हस्त नक्षत्र के शुभ योग में रखें हरतालिका तीज व्रत
बरेली (ब्यूरो)। भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया को रखा जाने वाला हरितालिका तीज का व्रत 30 अगस्त को मनाया जाएगा। यदि तृतीया के दिन हस्त नक्षत्र&य हो तो इसका महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। बालाजी ज्योतिष संस्थान के पं। राजीव शर्मा का कहना है कि इस दिन भगवान शिव और पार्वती (गौरी-शंकर)का विशेष पूजन किया जाता है। इस व्रत को कुमारी तथा सौभाग्यवती स्त्रियां ही करती हैं.लेकिन शास्त्रों में इसके लिए सधवा-विधवा सबको आज्ञा है। इस बार मंगलवार को हस्त नक्षत्र एवं शुभ योग पूरे दिन रहेगा। विशेष बात यह कि इस दिन शुक्ल पक्ष, कन्या राशि का चंद्र भी होगा। जिसका महत्व और भी बढ़ जाता है। इन दोनों शुभ योगों में व्रत, पूजा एवं दान का अति शुभ फल प्राप्त होकर पति दीर्घायु को प्राप्त करेगा।
पूजन विधि-विधान
इस दिन प्रात: काल दैनिक क्रिया से स्नान आदि से निपट कर रखने का विधान है। स्त्रियां उमा-महेश्वर सायुज्य सिद्दये हरतालिका व्रत महे करिष्ये संकल्प करके कहें कि हरतालिका व्रत सात जन्म तक राज्य और अखंड सौभाग्य वृध्दि के लिए उमा का व्रत करती हूं। भगवान गणेश का पूजन करके गौरी सहित महेश्वर का पूजन करें। इस दिन स्त्रियों को निराहार रहना होता है। संध्या समय स्नान करके शुद्ध व उज्वल वस्त्र धारण कर पार्वती तथा शिव की मिट्टी की प्रतिमा बनाकर पूजन की सम्पूर्ण सामग्री से पूजा करनी चाहिए। सायंकाल में स्नान करके विशेष पूजा करने के पश्चात व्रत खोला जाता है।
सुहाग की पिटारी में सुहाग की सभी वस्तुएं रखकर पार्वती को अर्पित करने का विधान इस व्रत का प्रमुख लक्ष्य है। शिवजी को धोती और गमछा चढ़ाया जाता है। यह सुहाग सामग्री किसी ब्राह्मणी तथा धोती और अंगोछा किसी ब्राह्मण को देकर तेरह प्रकार के मीठे व्यंजन सजाकर रुपयों सहित सास को देकर उनका चरण-स्पर्श करना चाहिए। इस प्रकार पार्वती तथा शिव का पूजन-आराधना करके कथा सुननी चाहिए। इस व्रत को करने वाली स्त्रियां पार्वती के समान सुखपूर्वक पति रमण करके शिव लोक को जाती हैं। इस प्रकार इस व्रत के करने से स्त्रियों को सौभाग्य प्राप्त होता है।
इस दिन ही है कलंक चतुर्थी
भाद्र शुक्ल चतुर्थी के दिन चंद्रदर्शन होने पर मिथ्या कलंक लगता है। मान्यताओं के अनुसार चतुर्थी तिथि में चंद्र उदय होकर पंचमी तिथि तक उदयमान रहे अर्थार्त चंद्र-अस्त पंचमी तिथि में हो तो सिद्धिविनायक व्रत के दिन चंद्र-दर्शन करना अथवा होना दोषकारक नहीं माना जाता है। पहले दिन सांयकाल से चतुर्थी तिथि प्रारम्भ हो अर्थात तृतीया में चंद्र-उदय होकर चतुर्थी की व्याप्ति तक चंद्र-दर्शन हो (चंद्र-चतुर्थी तिथि में हो) तो चंद्र-दर्शन का दोष पहले दिन होगा। चाहे उस दिन सिद्धिविनायक व्रत न भी हो। चतुर्थी तिथि में ही चंद्र-दर्शन का दोष लगता है। इस वर्ष सिद्दी विनायक व्रत माध्यन्ह व्यपिनी चतुर्थी 31अगस्त बुधवार को है। परन्तु चतुर्थी तिथि 30 अगस्त मंगलवार को दोपहर बाद 3:34 बज़े से प्रारम्भ हो रही है तथा इस दिन चतुर्थी के समय ही रात्रि 8:45 बज़े पर चंद्रास्त्त होगा। जबकि 31अगस्त को चतुर्थी तिथि दोपहर 3:23 बज़े तक ही है तथा इस दिन चंद्र अस्त रात्रि 9:15 बज़े होगा। जबकि पंचमी तिथि व्याप्त होगी। अत: शास्त्र निर्देशनुसार 30 अगस्त 2022, मंगलवार को ही चंद्रदर्शन का निषेध मानेंगे।