कमिश्नर ने दिए जांच के आदेश
बता दें कि वेडनेसडे को आईनेक्स्ट ने सिटी में चल रहे भारत का नागरिक बनाने के कारखाने का सनसनीखेज खुलासा किया था। स्टिंग ऑपरेशन के दौरान आईनेक्स्ट की मुलाकात सिटी में चल रहे नागरिक बनाने के धंधेबाजों के एक मोहरे से हुई। महज तीन सौ रुपये के बदले ये धंधेबाज वोटर आई कार्ड बांट रहा था। कलेक्ट्रेट परिसर से सटी दुकानों में यह धंधा वर्षों से बेखौफ चल रहा हैै। भारत की नागरिकता बेचने वाले किस कदर बेखौफ हैं इसका का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि धंधेबाजों ने सूबे के प्रोटोकॉल मिनिस्टर अभिषेक मिश्र तक को बरेली के मढ़ीनाथ का निवासी बना दिया। डीएम और एडीएम सिटी को भेजा लेटर
थर्सडे को मुख्य निर्वाचन आयुक्त के नागरिकता बनाने के खेल की जांच के आदेश के बाद फ्राइडे को कमिश्नर ने भी पूरे मामले पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि सुरक्षा को लेकर ये सीरियस इश्यू है। कमिश्नर के। राम मोहन राव ने आईनेक्स्ट से पूरी डिटेल लेकर फौरन पेशकार को बुलाया और आईनेक्स्ट की फोटो कॉपी के साथ कार्रवाई के लिए डीएम और एडीएम सिटी देवेंद्र दीक्षित को लेटर जारी करने के आदेश दिए। चेहरा बदला पर धंधा जारी
कलेक्ट्रेट कैंपस के ठीक बाहर आला अफसरों की नाक के नीचे चल रही नागरिकता की दुकान पर धंधा बदस्तूर जारी है। आईनेक्स्ट के खुलासे के बाद बस चेहरा बदल गया है। प्रदेश के प्रोटोकॉल मिनिस्टर अभिषेक मिश्र को बरली के मढ़ीनाथ का बाशिंदा बनाने वाला धंधेबाज वेदराम फ्राइडे को गायब रहा। यही नहीं दुकान से उसके नाम का बोर्ड (वेदराम फार्म विक्रेता) भी हटा दिया गया है। तीन सौ रुपये के बदले भारत की नागरिकता का सौदा करने वालों के साथ सरकारी कर्मचरियों की मिलीभगत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दुकान पर दूसरे धंधेबाज ने डेरा जमा दिया है। लेकिन नागरिकता की दुकानदारी नहीं बंद हुई है, बस सावधानी जरूर बढ़ गई है। DM ने पल्ला झाड़ा
इस मामले में डीएम अभिषेक प्रकाश से बता करने की कोशिश की गई तो उन्होंने शासन में मीटिंग का हवाला देते हुए डीएम का चार्ज संभाले सीडीओ नरेंद्र सिंह पटेल के कोर्ट में गेंद डाल दी। वहीं, सीडीओ नरेंद्र पटेल ने कहा कि मिनिस्टर के नाम पर वोटर आईडी कार्ड का जारी होना गंभीर बात है। उन्होंने कहा कि ये वोटर आईडी कार्ड कहां से, कैसे और किसकी मिलीभगत से जारी हुआ ये तो जांच का विषय है। इसमें शामिल लोगों को बेनकाब करना चाहिए। हालांकि सीडीओ ने भी गेंद वापस डीएम के पाले में ही डाल दी।सुरक्षा के लिए खतरनाकजिला सहायक निर्वाचन अधिकारी सुंदरपाल ने फर्जीवाड़े को देश की सुरक्षा के लिए खतरनाक बताया है। उन्होंने कहा कि वोटर आईडी कार्ड को बनाने, वोटर लिस्ट में नाम जोडऩे और काटने के साथ ही संशोधन का काम निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण आफिसर के द्वारा किया जाता है। उन्होंने कहा कि वैसे तो पूरे प्रासेस से हमारा कोई लेना देना नहीं है लेकिन ये एक जांच का विषय है। उन्होंने इस फर्जीवाड़े पर चिंता जताते हुए कहा कि मामले की जांच करके दोषी पर कार्रवाई की जानी चाहिए। SDM city बोले, कड़ी कार्रवाई करेंगेएडीएम सिटी देवेंद्र दीक्षित ने कहा कि ये तो बहुत बड़ा गोलमाल है। एडीएम सिटी ने तुरंत तहसीलदार सदर को फोन पर मामले की जानकारी दी। जिस पर तहसीलदार सदर ने आईनेक्स्ट से धंधेबाज द्वारा बनाए वोटर आईडी कार्ड के बारे में डिटेल ली। एडीएम सिटी ने कहा कि इस मामले को प्रमुखता से कार्रवाई करेंगे। उन्होंने कहा कि वो गोरखधंधे को रोकने के लिए सख्त से सख्त कदम उठाएंगे जो एक नजीर साबित होगी। आपने voter ID card जांचा क्या!
