पिनकोड न होने से भटक रही पाती
- पिन नंबर की जानकारी न होना बन रही है मुसीबत
- रोजाना दस हजार से अधिक लेटर हो जाते हैं रिटर्न BAREILLY: लेटर्स में पिनकोड व एड्रेस लिखने में थोड़ी सी चूक से आपका कीमती लेटर भटक रहा है और आपके प्रियजनों तक नहीं पहुंच पा रहा है। आप यह सुनकर चौंक जाएंगे कि सिर्फ बरेली में ही हजारों ऐसे लेटर्स हैं जो कभी पिनकोड न होने की वजह से तो कभी गलत एड्रेस होने की वजह से वापस लौट जाते हैं। ऐसे में आप इस बात का ध्यान रखिए कि अगर आपने प्रियजनों को लेटर लिख रहे हैं तो फिर सही एड्रेस के साथ ही कोशिश कीजिए कि सही पिनकोड नंबर भी मेंशन करें, वरना हो सकता है कि आपकी पाती अपना पता भूल जाए। क्0- क्ख् हजार लेटर्स को नहीं मिलता ठिकानापोस्टल डिपार्टमेंट के अधिकारियों ने बताया कि बरेली में करीब डेली क्0 से क्ख् हजार लेटर्स सही एड्रेस न होने की वजह से रिर्टन किए जाते हैं। अधिकारी बताते हैं कि यहां पर आने वाले लेटर्स में ज्यादातर जॉब, ऑफिशियल और बिल सर्विस रिलेटेड लेटर होते हैं। इनकी संख्या तकरीबन एक लाख डेली है।
शॉर्टिग से ही हो जाती है दिक्कतपोस्टल डिपार्टमेंट के अधिकारी यह भी बताते हैं कि लेटर पर गलत एड्रेस लिखे होने से इनकी शॉर्टिग में ही दिक्कत शुरू हो जाती है। लेटर पर एड्रेस का पूरा न होना, पिनकोड न होने के वजह से लेटर डिस्ट्रीब्यूशन के लिए आगे नहीं बढ़ पाता है। कई बार दिए पते पर लेटर पोस्टआफिस तक पहुंचता भी है, लेकिन एड्रेस के घनचक्कर में लेटर भटक जाता है।
आरएलओ में होता डिस्पोजल अधिकारियों ने बताया कि लेटर को उसका एड्रेस नहीं मिलता है तो फिर बरेली से उसको लखनऊ भेज दिया जाता है। वहां से लेटर उस व्यक्ति को भेज दिया जाता है जिसने वह लेटर भेजा था। यहां पर लेटर को खोलकर चेक किया जाता है। यदि, इंफार्मेशन को संबंधित व्यक्ति तक पहुंचाने का कोई ऑप्शन रहता है तो, उसे व्यक्ति तक पहुंचाने का प्रयास किया जाता है अन्यथा उसको वहीं पर डिस्पोज ऑफ कर दिया जाता है। आरएमएस के प्रधान लेख कार्यालय के आंकड़ों के मुताबिक, रोजाना क्0 से क्ख् हजार लेटर आरएलओ भेजे जाते हैं। जांच में होती है आसानीम् अंक के पिन कोड से लेटर की उसके गंतव्य तक पहुंचाने में आसानी रहती है। शुरुआत के दो अंक देखकर लेटर के बारे में जाना जा सकता है कि, वह किस स्टेट और डिस्ट्रिक्ट और पोस्ट आफिस का है। दरअसल, पिन कोड का हर अंक उसके एड्रेस का हिस्सा होता है।
लेटर्स पर पिन कोड न होने के वजह से प्रॉब्लम होती है। कई बार संबंधित व्यक्ति तक लेटर हैंडओवर नहीं हो पाता है। जिसको लेकर लोगों की शिकायत भी झेलनी पड़ती है। रोजाना ख्0 परसेंट लेटर आरएमएस को भेज देते है। इब्ने हसन, असिस्टेंट पोस्टमास्टर, डिलिवरी सेंटर पोस्ट बॉक्स से लेटर कलेक्ट करने के बाद उसे पोस्ट ऑफिस में भेजने का काम है। फिर उसके बाद लेटर बांटने का काम होता है। लेकिन, लेटर पर पूरी डिटेल नहीं होने पर काफी दिक्कत होती है। हिमांशु, पोस्टमैन