भूत बन गए पर बगिया का मोह नहीं गया
- दयादृष्टि रंगविनायक विंडरमेयर थिएटर फेस्ट में थर्सडे को 'बगिया बाछाराम की' का मंचन हुआ
BAREILLY: बुजुर्ग बाछाराम की बगिया पर गांव के जमींदार की बुरी नजर थी। बगिया को हड़पने की चाह लिए जमींदार की मौत हो गई। मरकर भूत बनने के बाद भी वह बगिया को हड़पने के प्रयास करता रहा। कलाकारों के बेजोड़ परफार्मेस से हंसी और खिलखिलाने का सिलसिला प्ले के आखिर तक जारी रहा। रायटर मनोज मित्रा, डायरेक्टर बहरुल इस्लाम के तालमेल और दिल्ली के श्री राम सेंटर फॉर परफॉर्मिग आर्ट्स के कलाकारों ने दर्शकों को जमकर गुदगुदाया। 9वें दयादृष्टि रंगविनायक विंडरमेयर थिएटर फेस्ट के सातवें दिन प्ले 'बगिया बाछाराम की' का मंचन किया गया। भूत बनकर की बगिया की रक्षाहास्य रस से भरपूर प्ले की शुरुआत छेकारी गांव के बूढ़े किसान बाछाराम द्वारा बगिया और पुत्र की देखभाल के साथ हुई। बगिया को जमींदार हड़पना चाहता था। और यही चाह लिए उसकी मौत हो गई। जमींदार का बेटा नौकोरी ने बाछाराम को लालच दिया कि जब तक बाछाराम जीवित रहेगा उसे ख् हजार रुपए प्रतिमाह देगा और जब बाछाराम की मौत हो जाएगी तो बगिया उसकी हो जाएगी। उसके बाद घटनाक्रम से हास्य और मनोरंजक स्थितियां पैदा हो गई, जिस पर दर्शकों ने जमकर ठहाके लगाए। इस दौरान दयादृष्टि रंगविनायक रंगमंडल सीईओ शिखा सिंह, डॉ। बृजेश्वर सिंह, डॉ। गरिमा सिंह, नवीन कालरा, डॉ। एसई हुदा मौजूद रहे।