--Basic amenity से जूझ रहा है RU

BAREILLY: आरयू अपना फाउंडेशन डे सैटरडे को मनाने जा रहा है। अब तक 39 बसंत देख चुके आरयू को स्टूडेंट्स फ्रेंडली बनने के रास्ते में कई पड़ाव पार करने बाकी हैं। स्टूडेंट्स को फैसिलिटीज प्रोवाइड कराने के लिए यूनिवर्सिटी में बेसिक एमिनिटीज की भारी कमी है। जहां कई प्रोफेशनल कोर्सेज की दरकार है वहीं स्टूडेंट्स की प्रॉब्लम्स को सुनने और उन्हें सॉल्व करने के लिए कोई एक दरवाजा नहीं है। स्टूडेंट्स अपनी प्रॉब्लम्स को लेकर यूनिवर्सिटी की ऑफिसेज की देहरी पर माथा टेकते-टेकते थक जाते हैं। अंत में वह सुविधा शुल्क जैसी सीढ़ी का सहारा लेकर प्रॉब्लम्स से पिंड छुड़ाते हैं।

Professional course की कमी

आरयू 1975 में स्थापित हुआ। जबकि 1985 में रेजीडेंशियल कैंपस के रूप में स्थापित हुआ। आरयू की स्थापना मेनली पीजी कोर्सेज को फोकस में रखते हुए की गई। इसका मोटिव था कि यूनिवर्सिटी में प्रोफेशनल कोर्सेज की पढ़ाई हो और कैंपस में रिसर्च का एनवायरमेंट बिल्ड अप हो, लेकिन इतने वर्षो के बीतने के बाद भी यूनिवर्सिटी में पीजी लेवल पर ज्यादा डिमांडेड कोर्सेज नहीं शुरू किए गए हैं। इंजीनियरिंग के कई कोर्सेज कंडक्ट तो जरूर किए जाते हैं, लेकिन वह यूजी लेवल के हैं। काफी समय से एमटेक कोर्स शुरू करने की मांग चल रही है। इसकी कवायद भी शुरू हुई, लेकिन यूनिवर्सिटी की कमजोर इच्छा शक्ति के आगे दम तोड़ गई। इसके अलावा एमफार्मा कोर्स भी शुरू कराने के लिए यूनिवर्सिटी काफी लंबे समय से प्रयास कर रहा है। प्रोफेशनल कोर्सेज की जब बात आती है तो एलएलएम व एमएससी प्लांट साइंस और एनिमल साइंस के अलावा आरयू के पास इतराने के लिए और कुछ नहीं है।

Students friendly नहीं

यूनिवर्सिटी कैंपस की पहचान स्टूडेंट्स फ्रेंडली एनवायरमेंट से होती है। आरयू इस पर बिल्कुल भी खरा नहीं उतरता। इतने वर्षो के बाद भी आरयू आज तक सिंगल विंडो सिस्टम लागू नहीं कर पाया है, जहां पर स्टूडेंट्स आकर अपनी सभी प्रॉब्लम्स के सॉल्यूशन का जवाब ढूंढ सकें। एक अदद मार्कशीट व डिग्री निकलवाने, फॉर्म करेक्शन कराने, एडमिट कार्ड लेने, मार्कशीट करेक्शन कराने समेत कई बेसिक प्रॉब्लम्स को लेकर स्टूडेंट्स को ऑफिसेज के चक्कर काटने पड़ते हैं। इस चौखट से उस चौखट तक एड़ी रगड़ते हैं, और जब थक-हार जाते हैं तो वही काम चंद सुविधा शुल्क चुका कर करवाते हैं।

Mismanagement

आरयू में कई लेवल पर मैनेजमेंट की कमी है। हाईटेक युग में आरयू में अभी तक पुरानी परंपराएं ही निभाई जा रही हैं। मिस मैनेजमेंट की वजह से सबसे ज्यादा स्टूडेंट्स को ही खामियाजा भुगतनी पड़ती हैं। एडमिशन सिस्टम को ही रेगुलराइज नहीं कर पाया। साल भर आरयू में एग्जाम फॉर्म भरवाए जाते हैं। ऑनलाइन एडमिशन की कवायद तो पिछले ख् वर्षो से चल रही है। मिसमैनेजमेंट का फायदा कॉलेजेज और शिक्षा माफिया उठा रहे हैं। स्टूडेंट्स का ना तो टाइम से एग्जाम कंडक्ट हो पाता है और ना ही टाइम से रिजल्ट निकलता है। कॉपी चेकिंग में भी पारदर्शिता नहीं है। कॉलेजेज जमकर स्टूडेंट्स का शोषण करते हैं। स्टूडेंट्स फर्जी फॉर्म जैसे फर्जीवाड़े में फंस कर हर वर्ष अपने को ठगा सा महसूस करते हैं।

Posted By: Inextlive