- टीपीनगर मामले में परिजनों ने पुलिस पर लगाया हत्या का आरोप, दिन भर चलता रहा हंगामा

- एसएसपी ने मजिस्ट्रेटी जांच कराने की कही बात, पीएम में हेड इंजरी से मौत

BAREILLY: चलती वेन से कूदकर एक शख्स की मौत होने का मामला पुलिस के गले की फांस बनता जा रहा है। यह मामला सुलझने के बजाय उलझता ही जा रहा है और पुलिस के बयानों में भी कई झोल नजर आ रहे हैं। अब सवाल उठता है कि क्या एंबुलेंस से कूदने के बाद या फिर पुलिस की पिटाई से उसकी मौत हो गई हो और बाद में उसे बाहर फेंक दिया गया हो। हालांकि इसका जवाब तो मजिस्ट्रेटी जांच के बाद ही मिलेगा। मामला ट्यूजडे लेट नाइट का है। वहीं दूसरी ओर वेडनसडे को मृतक के परिजनों पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाया और दिन भर चौकी, थाना व डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में परिजनों का हंगामा चलता रहा। पहले चौकी और थाना का घेराव किया गया और फिर डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में भी हंगामा किया गया। अधिकारियों के समझाने और एसएसपी के मजिस्ट्रेटी जांच कराने के बाद ही परिजन शांत हुए।

ये है मामला

ट्यूजडे नाइट ट्रांसपोर्ट नगर पुलिस चौकी के पास पुलिस को चेकिंग के दौरान एक खंडहर के पास कुछ बाइक खड़ी दिखीं। पुलिस ने जब खंडहर के अंदर जाकर देखा तो वहां एक महिला के साथ तीन-चार युवक मौजूद थे। एसपी सिटी ने बताया था कि दो युवकों और एक महिला को पकड़ लिया गया था। तीनों को चौकी से बिथरी चैनपुर थाना सिद्धिविनायक हॉस्पिटल लाते वक्त अग्रसेन कॉलेज के पास हादसा हो गया। फ्0 वर्षीय शमसेर सिर से एंबुलेंस का शीशा तोड़कर बाहर कूद गया, जिससे उसकी मौत हाे गई थी।

नाम में चूक कर गई पुलिस

मृतक के नाम और एड्रेस में पुलिस से भूल हुई या फिर जानबूझकर लापरवाही बरती गई। इसका जवाब तलाशना अभी बाकी है। रात में उसकी जेब से आईडी मिलने के बावजूद भी पुलिस ने उसका नाम किल्छा उधमसिंह नगर निवासी शमसेर बताया था, जबकि परिजनों के पहुंचने के बाद उसकी पहचान दमखोदा देवरनिया निवासी शफीक अहमद के रूप में हुई। शफीक के पिता का नाम जुम्मन है। शफीक ट्रक ड्राइवर था और लखनऊ की गाड़ी चलाता था। शफीक के भाई हनीफ ने बताया कि उसकी उम्र ब्0 वर्ष है और उसके म् बच्चे भी हैं। उनका आरोप है कि पुलिस ने जबरन शफी को चाय के होटल से उठाकर एंबुलेंस में बैठाया और मारपीट कर उसकी हत्या कर दी और फिर उसे एंबुलेंस से कूदकर जान देने की कहानी रच दी। उन्होंने कहा कि शफीक भूरे को नहीं पहचानता था। पुलिस ने अपने बचाव के लिए दोनों केस को जोड़ दिया है। परिजनों ने डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में जमकर हंगामा किया, जिस पर एसपी सिटी पहुंचे। एसपी सिटी ने परिजनों की तहरीर के आधार पर ही रिपोर्ट लिखने की बात कहकर उन्हें शांत किया। उनका कहना है कि शफीक के हाथ व पीठ में चोट के निशान है।

