खुद बीमार है रोडवेज का फस्र्ट एड बॉक्स
फस्र्ट एड नहीं टूल बॉक्सआई नेक्स्ट की टीम ने थर्सडे को बस स्टैंड पर कई बसों के फस्र्ट एड बॉक्स को चेक किया। सिचुएशन चौंकाने वाली दिखी। फस्र्ट एड बॉक्स में एंटीसेप्टिक, कॉटन, बैंडेज और पट्टी की जगह बस से रिलेटेड सर्जिकल टूल्स मिले। वहीं कई बॉक्सेज में क्वॉयल रखी हुई थी। इसी तरह सभी ने दूसरे सामान रखे हुए थे। तो कहां जाते हैं 71 हजार रुपए?
बरेली मंडल में परिवहन विभाग की अपनी 404 बसें हैं। वहीं अनुबंधित बसों की संख्या 54 है। एक बस पर फस्र्ट एड बॉक्स के लिए सालाना 155 रुपए मिलते हैं। इस हिसाब से साल भर में इन बसों पर डिपार्टमेंट को करीब 71 हजार रुपए मिलते हैं। वहीं जरूरत पडऩे पर मुख्यालय को इंफॉर्म कर दोबारा पैसे की मांग भी कर ली जाती है। अब क्वेश्चन यह रेज होता है कि जब बसों में फस्र्ट एड बॉक्स की यह सिचुएशन है तो इसके लिए मिलने वाला फंड आखिर किसकी जेब में जाता है?लाखों लोग राम भरोसे
केवल अप्रैल के आंकड़ों पर गौर करें तो बरेली मंडल में 23 लाख 50 हजार पैसेंजर्स ने रोडवेज बसों से जर्नी की। इसके बावजूद परिवहन विभाग पैसेंजर्स के प्रति लापरवाह रवैया अपना रहा है। उनके प्राइमरी ट्रीटमेंट के प्रति एकदम उदासीन है। हालत यह है कि मेडिसिन की जगह दूसरे सामान रखे हुए हैं।हुआ जहरखुरानी का शिकाररोडवेज बसों में जहरखुरानी की घटनाएं आम होती जा रही हैं। कई बार बसों फस्र्ट एड की सुविधा न होने की वजह से पैसेंजर की जान पर बन आती है। थर्सडे को प्रेमनगर का रहने वाला 20 वर्षीय अकरम रोडवेज की बस में जहरखुरानी का शिकार हो गया। जहरखुरानों ने उसके पास से 11 हजार नगद, मोबाइल और कपड़े लूट लिए। उसे डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में एडमिट करवाया गया है। इस साल अब तक हुई घटनाएं4 मार्च - सैटेलाइट के पास एक्सीडेंट में तीन लोग इंजर्ड हो गए थे।17 मार्च - एक युवक जहरखुरानी का शिकार हो गया था।22 मार्च - एक को बनाया जहरखुरानी का शिकार।26 मार्च - हाफिजगंज में रोडवेज बस ने दो बाइक सवार को रौंदा।29 अप्रैल - बहेड़ी शीशगढ़ रोड पर बस पलटने से एक की मौत। 1 मई - नैनीताल रोड पर रोडवेज बस पलट जाने से एक की मौतरोडवेज बसों से डेली हजारों लोग जर्नी करते हैं। पैसेंजर्स की सुरक्षा को लेकर बसों में फस्र्ट एड बॉक्स होने चाहिए। - ओमप्रकाश, पैसेंजर
हर कोई तो मेडिसिन लेकर जर्नी नहीं कर सकता है। इस पर लाखों रुपए खर्च हो रहे हैं तो सुविधाएं मिलनी चाहिए।- नेहा, पैसेंजरइसमें रोडवेज के अधिकारियों की गलती है। अगर अधिकारी एक्टिव रहें तो लोगों को कोई प्रॉब्लम न हो।- प्रतिभा सिंह, पैसेंजरफस्र्ट एड बॉक्स की जरूरत नहीं पड़ती। जिस रूट पर बसों का संचालन हो रहा है उस रूट पर प्राइमरी हेल्थ सेंटर बने हैं। इन पर ट्रीटमेंट किया जाता है।- पीके बोस, आरएम,परिवहन विभाग, बरेली