Laughter ka ‘dose’
ठंड भी इनके आगे फेल सुबह कोहरे की चादर के बीच स्पोट्र्स स्टेडियम में हंसी-ठहाकों की आवाज सुनने को मिले तो चौंकिएगा मत। लाफ्टर थैरेपी की चाह दूर-दूर से रेजिडेंट्स को यहां खींच लाती है। वर्किंग पर्सन, व्यवसायी, हाउसवाइफ सभी इस क्लब का हिस्सा हैं। ठंड की ठिठुरन भी इनके हौसलों के आगे पस्त नजर आती है। हंसी को ये हंसी में नहीं उड़ाते हैं। इस थैरेपी का अपना अनुशासन है। सुबह ठीक 5 बजे क्लब मेंबर फील्ड में प्रजेंट हो जाते हैं। फिर शुरू होता है ऐसा सिलसिला जो आस-पास मौजूद सभी लोगों भी हंसने पर मजबूर कर देता है।4 साल पहले एक-दो ही थे
सिटी में लाफ्टर क्लब रोज पार्कों को गुलजार करते हैं। क्लब मेम्बर्स की मानें तो इनीशियली इस क्लब का हिस्सा सिर्फ बुजुर्गवार हुआ करते थे। मगर स्ट्रेस्ड लाइफ ने क्लब्स की सूरत बदल दी है। अब यूथ भी इन लॉफ्टर क्लब का रुख कर रहा है। 4 साल पहले तक शहर में इक्का-दुक्का लाफ्टर क्लब हुआ करते थे। उसमें भी सीनियर सिटीजन शामिल होते थे। मगर अब ये सूरत बदल चुकी है। आजकल इन क्लब्स का हिस्सा हाउसवाइव्ज और सर्विसपर्सन ज्यादा हैं।सिर्फ हंसे नहीं खुलकर हंसे
लाफ्टर क्लब्स का मोटो ये है कि सिर्फ हंसे नहीं, बल्कि खुलकर हंसे। आपके आस-पास माहौल ऐसा बन जाए कि कोई पास से भी गुजरे तो हंसे बिना न रह सके। बहुत से क्लब तो ऐसे हैं जिन्हें कोई लीड नहीं करता है। बस खुद को रिलेक्स करने के लिए खुद-ब-खुद बन गए हैं।ये नैचुरल पेन किलर है रिसर्च बताती है कि हंसने से मस्तिष्क में एक स्पेशल न्यूरोट्रांसमीटर पैदा होता है। यह नैचुरल पेन किलर होता है, जो ह्यूमन बॉडी में दर्द सहने की क्षमता बढ़ा देता है। यह ब्लड में कार्टिसोल का लेवल नहीं बढऩे देता है। साथ ही हमारे बौद्धिक स्तर को बढ़ाता है। हंसते समय हार्ट, गला, फेफड़ा और श्वांस नली की एक्सरसाइज हो जाती है। इसका बॉडी पर बहुत पॉजिटिव असर पड़ता है। इससे इम्यूनिटी सिस्टम मजबूत होता है। हंसते समय बॉडी में ब्लड सर्कुलेशन तेज हो जाता है। कई हार्मोन और पाचक एंजाइम का स्राव होता है, जिससे पेन, हार्ट डिजीज और ब्लड प्रेशर जैसी डिजीजेज से निपटने में मदद मिलती है। हंसी का है पुराना इतिहास
13वीं शताब्दी में डॉक्टर अपने पेशेंट का ध्यान दर्द से हटाने के लिए उनके साथ हंसी मजाक करते थे। कहते हैं, प्राचीन यूनान के डॉक्टर अपने पेशेंट को हास्य प्रधान नाटक देखने भेजा करते थे। भारत में राजा महाराजा अपने दरबार में विदूषकों की उपस्थिति इसीलिए रखते थे, ताकि हंसी मजाक के जरिए सभी का स्वास्थ्य बेहतर रहे। राजा भोज के दरबार में तेनालीराम थे तो अकबर के दरबार में उनके परम मित्र महेश दास जिन्हें पूरी दुनिया बीरबल के नाम से जानती है। शायद यही कारण है कि अब बॉलीवुड का झुकाव भी ज्यादा से ज्यादा कॉमेडी मूवीज की तरफ बढ़ता जा रहा है। यहां हैं लाफ्टर क्लब* डीडीपुरम शील हॉस्पिटल के सामने वाला पार्क * स्पोट्र्स स्टेडियम* सीआई पार्क * राजेंद्र नगर में बांके बिहारी मंदिर के सामने वाला पार्क मेरा लाफ्टर क्लब से खासा जुड़ाव है। सच पूछिए तो मुझे यहां आकर सबसे ज्यादा अच्छा लगता है। मुझे इसे ज्वॉइन किए हुए तकरीबन 6 महीने हो गए हैं। जब से यहां आना शुरू किया है, मेरी हेल्थ में सुधार हुआ है। -सोना अरोरा, रेजिडेंटमैंने सिर्फ सुना था लाफ्टर क्लब के बारे में। डीडीपुरम में मॉर्निंग वॉक के लिए आती थी। यहां उन्हें देखकर मुझे बहुत अच्छा लगता था। कुछ दिन बाद मैंने भी ज्वॉइन कर लिया। अब मुझे सबके बीच खुलकर हंसते हुए इतना अच्छा लगता है कि बयां नहीं कर सकती। -रेखा, रेजिडेंट
मुझे इस क्लब को ज्वॉइन किए हुए एक साल से ज्यादा हो गया है। हंसती तो हमेशा से थी लेकिन खुलकर हंसना क्या होता है, ये यहीं आकर जाना। पहले तो मेरी तबियत भी खराब रहती थी। मेरी फ्रेंड्स के सजेशन पर लाफ्टर क्लब ज्वॉइन किया। अब तो बस हंसी ही हंसी है।-सोनिया भसीन, रेजिडेंट हमारा क्लब 2 साल पुराना है। वरिष्ठ नागरिक कल्याण सेवा समिति के बैनर तले इस वक्त 80 से ज्यादा मेम्बर हैं। हंसना और हंसाना ही हमारा काम है। हमारे क्लब में ऐसे भी लोग आए जो ज्वॉइनिंग के वक्त बेहद परेशान नजर आते थे, मगर आज खुशमिजाज है। -बीके कोचर, रेजिडेंट Report by: Abhishek Mishra