। जिसमें प्रॉप्स एंड प्रॉपर्टी, बैकग्राउंड म्यूजिक, लाइट इफेक्ट, कॉस्ट्यूम को बेहतर तालमेल दिखाई दिया। इस दौरान दयादृष्टि रंगविनायक रंगमंडल सीईओ शिखा सिंह, डॉ। बृजेश्वर सिंह, डॉ। गरिमा सिंह, नवीन कालरा, डॉ। एसई हुदा मौजूद रहे। निश्च्छल प्रेम की दास्तां बनी कहानीप्ले 'अग्नि और बरखा' गिरिश कर्नाड द्वारा लिखित और राम गोपाल बजाज द्वारा अनुवादित नाटक है। जिसकी जो कि शक्ति, प्यार, वासना और त्याग की बारीकियों पर आधारित है। कहानी में परावसु, महान ऋषि रैभ्या का बड़ा पुत्र है। उसने सात वर्ष तक यज्ञ कर इन्द्र देवता को प्रसन्न कर बंजर भूमि पर बारिश लाने की कोशिश की। इसके लिए उसने पत्नी विशाखा, भाई अरवासु व अन्य भोग्य वस्तुओं से खुद को दूर कर लिया। दूसरी ओर यक्की ने ब्राह्माण समुदाय में अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए पूर्व प्रेमिका विशाखा और परावसु को वश में करने की कोशिश करता है। वहीं, रैभ्या यक्की से शत्रुता निभाते हुए उस पर ब्रह्मा राक्षस छोड़ता है। अन्त में भगवान इन्द्र से अरवासु का संवाद त्याग से कर्तव्य और आध्यात्मिक उत्थान के रास्ते पर ले जाता है। उसका नित्तीलाई के प्रति निश्च्छल प्रेम व त्याग भगवान को खुश करता है। सूखी धरती पर बारिश और लोगों को मुक्ति मिलती है।