- उर्स के आखिरी दिन देश और विदेश के जायरीनों ने की शिरकत

- देर शाम शुरू हुई सूफियाना रूहानी महफिल में फनकारों ने बांधा समां

BAREILLY: खानकाह नियाजिया में तीन दिवसीय रूहानी महफिल का थर्सडे को आखिरी जश्न मनाया गया। इस मौके को खास बनाने के लिए सभी तैयारियां पहले ही पूरी कर ली गई थीं। इसमें शिरकत करने के लिए वेडनसडे देर रात से ही विदेशी जायरीन पहुंचने लगे थे। ऐसे में देश के कई राज्यों के फनकारों ने देर शाम सूफियाना रूहानी महफिल में मशहूर शायरों और बुजुर्गवार की कलमों को सुरों और साजों से सजाया। खानकाहे नियाजिया के प्रबंधक शब्बू मियां नियाजी ने बताया कि उर्स में शिकरत करने आए फनकारों अपने साजो सामान के साथ तसरीफ लाए थे। करीब क्भ् चौकियां सजाई गई। सभी कार्यक्रम सज्जादानशीन शाह मुहम्मद हसनैन उर्फ हसनी मियां की सरपरस्ती में संपन्न हुए।

दिन भर दुआओं का सिलसिला

हजरत शाह मुहम्मद तकी रहमतुल्ला अलैह का तीन दिनी उर्स के आखिरी दिन के मौके पर खानकाह नियाजिया जायरीन से गुलजार रहा। खानकाह के प्रबंधक शब्बू मियां नियाजी ने बताया कि उर्स का आगाज थर्सडे को कुरान ख्वानी में उस्ताद और छात्रों ने हिस्सा लिया। दोपहर फातिहा ख्वानी के बाद लंगर शुरू हो गया। सुबह से ही जायरीन ने गुलपोशी, चादरपोशी, नजर नियाज, महफिले समां, महफिले मीलाद, कुल, हल्का ए जिक्त्र, चिश्तिया रंग, कड़का और खुसूसी दुआ में शिरकत में मौजूद रहे। उर्स से अमन, भाईचारा और आपसी मुहब्बत का पैगाम और तमाम इंसानियत के लिए दुआ की गई।

लंगर में उमड़ती रही भीड़

खानकाह नियाजिया के शब्बन मियां नियाजी ने बताया कि लंगर की शुरुआत सुबह करीब आठ बजे ही शुरू हो गया था। जायरीनों की उमड़ने वाली भीड़ को देखते हुए लंगर को दूसरी बार रात करीब आठ बजे शुरू किया गया, जो देर रात करीब क्ख् बजे तक चला। उन्होंने बताया कि उर्स के मौके पर सभी धर्मो के मानने वाले शिरकत करते हैं। इसलिए लंगर में नॉनवेज और वेज दोनों के ही अरेंजमेंट्स थे, ताकि आने वाले जायरीन को बाहर से खाने की व्यवस्था ना करनी पड़े। उर्स के आखिरी दिन करीब ख्0 हजार से भी ज्यादा जायरीन ने शिराकत की। वहीं करीब आठ से दस हजार जायरीन के लिए लंगर की व्यवस्था की गई थी।

यहां से आए जायरीन और फनकार

शब्बू मियां नियाजी ने बताया कि उर्स के आखिरी दिन जर्मनी, इंडोनेशिया, स्पेन, अफगानिस्तान, इंग्लैंड व लखनऊ, बिहार, मध्य प्रदेश, इलाहाबाद, कानपुर, आंध्रप्रदेश, नासिक, बैंगनबल्ली व अन्य राज्यों से जायरीन ने शिरकत की। इनके लिए रहने और भोजन के मुफ्त इंतजाम किए गए थे। दूसरी ओर कव्वाली के प्रोग्राम में बरेली समेत रामपुर, मुरादाबाद, बदायूं, दिल्ली, अमरोहा व अन्य जिलों के फनकारों ने हिस्सा लिया। रामपुर सहसवान घराने से ताल्लुक रखने वाले फनकार मोहम्मद शरीफ नियाजी ने बताया कि सूफियाना संगीत इंसानियत की सबसे बड़ी पैरोकार है। संगीत सीमाएं, धर्म, जाति और भेदभाव को भुलाने का काम करता है। उर्स इसी का पैगाम देता है।

Posted By: Inextlive