अंत तक उत्तर ढूंढता रहा कौमुदी
- सैटरडे को प्ले 'कौमुदी' में कलाकारों की परफार्मेस ने बांधा समां
BAREILLY: प्राण, प्रतिज्ञा और कलातीन प्रश्नों और पीढि़यों की टकराहट से उपजते सवालों को अभिमन्यु और एकलव्य के संवादों के माध्यम से दिखाने का सार्थक प्रयास कहानीकार ने प्ले 'कौमुदी' में किया है, वहीं, कलाकारों ने भी कहानी को जीवंत रूप देने में कहीं चूक नहीं की। 9वें विंडरमेयर थिएटर फेस्ट दूसरे दिन अभिषेक मजूमदार के निर्देशन में बंगलुरु के इंडियन एसेंबल के कलाकारों की बेहतरीन परफार्मेस दी। ब्लैकबाक्स थिएटर में प्रॉप्स एंड प्रॉपर्टी, लाइटिंग, म्यूजिक और एक्टिंग का बेजोड़ तालमेल दिखाई दिया। वहीं, रॉकस्टार, रांझणा और दिल पे मत ले यार जैसी बेहतरीन मूवीज में अभिनय का लोहा मनवाने वाले एक्टर कुमुद मिश्रा ने प्रस्तुत रंगमंच में बेहतरीन परफार्मेस दी। चहेते एक्टर की एक झलक पाने को दर्शकों का हूजूम विंडरमेयर में मौजूद रहा। रंगमंच किसका होता हैआखिर रंगमंच किसका है दर्शकों का या रंगकर्मी का। आनंद के मलयालम उपन्यास 'व्यासम विज्ञनेश्वरम' और जॉर्ज लुई बोर्ज के निबंध 'ब्लाइंडनेस' से प्रेरित प्ले 'कौमुदी' आखिर तक प्रश्नों के उत्तर को अंत तक ढूंढता रहा। नाटक की शुरुआत इलाहाबाद के नीलिमा रंगमंच पर सत्यवीर के आखिरी तीन प्ले के साथ होता है। पिता सत्यशील, जो कि जाने माने महान अभिनेता हैं। उनका बेटा पारितोष जो कि आजीवन पिता के सानिध्य व प्यार से वंचित रहा है। अब न सिर्फ पिता के लिए चुनौती है बल्कि उनके पूरे विचारों के लिए भी चुनौती है। दोनों पिता पुत्र एक ही नाटक में क्रमश: एकलव्य का भूत और अभिमन्यु के किरदार निभाते हैं। इन्हीं के संवादों के माध्यम से बिचारों की टकराहट होती है और प्ले आगे बढ़ता है। इस दौरान रंगविनायक सीईओ शिखा सिंह, डॉ। गरिमा सिंह, डॉ। बृजेश्वर सिंह, नवीन कालरा, डॉ। एसई हुदा मौजूद रहे।