असली वोटर आई कार्ड और नकली वोटर कार्ड की पहचान करना काफी मुश्किल काम है। असल में वोटर आईडी कार्ड में सिर्फ निर्वाचन आयोग से जारी सीरियल नंबर और आयोग का हॉलमार्क रहता है। हालांकि कलेक्ट्रेट सोर्सेज के मुताबिक, ऑन लाइन प्रक्रिया से अपने कार्ड की असलियत को पुख्ता कर सकते हैं। निर्वाचन आयोग की वेबसाइट ceouttarpradesh.nic.in पर लॉगइन करके सर्च योर नेम ऑप्शन पर क्लिक करेंगे तो वेबसाइट आपसे डिस्ट्रिक्ट, विधानसभा एरिया और ईपीक नंबर मांगेगी। इतनी इंफार्मेशन फीड करते ही आपके वोटर कार्ड की डिटेल स्क्रीन पर आ जाएगी। जिसे आप आसानी से अपने वोटर कार्ड की डिटेल से मैच कर सकते हं। अगर आपका कार्ड ओरिजनल है, तो आपकी वोटर कार्ड पर अंकित डिटेल स्क्रीन डिसप्ले में आई डिटेल से मैच करती है तो आपका कार्ड सही है। तो ये है मॉनिटरिंग सिस्टम
वोटर आईडी कार्ड बनाने के पूरा प्रोसेज डीएम के अंडर रहता है। डीएम के डायरेक्शन पर जिला निर्वाचन अधिकारी और एडीएम वोटर आई डी बनवाने का काम करते हंै। इसके लिए वह आरओ, ईआरओ और रजिस्ट्रार कानूनगो के बीच जिम्मेदारियों को बांट देते है। वोटर आईडी कार्ड बनाने का काम प्राइवेट फर्म से किया जाता है। प्राइवेट फर्म का काम डाटा को ऑनलाइन फीड करना और वोटर कार्ड को बनाना होता है। हालांकि पूरे काम की निगरानी रजिस्ट्रार कानूनगो करता है। इसके बाद ये कार्ड कलेक्ट्रेट के निर्वाचन कार्यालय से बीएलओ को दिए जाते है। जितने बने सब बंटे आकड़ों के मुताबिक, असेम्बली इलेक्शन में 17,820 पुरुष और 16,338 महिलाएं नए वोटर्स के रूप में सामने आए है। वहीं, डिस्ट्रिक्ट लेवल पर टोटल 25,63,014 रेजिडेंट्स के वोटर कार्ड बनवाए गए है। एडमिनिस्ट्रेशन के अधिकारियों का दावा है कि जितने भी वोटर आईडी कार्ड बने थे, वह सारे बांट भी दिए गए है। किसी भी बीएलओ से वोटर आई कार्ड वापस नहीं आया है। इन forms से मिल सकती हैं सुविधा फार्म 1- वोटर लिस्ट में नाम शामिल करने के लिए फार्म 2- डुप्लीकेट वोटर आई कार्ड बनवाने के लिए फार्म 6- नया वोटर आई कार्ड बनवाने के लिए फार्म 7- वोटर लिस्ट से नाम कटवाने के लिए फार्म 8- वोटर आई कार्ड में संसोधन के लिए मैंने अब तक 4 बार वोटर आईडी कार्ड बनवाने के लिए कोशिश की है। हर बार मायूसी ही हाथ लगती है। मेरा और मेरी फैमिली मेम्बर्स में से किसी का भी वोटर आईडी कार्ड नहीं बन सका है। विधानसभा चुनाव और निकाय चुनाव में मैंने राशन कार्ड के जरिए वोट कास्ट किया है। - ब्रजमोहन लाल मिश्र, रेजिडेंटमेरा वोटर आईकार्ड अभी तक नहीं बन सका है। वोटर लिस्ट में नाम दर्ज है। निर्वाचन कर्मचारी घर पर आकर पूरी डिटेल ले गए। मगर कार्ड नहीं मिल सका। चुनाव से पहले लोकल अधिकारी से शिकायत भी की तो कहा कि घर ही पहुंच जाएगा। मगर चुनाव तक नहीं मिल सका। अलबत्ता दूसरे आईडी प्रूफ के सहारे वोट दिया है। - गुलशन कुमार भाटिया, रेजिडेंटकई बार के प्रयास करने के बाद भी वोटर आईडी कार्ड नहीं बन सका है। घर पर विधानसभा चुनाव से पहले कर्मचारी आए थे। तब लगा था कि कार्ड मिल जाएगा, लेकिन मिला नहीं।- डॉ। अनिल कुमार, रेजिडेंट