पुलिस थाना ले जाने की जिद पर थी अड़ी

वहीं इस मामले में इलेक्ट्रीशियन भूरे के परिजनों ने भी चौकी व थाना में जमकर हंगामा किया। लोगों ने रोड जाम कर दिया। भूरा के पिता मोहम्मद रफीक ने आरोप लगाया कि उनका बेटा टीपीनगर से काम करके घर लौट रहा था कि रास्ते में एक एंबुलेंस आयी और उसमें बैठे पुलिसकर्मियों ने उनके बेटे को जबरन एंबुलेंस में बैठा लिया। आसपास के राहगीरों ने उन्हें रोकने का भी प्रयास किया, लेकिन एंबुलेंस नहीं रुकी। उनका आरोप है कि एंबुलेंस में चौकी इंचार्ज अरविंद सिंह परिहार, हेड कांस्टेबल रामदयाल, सिपाही सत्यप्रकाश ने एंबुलेंस में मौजूद शमसेर यानी शफीक के साथ मारपीट की और फिर उसे एंबुलेंस से नीचे फेंक दिया। भूरे के भाई सुजात अली खां ने बताया चौकी में पुलिसकर्मियों ने लड़की व युवकों के साथ गाली-गलौच की। उनका आरोप है कि पुलिस बिथरी मोड़ से उन्हें थाना ना ले जाकर बडा बाईपास के रास्ते लेकर गई और उन्हें थाना में बुलाया। जब वे लोग थाने गए तो वहां कोई भी नहीं मिला उसके बाद उन्हें चक्कर लगवाते रहे। लोगों ने आरोप लगाया कि सिपाही सत्यप्रकाश चार साल से चौकी में टिका हुआ है। वे लोगों पर झूठे मुकदमे दर्ज कराते रहते हैं। एसएसपी ने सभी को डीएम से बात कर मजिस्ट्रेटी जांच कराकर कार्रवाई कराने का आश्वासन दिया।

दिन में बढ़ गई युवकों की संख्या

इसके अलावा पुलिस के बयानों में भी बदलाव आ गया। रात में पुलिस चार युवक की बात बता रही थी, जबकि दिन में युवकों की संख्या भ्-म् हो गई। यही नहीं बाइक भी दो से तीन हो गईं। जहां रात में पुलिस का कहना था कि शमसेर यानी शफीक ने सिर से एंबुलेंस का शीशा तोड़ा था और फिर सड़क पर कूद गया था, जबकि दिन में कोहनी से शीशा तोड़ने की कहानी बतायी गई। पुलिस ने पहले सभी आरोपियों के खिलाफ महिला के बयान के आधार पर गैंगरेप के प्रयास की एफआईआर दर्ज कर ली, लेकिन परिजनों के दवाब के बाद सिर्फ ख्9ब् में कार्रवाई करने की बात कह रही है। पुलिस का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत की वजह डयू टू शॉक एंड एंटी मार्टम हेड इंजरी आया है। पोस्टमार्टम डॉक्टरों के पैनल से कराया गया है और इसकी वीडियोग्राफी भी कराई गई है।

कुछ अहम सवाल

-रात और दिन में युवकों और बाइक की संख्या में अंतर क्यों

-अगर पुलिस ने युवक-युवतियों को पकड़ा था तो उन्हें पुलिस की गाड़ी के बजाय प्राइवेट एंबुलेंस में क्यों ले जाया गया

-क्या प्राइवेट एंबुलेंस पुलिस की साठगांठ से चौकी के पास खड़ी होती है

-बिथरी थाना जाने का रास्ता दूसरा है, लेकिन पुलिस ने बड़ा बाईपास का रास्ता क्यों चुना

-अगर युवक एंबुलेंस का शीशा तोड़ रहा था तो उसे पुलिस ने क्यों नहीं रोका

-अगर पुलिसकर्मी दोषी नहीं हैं तो वो दिन भर चौकी पर क्यों नहीं पहुंचे

एंबुलेंस से शीशा तोड़कर कूदने से ही जान गई है। पोस्टमार्टम में भी हेड इंजरी से मौत होने की बात सामने आई है। डीएम से रिक्वेस्ट कर मजिस्ट्रेटी जांच कराई जाएगी। जांच के बाद ही कोई एक्शन लिया जाएगा।

- जे रविंद्र गौड, एसएसपी बरेली

Posted By: Inextlive