क्रिमिनल्स के लिए 'सेफ जोन' बनी सिटी
-पुलिस की लापरवाही के चलते पकड़ से रहते हैं दूर
-पुलिस के वैरीफिकेशन के दावे हवा-हवाई BAREILLY: केस-क् विशारतगंज में बलवा और हत्या के आरोपी को पुलिस पांच साल बाद गिरफ्तार करने में कामयाब हुई। वह सुभाषनगर के शांति विहार में पिछले कई वर्षो से बड़े आराम से रह रहा था। हैरत की बात यह है कि पुलिस को उसकी कानों कान खबर तक नहीं लगी। केस- ख् शाहजहांपुर के खुदागंज का रहने वाला पंकज उर्फ तिवारी कई महीने से बारादरी के जोगीनवादा में किराये के मकान में रह रहा था। वह चोरी कर सामान किराये के मकान में रखता था। केस- फ् मीरगंज निवासी गुड्डू ने लड़की को बहला-फुसलाकर अपहरण कर लिया था। वह करगैना में म् महीने से लड़की के साथ रह रहा था। लेकिन थाना क्षेत्र का मामला होने के बाद भी पुलिस को कानों-कान खबर तक नहीं लगी।ये तीन केस तो पुलिस की लापरवाही की बानगी मात्र हैं। ऐसे ही न जाने कितने अपराधी बड़ी वारदातों को अंजाम देकर शहर के अलग-अलग थाना क्षेत्रों में आराम से रह रहे हैं। पुलिस किसी से पूछने की जहमत तक नहीं उठाती कि उनके थाना, चौकी या बीट एरिया में कौन सा शख्स रहने आया है। बदमाश पुलिस की इसी लापरवाही का फायदा उठाते हैं। पुलिस किसी भी आरोपी को पकड़े जाने के बाद नौकरों और किरायेदारों का वैरीफिकेशन के दावे करती है, लेकिन बाद में सब ढाक के तीन पात ही नजर अाता है।
थाना पुलिस की होती है जिम्मेदारी थाना एरिया में कौन शख्स पहले से रह रहा है, कितने मकान हैं, मकान में रहने वाले मेंबर की संख्या कितनी है, मकान में अगर किरायेदार रहते हैं तो वो कौन हैं, घर में कोई नौकर हैं तो वो कौन हैं। इसके अलावा एरिया में कितनी दुकाने हैं। दुकान मालिक कौन हैं और कितने मेंबर दुकान में काम करते हैं। इन सबकी डिटेल रखना पुलिस की जिम्मेदारी होती है, लेकिन ऐसा नहीं हाेता है। बीट कांस्टेबल नहीं करते वर्क किस एरिया में कौन-कौन रहता है इसकी सबसे मेन जिम्मेदारी बीट कांस्टेबल की होती है। बीट कांस्टेबल को एक रजिस्टर भी मेंटेन करना होता है। लेकिन बरेली में बहुत कम बीट कांस्टेबल अपना रिकार्ड मेंटेन करते हैं। यही नहीं बीट कांस्टेबल की डयूटी भी अन्य जगह लगा दी जाती है। एलआईयू भी जिम्मेदारबरेली हमेशा सेंसटिव रहा है। लॉ एंड आर्डर की प्रॉब्लम को लेकर पुलिस हमेशा टेंशन में रहती है। आतंकी गतिविधियों को लेकर भी यहां अक्सर अलर्ट रहता है। ऐसे लोगों पर नजर रखने की सबसे अहम जिम्मेदारी एलआईयू, यानि लोकल इंटेलीजेंस यूनिट की होती है। लेकिन स्टाफ की कमी के चलते एलआईयू भी लोकल पुलिस पर ही डिपेंड रहती है।
मढ़ीनाथ में शुरू हुआ अभियान मढ़ीनाथ चौकी इंचार्ज जितेंद्र कुमार ने विनोद को पांच साल बाद पकड़ने में सफलता हासिल की है। विनोद के पकड़ने के बाद उन्होंने अपने चौकी क्षेत्र में एक-एक शख्स का वैरीफिकेशन कराने की प्रोसेस स्टार्ट कर दी है। इसके लिए सभी घरों में वैरीफिकेशन फार्म भरवाए जाएंगे। फार्म भरने के बाद उन्होंने स्थायी पते पर वैरीफिकेशन के लिए भेजा जाएगा। चौकी इंचार्ज का कहना है कि उनके एरिया में कई लोग ऐसे रह रहे हैं जिनके असली स्थायी पते ही किसी के पास नहीं हैं। वैरीफिकेशन के लिए सभी चौकियों पर फार्म मौजूद हैं। इसमें पब्लिक का सहयोग काफी जरूरी है। पब्लिक को बिना डर के सूचना देने के लिए आगे बढ़ना होगा। राजीव मल्होत्रा, एसपी सिटी बरेली