जंक्शन के प्लेटफॉर्म 2 की घटना, ट्रेन पर चढ़ने की कोशिश में कटा युवक का पैर

बिहार से जालंधर जा रहा युवक पानी पीने उतरा था जंक्शन पर, पहले भी दो मौतें हुई

BAREILLY:

बरेली जंक्शन पर प्यास बुझाने को प्लेटफॉर्म पर उतरना एक और मुसाफिर को जिंदगी भर का दर्द दे गया। तपती गर्मी में गला तर करने को दो घूंट पानी पीने की ललक ने एक युवक को जिदंगी भर के लिए अपाहिज बना दिया। ट्यूजडे को जंक्शन पर पहुंची जननायक एक्सप्रेस में प्यास से बेहाल होने पर युवक प्लेटफॉर्म 2 पर पानी पीने को उतरा। वॉटर बूथ पर पानी के लिए भीड़ ज्यादा होने से उसे प्यास बुझाने में देरी हुई। इतने में ट्रेन ने चलने का सिग्नल कर दिया। यह सिग्नल ट्रेन के छूटने भर का नहीं युवक की जिंदगी में होने वाले हादसे का इशारा भी था। प्यास बुझाने में हुई देरी को दुरुस्त करने को युवक ने जल्द दौड़कर ट्रेन पकड़ने की कोशिश की, लेकिन यह कोशिश कभी न भूल पाने वाले हादसे का सबब बनी। कोच के गेट पर चढ़ने की जल्दी में युवक का पैर फिसल गया और उसका बायां पैर ट्रेन के नीचे आ गया।

नौकरी पर जा रहा था युवक

बिहार के पटरौना में रहने वाला नरसिंह जालंधर में फर्नीचर शॉप में काम करता है। कुछ दिन पहले ही वह छुट्टियों पर अपने घर गया था। मंडे को वह अपने साथियों संग जननायक एक्सप्रेस के जनरल कोच में सवार हो वापस ड्यूटी ज्वाइन करने जालंधर के लिए रवाना हुआ। करीब 1.40 बजे जंक्शन के प्लेटफॉर्म 2 पर ट्रेन रुकी। प्यास बुझाने को ही नरसिंह प्लेटफॉर्म पर उतरा, जब यह दर्दनाक हादसा हो गया। युवक के ट्रेन के नीचे आते ही प्लेटफॉर्म पर हल्ला मच गया। घायल युवक को उठाकर उसके साथियों ने जीआरपी को इंफॉर्म किया। करीब 25 मिनट बाद पहुंची जीआरपी ने घायल युवक को डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के इमरजेंसी वाडर्1 में एडमिट कराया।

मां पर टूटा प्यास का कहर

जंक्शन पर प्यास बुझाने की हसरत ही सवा महीने पहले एक मां को जिंदगी भर न भुला पाने वाला सदमा दे गई। मदर्स डे पर 10 मई को जंक्शन पर पानी लेने की कोशिश एक किशोर की जान जाने की वजह बनी। बिहार के छपरा जिले के गांव ससना की रहने वाली कलावती 10 मई को गरीबरथ से दिल्ली के लिए सफर कर रही थी। महिला के साथ जनरल कोच में उसके 4 बच्चे व भतीजा था। जंक्शन पर प्यास लगने पर महिला का 14 साल का बेटा प्रदीप प्लेटफॉर्म पर पानी भरने उतरा। पानी के बूथ पर भीड़ होने से वह समय पर बोतल न भर सका। इतने में ट्रेन चल दी। मजबूरी में वह कोच के गेट पर ही लटक गया। जंक्शन से ट्रेन के छूटते ही नगरिया सआदत के पास चलती ट्रेन से 14 साल का प्रदीप कोच के डिब्बे से गिर गया और उसकी मौत हो गई।

