'काली' बनी आंखों का तारा
तेज हुईं तैयारियांरामगंगा के आस-पास एक नया शहर भी बसना शुरू हो गया है। आखिर गंगा स्नान में अब केवल तीन दिन ही तो बाकी रह गया है। बरेली से ही नहीं वरन अन्य डिस्ट्रिक्ट व स्टेट के लोग भी इस मेले में पुण्य कमाने की चाहत लेकर आते हैं। यहां कल्पवास करने वालों के साथ पिकनिक मनाने वाले लोग भी पहुंचते हैं। यहां रहने के लिए पहले से ही लोगों ने तंबू लगाने के लिए स्पेश कवर कर लिया है। ताकि वह जिस दिन यहां आएं, उन्हें उनकी मनपसंद जगह मिल सके। 'नखासा' है खास
चौबारी में घोड़ों का नखासा लगना शुरू हो गया है। नखासे में नुखरा और सिंधी प्रजाति के घोड़ों की धाक नजर आ रही है। गुजरात, पंजाब, राजस्थान से लाए गए ये घोड़े अब अपने करिश्मे दिखाने को तैयार हैं। 28 को गंगा स्नान के दिन इन घोड़ों की रेस भी ऑर्गनाइज की जा रही है। इसके लिए इन घोड़ों के ओनर्स अपने-अपने घोड़ों को जमकर तैयारी करवा रहे हैं। वहीं इस नखासे में घोड़े के खरीदार भी दूर-दूर से आ रहे हैं। यहां सबसे ज्यादा कीमत सिंधी और नुखरा घोड़ों की है। हांलाकि अभी तो घोड़ों की आमद चल ही रही है। पर अब नखासे में आ चुके घोड़ों में सबसे महंगी राजस्थान से आई सिंधी घोड़ी 'कालीÓ है। 'कालीÓ की कीमत उसके ओनर जयदीप सिंह ने 3.50 लाख रखी गई है। प्रदूषित घाट पर कैसे होगी पूजाचौबारी मेले में प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए 50 स्वच्छ घाट व महिलाओं के लिए 5 कवर्ड घाट बनाने का दावा तो कर दिया है। पर गंगा स्नान में केवल तीन दिन बाकी हैं और घाटों की स्थिति अभी भी ठीक नहीं है। रामगंगा पर बने मंदिर के पास के घाट पर पूजन सामग्री, कपड़े, विसर्जित मूर्तियां आदि बिखरी हुई हैं। ऐसे में कार्तिक पूर्णिमा के दिन पावन स्नान के लिए श्रद्धालुओं को डुबकी लगाने में भी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।यहां पूरी होती है मनोकामना चौबारी का मेला 85 साल पहले 1927 में लगाया गया था। तब गांव के बुजुर्गों ने आसपास गांव वालों के गेट टु गेदर के लिए इसे शुरू किया था। पर धीरे-धीरे इसकी मान्यता बढ़ती गई और देश भर के लोग यहां आने लगे। मान्यता के मुताबिक इस धरती पर कल्पवास करने और गंगा स्नान करने से मनोकामना पूर्ण होती है। इसके बाद से ही लोग यहां तकरीबन पांच दिन का कल्पवास तो करते ही हैं। गुलाबी आंखों का जलवा
पीलीभीत से आए इंतजार अली पंजाब से नुखरे घोड़े लेकर आए हैं। सफेद रंग के ये घोड़े बरबस ही आकर्षित करते हैं। वहीं पास जाने पर गुलाबी आंखें मोह लेती हैं। इंतजार अली ने बताया कि उनकी खेप में सबसे महंगा राजा है। इसकी कीमत सवा लाख रुपये हैं। इसकी चाल 40-45 किमी प्रति घंटा है। 'महबूबलाखा' और 'तूफानभारा' परदांव जहां तक नजर जाएगी दूर तक घोड़ों की लाइन ही नजर आएगी। सिंधी घोड़ों की डिमांड को देखते हुए ही मो। वसीम गुजरात से सिंधी घोड़ों की फौज लेकर यहां पहुंचे हैं। इस फौज में सबसे खास 'महबूब लाखाÓ और 'तूफान भाराÓ हैं। वसीम ने महबूब की कीमत 2:50 लाख तो तूफान की 2 लाख निर्धारित की है। वसीम ने बताया दोनों ही दो साल के हैं। ये रेस के घोड़े हैं। इनमें महबूब की स्पीड तूफान से कुछ ज्यादा है। इसलिए ही कीमत में फर्क है। महबूब 50-60 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से तो तूफान 45-50 किमी प्रति घंटा स्पीड है। डीएम ने किया इनॉग्रेशन
सैटरडे को चौबारी मेला का डीएम अभिषेक प्रकाश ने रिबन काटकर विधिवत इनॉग्रेशन किया। इस ऑकेजन पर डीएम ने मेले की सुख शांति के लिये वेद मंत्रों द्वारा विधिवत पूजा अर्चना की, जिसे पंडित राम निवास मिश्र ने सम्पन्न कराया। पूजन के बाद द्वीप प्रज्जवलन किया गया तथा शांति के प्रतीक कबूतर छोड़े गए. डीएम ने एसएसपी सत्येंद्र वीर सिंह के साथ गुब्बारे भी छोड़े। इस मौके पर आतिशबाजी भी की गई। प्रोग्राम में मेला अध्यक्ष एडीएम ई ए.के.उपाध्याय, एसपी सिटी शिव सागर सिंह, एडीएम एफआर शिशिर सहित पुलिस तथा प्रशासन के कई अधिकारी मौजूद रहे।