कहीं मार न डाले जॉब सिंड्रोम
- प्राइवेट जॉब करने वाले 60 फीसदी लोग जॉब बर्न आउट की चपेट में
- इमोशनल सपोर्ट न मिलने पर किसी भी हद से गुजर सकता है पीडि़त - सायकोलॉजिस्ट के मुताबिक सिंड्रोम की वजह से बढ़ती है आपराधिक प्रवृत्ति प्राइवेट जॉब करने वाले म्0 फीसदी लोग जॉब बर्न आउट की चपेट में - इमोशनल सपोर्ट न मिलने पर किसी भी हद से गुजर सकता है पीडि़त - सायकोलॉजिस्ट के मुताबिक सिंड्रोम की वजह से बढ़ती है आपराधिक प्रवृत्ति BAREILLY: BAREILLY:'ऑफिस जाने का मूड नहीं है, बेवजह की माथापच्ची से तंग आ चुका हूं। मुझे अकेला रहने दो प्लीज', यदि आपकी फैमिली, कलीग्स या फ्रेंड्स कोई भी इन जुमलों का प्रयोग करे तो सतर्क हो जाएं, क्योंकि इस समय वह अपने आपे में नहीं बल्कि 'जॉब बर्न आउट सिंड्रोम' की चपेट में है। जो व्यक्ति को अंदर ही अंदर निचोड़ रहा होता है। प्रेजेंट में सायकोलॉजिस्ट के पास इस तरह के तमाम केसेज पहुंच रहे हैं, जिनमें करीब 60 प्रतिशत सिंड्रोम की गिरफ्त में हैं।