Bareilly: बॉलीवुड के कई स्टार्स ने रुपहले पर्दे पर कुली का किरदार निभा कर खूब तालियां बटोरी और अपने सितारे चमका लिए लेकिन असल जिंदगी में कुली अपने इस काम से खासे परेशान हैं. खास तौर पर वे जिन्हें मेडिकली अनफिट होने से सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाया. प्रेजेंट टाइम में बरेली जंक्शन पर ऐसे 50 कुली हैं जो मजबूरी में इस काम को कर रहे हैं. इससे पहले जंक्शन पर कुल 247 कुली थे. 50 को छोड़ बाकियों की जॉब रेलवे में हो गई.


मकान मिलने वाला थास्टेशन पर मौजूद कुलियों ने बताया कि रेलवे उनसे हर महीने 10 रुपए लेता है, जिसके ऐवज में रेलवे उसे साल में एक बार वर्दी और परिवार को पांच पास मुहैया कराता है। कुलियों के अनुसार रेलवे की ओर से एक कैंटीन भी बनी है जो बरसात में परेशानी का सबब बन जाती है। हालात इतने खराब हैं कि रेलवे अब कुलियों के लिए बने शेड को तोडऩे की कोशिश कर रहा है। उन्होंने बताया कि पूर्व रेल मंत्रियों ने कुलियों के रहने के लिए मकान निर्माण का भी निर्देश दिया था लेकिन निर्देश ठंडे बस्ते में चला गया।रेट लिस्ट टीटी ऑफिस में


ये पूछे जाने पर कि कुलियों द्वारा उठाए जाने वाले सामान के भार को लेकर क्या रेलवे ने पब्लिक अवेयरनेस के लिए कहीं कोई रेट बोर्ड लगाया है? कुलियों ने बताया कि बोर्ड तो लगा है लेकिन टीटी ऑफिस में। सार्वजनिक रूप से रेट लिस्ट स्टेशन पर न लगे होने से कई बार उनकी पैसेंजर्स से कहासुनी भी हो जाती है। ट्रॉली वाले बैग ने किया परेशान

कुलियों की केवल एक ही डिमांड है कि उन्हें नौकरी मिले। कुलियों की मानें तो आजकल लोग ट्रॉली वाले बैग लेकर सफर करते हैं। इसके चलते पैसेंजर्स उनको हायर ही नहीं करते और वो स्टेशन पर बेगारी की जिंदगी जीने को मजबूर हैं। वहीं रेलवे को कुलियों की ओर से 10 रुपए हर महीने हर हाल में देने हैं चाहे उनकी कमाई हो या नहीं।दो वक्त की रोटी की उम्मीद नहींकुलियों की परेशानी जानने के लिए जब थर्सडे को आई नेक्स्ट ने जंक्शन पर मौजूद कुलियों से बात की तो उनका दर्द आंखों में साफ झलकने लगा। स्टेशन पर हाड़ तोड़ मेहनत, उसके बाद भी दो वक्त की रोटी नसीब होगी भी या नहीं इसकी कोई उम्मीद नहीं। बात यहीं खत्म नहीं होती। कुलियों की परेशानी की फेहरिस्त इतनी लंबी है कि उसको आसानी से बयां नहीं किया जा सकता। मस्तराम काफी समय से जंक्शन पर अपने पिता की जगह कुली का काम कर रहा है। उसके पिता की तबियत ठीक नहीं है लिहाजा पूरे परिवार की जिम्मेदारी उसके कंधों पर है।बच्चों को तो नौकरी दें

मस्तराम के मुताबिक, जिस दिन पैसों की तंगी होती है उस समय ये सवाल खड़ा हो जाता है कि परिवार की गाड़ी को कैसे खींचू। मस्तराम ने बताया कि कई सरकारें आईं और गईं। ऐसा नहीं है कि किसी सरकार ने उनकी फरियाद नहीं सुनी। लालू प्रसाद और नितीश के जमाने में जो भर्तियां हुईं वो तो आज मौज में हैं लेकिन जो मेडिकली अनफिट कर दिए गए उनके सामने रोजी रोटी के भी लाले पड़ गए। कुली का काम करने वाले पिंटू का कहना है कि जो लोग मेडिकल में अनफिट हो गए वो अब फिर से इसी काम में जुट गए हैं। अगर वो मेडिकली अनफिट हैं तो कम से कम सरकार उनके बच्चों को तो नौकरी देने की सोचे। शिकायत मिलने पर हम रेलवे एक्ट के मुताबिक, आवश्यक कार्रवाई करते हैं। जहां तक बात कुलियों के रेट लिस्ट की है वो स्टेशन पर मौजूद है। कुलियों के लिए बने शेल्टर जहां कैंटीन बनी हुई है, वहां की हालत काफी खराब है। ये जगह जंक्शन के सौंदर्यीकरण में भी बाधा बन रही है। इस बारे में इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट को जानकारी देते हुए दुकानदार को नोटिस जारी कर दिया गया है। उनसे कहा गया है कि वर्तमान जगह को खाली कर दें और स्टेशन पर किसी और जगह का चिन्हीकरण कर उन्हें अवगत करा दें, अन्यथा उनका लाइसेंस निरस्त करके आगे की कार्रवाई की जाएगी।  - आदिल जिया सिद्दीकी, एसएस, बरेली जंक्शन

Posted By: Inextlive