खूनी प्यास ने ली दूसरी जान

जंक्शन पर प्यास बुझाने की गलती एक और मुसाफिर की जिंदगी पर भारी पड़ गई। खूनी प्यास का कहर इस बार भी 15211 जननायक एक्सप्रेस के ही एक मुसाफिर पर टूटा। 21 मई की दोपहर जंक्शन के प्लेटफॉर्म दो पर पहुंची जननायक एक्सप्रेस के जनरल कोच से उतरे एक मुसाफिर ने प्यास बुझाने के लिए नल बूथ पर पानी की बोतल भरी। भीड़ ज्यादा होने के चलते उसे पानी पीने के लिए इंतजार करना पड़ा। पानी भरने के दौरान ही अचानक ट्रेन के चलते ही युवक ने दौड़कर कोच में चढ़ने की कोशिश की। लेकिन इस कोशिश में उसका पैर फिसल गया और ट्रेन के नीचे आने से उसकी मौत हो गई। मौके पर पहुंची जीआरपी ने पंचनामा भरने के लिए युवक की पहचान की कोशिश की, लेकिन जेब में कोई पहचान पत्र न होने से युवक की शिनाख्त तक न हो सकी थी।

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रेलवे की 'खूनी' लापरवाही

जंक्शन पर पिछले सवा महीने में प्यास बुझाने की कोशिश में हुई खूनी हादसों की तीसरी कड़ी महज एक इत्तेफाक भर नहीं। यह रेलवे की लापरवाही और मुसाफिरों की ओर उसकी असंवेदनशीलता का कड़वा सच है। रेलवे पर भरोसा कर ट्रेनों से सफर करने वाले मुसाफिर खरीदे गए टिकट के बदले बुनियादी सुविधा तक से महरूम है। ए ग्रेड जंक्शन पर प्लेटफॉर्म 1 को छोड़ किसी अन्य प्लेटफॉर्म पर ठंडे पानी की सुविधा मुसाफिरों को मयस्सर नहीं। प्लेटफॉर्म 1 पर भी तीन वॉटर कूलर वर्किंग कंडीशन में हैं। मुसाफिरों की भीड़ के मुताबिक नाकाफी हैं। ऐसे में अन्य प्लेटफॉर्म पर तपती गर्मी में प्यास से बेहाल मुसाफिरों की प्यास बुझाने की जद्दोजहद को समझा जा सकता है। दो से पांच मिनट के स्टॉपेज में ट्रेन से मुसाफिरों का रेला प्यास बुझाने को प्लेटफॉर्म पर उतरता है। ज्यादातर मुसाफिरों की प्यास बुझने से पहले ही ट्रेन के चलने का सिग्नल हो जाता है। जिससे भागते हुए अपने कोच में चढ़ने की जल्दबाजी हादसों की वजह बन रही।

फल फूल रहा पानी का काला कारोबार

ए ग्रेड जंक्शन पर मुसाफिरों के लिए सी ग्रेड पानी का इंतजाम होने से ही पानी का अवैध कारोबार तेजी से फैलता गया। पानी के खेल में मोटे मुनाफे के चलते ही रेलवे से जुड़े जिम्मेदारों की भी इस पर नजर नहीं पड़ती। वहीं पानी के अवैध कारोबार पर अधिकारियों की नजरें इनायत रहने से मुसाफिरों को मन माफिक दाम पर लोकल पानी दिया जाता है। मुसाफिर भी ठंडे पानी की दरकार के चलते ही लोकल पानी महंगे ब्रांड की कीमत पर खरीदने को मजबूर रहते हैं। इसमें भी गरीब मुसाफिरों पर ही किस्मत की मार पड़ती है। स्लीपर या एसी कोच के मुसाफिर तो 20 से 30 रुपए का महंगा बोतलबंद पानी खरीद लेते हैं लेकिन जनरल कोच के गरीब मुसाफिरों के पास रेलवे के मुफ्त पानी के अलावा प्यास बुझाने का कोई और जरिया नहीं होता। इसी मजबूरी का फायदा उठाकर जनरल व स्लीपर कोच में 6-7 रुपए वाला लोकल पानी 15-20 रुपए में धड़ल्ले से बेचा जाता है।

Posted By: Inextlive