Bareilly: हमारे देश में एक तरफ औरत को देवी के तौर पर पूजा जाता है और दूसरी ओर दहेज के लिए उन्हें जिंदा जलाया भी जाता है. यह हमारे सभ्य समाज पर एक बदनुमा दाग है. यह जघन्य है एक केस की सुनवाई के दौरान फार्मर जस्टिस मार्केंडेय काटजू ने ये कमेंट दिए थे.


नेशनल क्राइम रिकॉड्र्स ब्यूरो के 2010 के डेटा के अनुसार 8391 डाउरी डेथ के केसेस पूरे देश में दर्ज?हुए। आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं देश में हर नब्बे मिनट पर एक महिला दहेज के दानव की भेंट चढ़ जाती है। अगर हम बरेली की बात करें तो वर्ष 2012 में ही अब तक लगभग 400 दहेज से जुड़े केसेज अलग-अलग थानों में दर्ज हो चुके हैं। जबकि इस साल अब तक चार दर्जन से अधिक महिलाएं दहेज की भेंट चढ़ चुकी हैं।


लोगों की महत्वाकांक्षा काफी बढ़ गई है। पैसे के प्रति लालसा बढ़ती जा रही है। अपेक्षाएं इतनी बढ़ चुकी हैं कि सब कुछ पाने के बाद भी और पाने की चाह बनी रहती है। लोअर मिडिल क्लास में यह प्रवृत्ति ज्यादा पनप रही है। पढ़े-लिखे तबके में ऐसे मामले बहुत कम देखने को मिल रहे हैं। क्योंकि वे अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए स्वयं सक्षम हैं। वहीं लोअर मिडिल क्लास के लोग अपनी जरूरतें बढ़ाते जा रहे हैं और उन जरूरतों को पूरा करने के लिए ऐसे कदम उठाने लगते हैं।डॉ विमला गुप्ता, काउंसलर8391 डावरी डेथ केसेज 2010 में पूरे देश में हुए थे रजिस्टर्ड 90 मिनट पर देश में दहेज के लिए जलाई जाती है एक महिला

 1961 दहेज के खिलाफ देश में बना था कानून।3 साल पहले सुप्रीम कोर्ट ने दहेज के लिए महिला को जलाने वालों को दया के दायरे से बाहर रखने का किया था ऐलान

Posted By: Inextlive