INSURANCE KA HEALTHY ‘DOSE’
यूथ को लगता है फालतू का खर्चासिविल लाइंस में रहने वाली पूजा ने एक महीने पहले ही एक हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी ली थी। हालांकि, पूजा पॉलिसी लेने के लिए तैयार नहीं थी, पर हसबैंड रोहन के प्रेशर डालने पर उसने हां कर दी। मिडिल क्लास फैमिली से ताल्लुक रखने वाली पूजा की जिंदगी रोहन और दो बेटों के साथ खुशहाली से बीत रही थी। लेकिन भाग-दौड़ भरी जिंदगी से परेशान रोहन को अचानक पैरालाइसिस का अटैक पड़ गया। पहले तो पूजा को हॉस्पिटल का खर्च देख हाथ-पांव फूलने लगे। पर जब उसे बीमारी के लिए इंश्योरेंस कंपनी से पूरा पेमेंट मिला तो उसे रोहन के फैसले पर फख्र हुआ। ये कहानी सिर्फ पूजा की नहीं हैं, कई ऐसे लोग हैं जिन्हें हेल्थ इंश्योरेंस से बड़ा सपोर्ट मिला है। जरूरत इस बात की है कि समय रहते हेल्थ इंश्योरेंस को अपने लाइफ का हिस्सा का बना लिया जाए।
40 की एज तक होते हैं अवेयर
इंश्योरेंस एक्सपर्ट संजीव शुक्ला ने बताया यूं तो हेल्थ इंश्योरेंस का के्र ज दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। पर इसे कराने की एवरेज मिनिमम एज अभी 40 या उससे ज्यादा ही है। हेल्थ इंश्योरेंस के लिए यूथ का झुकाव काफी कम है। दरअसल, 30 साल या उससे कम के लोगों को यह फालतू का खर्च लगता है। जबकि सच्चाई यह है कि जितनी कम उम्र में हेल्थ इंश्योरेंस कराया जाए, फायदे उतने ही ज्यादा हैं। एलआईसी के एसिस्टेंट ब्रांच मैनेजर सतीश शर्मा बताते हैं कि 20-30 साल के लोगों में इसका कोई क्रेज नहीं है। वहीं 40 साल से ज्यादा वाले लोगों को पॉलिसी लेने पर ज्यादा प्रीमियम पे करना होता है और क ोई बीमारी होने पर तो उसका क्लेम भी नहीं मिलता है।मदद के लिए हैं websitesहेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेने से पहले इसके सभी पहलुओं पर नजर डालनी होती है। इसके लिए कई वेबसाइट्स हैं जो आपके डिसीजन को आसान बना सकती हैं। इसके लिए आप www.policybazar.com, www.insurancepandit.com, www.policytiger.com, www.medimanage.com, www.myinsuranceclub.com पर विजिट कर सकते हैं। इन वेबसाइट्स पर आप अलग-अलग कंपनी की पॉलिसी के फीचर्स को कंपेयर कर देख सकते हैं।फायदे का फसाना
क ोई भी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी जितनी कम उम्र में ली जाती है उसमें उतना ही कम प्रीमियम देना होता है। इससे क्रिटीकल डिजीज के लिए मिलने वाला पेमेंट सबसे ज्यादा सहूलियत देता है। वहीं यह जरूरी है कि पॉलिसी लेते समय आपको क ोई बीमारी है, तो जिक्र जरूर क रें। इसका सबसे बड़ा फायदा कैशलेस ट्रीटमेंट का है। यह फायदा इंश्योरेंस कंपनी से टाईअप करने वाले हॉस्पिटल में ट्रीटमेंट पर मिलता है। हालांकि, किसी भी 20 बेड से ज्यादा वाले हॉस्पिटल में इलाज के बाद क्लेम किया जा सकता है। इस कंडीशन में आपको पहले अपने पास से ही बिल पे करना होता है। यही नहीं हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम पर इनकम टैक्स में 80 डी के आधार पर छूट भी मिलती है।पर सावधानी भी जरूरीहेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेते समय यह ध्यान रखना भी जरूरी है कि इसकी तमाम छुपी हुई शर्तों की जानकारी आपको रहे। किसी भी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के प्रीमियम के लिए बताए अमाउंट पर 12.2 परसेंट का सर्विस टैक्स लगता है। पर आमतौर पर इंश्यारेंस एजेंट इसकी जानकारी नहीं देते हैं। सबसे अहम बात कि पॉलिसी लेने से पहले उसमें कवर होने वाली बीमारियों की ग्रेडिंग जरूर जान लें। दरअसल, बीमारियों की ग्रेडिंग उनके लिए मिलने वाली धनराशि के आधार पर ही की जाती है।बीमारी के अकॉर्डिंग क्लेम
हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेने पर क्लेम डिजीज की ग्रेडिंग के एकॉर्डिंग ही मिलता है। सभी इंश्योरेंस कंपनीज आमतौर पर कैं सर, पैरालाइसिस और हार्ट डिजीज क ो कवर जरूर करती हैं। वहीं हेल्थ इंश्योरेंस बीमारी के साथ-साथ एक्सीडेंट क ो भी कवर करते हैं। अलग-अलग बीमारी को कवर करने के लिए प्रीमियम अलग होता है। बीमारी के ग्रेड उसके क्रिटीकल होने के आधार पर तय होता है। फिलहाल हेल्थ इंश्योरेंस के साथ इनवेस्टमेंट प्लान सबसे ज्यादा डिमांड में है। इसकी वजह यह है कि इसमें लांग टर्म में क ोई बीमारी न होने पर इनवेस्ट किया गया 70 परसेंट प्रीमियम आपको हेल्थ सिक्योरिटी देता है। रिन्यूवल पर है बेनिफिट अगर आप कोई वन ईयर हेल्थ इंश्योरेंस प्लान ले रहे हैं तो नेक्स्ट ईयर उसके रिन्यूवल के समय आपको प्रीमियम में अलग-अलग इंश्योरेंस कंपनी के मुताबिक 5-10 परसेंट तक की छूट दी जाती है। एग्जाम्पल के तौर पर यह माना जा सकता है कि अगर आप 30 साल की उम्र में 3 लाख के रिस्क कवर वाली पॉलिसी एक साल के लिए लेते हैं तो इसका प्रीमियम अलग-अलग कंपनी के एकार्डिंग 8-15 हजार तक हो सकता है।अम्बै्रला प्लान ऑन डिमांड
यूं तो हेल्थ इंश्योरेंस क ोई भी करा सकता है। पर आजकल जो प्लान ऑन डिमांड है वह अम्ब्रैला प्लान है। इस प्लान में हसबैंड-वाइफ और दो-तीन बच्चों के लिए इंश्योरेंस किया जाता है। इसमें पॉलिसी की लिमिट एमाउंट को सभी मेंम्बर्स पर कंबाइंड खर्च किया जा सकता है। अगर पॉलिसी दो लाख की है तो पूरी फैमिली की सेहत पर यह रकम खर्च की जा सकती है। इसे टू प्लस टू प्लान भी कहा जाता है।हॉस्पिटल्स के बढ़ते खर्च के लिए हेल्थ इंश्योरेंस बहुत जरूरी हो गया है। इससे नॉमिनल प्रीमियम पर आपक ो महंगी से महंगी हेल्थ प्रॉब्लम के लिए इंश्योरेंस कंपनी से इकोनॉमिकल हेल्प मिल जाती है। इससे आपका परिवार डिस्टर्ब होने से बच जाता है।- जफर मोहम्मद, सेल्स मैनेजरवर्तमान समय में बढ़ती महंगाई में मेडीकल प्रॉब्लम्स के लिए कराया जाने वाला हेल्थ इंश्योरेंस अचानक होने वाली बीमारी में काफी हेल्प करता है। वास्तव में, बच्चों की छोटी-मोटी बीमारियों में भी यह बहुत कारगर है।- जीतेंद्र वर्मा, यूनिट सेल्स मैनेजरमैंने अब तक हेल्थ इंश्योरेंस नहीं करवाया है। मुझे इसकी जरूरत भी नहीं लगती है। मैं पूरी तरह से फिट हूं। ऐसे में हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम देना मुझे फिजूलखर्ची ही लगती है। - अतुल कटियार, टीचरहेल्थ इंश्योरेंस बहुत ही जरूरी है। हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेने से बीमारी पर होने वाले खर्च का बोझ रुटीन एक्सपेंसेज पर नहीं पड़ता है। वहीं इससे पूरी फैमिली का हेल्थ कवर भी रहता है।- डॉ। चारू मेहरोत्रा, सर्विसवूमनहेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी नहीं ली थी। पर जब मेरे फैमिली में बीमारियां बढ़ी तो अचानक से हॉस्पिटल का खर्च बढ़ गया। ऐसे में इंश्योरेंस की कमी महसूस हुई। अब इंश्योरेंस करवा दिया है।- साधना मिश्रा, सोशल वर्कर