बच्चा वॉर्ड के एनआईसीयू के अंदर ही बना टॉयलेट, हालत बेहद खराब

नवजातों को इंफेक्शन का खतरा, स्टाफ के लिए टॉयलेट की व्यवस्था नहीं

BAREILLY: डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में नवजात बच्चों को इलाज के साथ ही 'इंफेक्शन' का डोज देने का भी पूरा इंतजाम किया गया है। हॉस्पिटल के बच्चा वार्ड में एक ओर जहां गंदगी का डेरा है, वहीं दूसरी ओर एनआईसीयू में स्टाफ टॉयलेट के बगल में ही बीमार नवजातों को इलाज की संजीवनी दी जा रही है। वार्ड का आर्किटेक्चर बनाने वाले और हॉस्पिटल संभाल रहे जिम्मेदार दोनों इस बात से बेपरवाह बने हैं। एनआईसीयू के अंदर ही बने स्टाफ टॉयलेट को न तो शिफ्ट किए जाने की कवायद की गई और न ही एनआईसीयू में नवजात बच्चों को इंफेक्शन से दूर रखने को कड़े कदम उठाए गए।

ताले में बंद 'इंफेक्शन'

एनआईसीयू के अंदर बने स्टाफ टॉयलेट पर अक्सर ताला पड़ा रहता है। वजह तीमारदारों के भी टॉयलेट यूज करने से होने वाली गंदगी से स्टाफ की परेशानी। ऐसे में स्टाफ की ओर से टॉयलेट पर ताला लगा दिया गया। इस्तेमाल किए जाने के बाद टॉयलेट पर फिर से ताला जड़ दिया जाता। बावजूद इसके ताले में बंद टॉयलेट से नवजात मासूमों के लिए इंफेक्शन की जद में आने का खतरा कम नहीं होता। नर्सिग स्टाफ भी एनआईसीयू के अंदर बने टॉयलेट पर सवालिया निशान लगाते हैं। स्टाफ का कहना है कि कई बार इस बारे में अधिकारियों को कहा गया लेकिन कुछ हुआ नहीं।

खतरे का एनआईसीयू

बच्चा वार्ड में बना एनआईसीयू महज नाम के लिए ही इंटेसिव केयर यूनिट है। यहां का हाल किसी तीमारदारों के आश्रय स्थल जैसा ज्यादा है। एनआईसीयू को डस्ट फ्री, बैक्टीरिया फ्री और बेहद साफ सुथरा होना चाहिए, जिससे कि नवजात बच्चों को किसी भी तरह के बैक्टीरियल इंफेक्शन से दूर रखा जा सके। लेकिन एनआईसीयू के अंदर ही तीमारदार खाना खाने से लेकर सोने और जूते-चप्पलों सहित लेटकर आराम फरमाने का काम करते हैं। नर्सिग स्टाफ की रोकटोक के बावजूद तीमारदारों पर असर नहीं पड़ता। कई बार तीमारदारों की भीड़ एनआईसीयू के टेंपरेचर को डिस्टर्ब करती है जो नवजात बच्चों के लिए नुकसानदेह है।

गंदे टॉयलेट्स कर रहे बीमार

बच्चा वार्ड के टॉयलेट्स का हाल भी बेहद खराब है। गंदे बदबूदार टॉयलेट्स के बगल में ही बच्चों को इलाज दिया जाता है। इन टॉयलेट्स को बच्चों के साथ आए तीमारदारों की भीड़ भी इस्तेमाल करती है। वार्ड में महज दो ही स्वीपर की तैनाती से कई बार इन टॉयलेट्स की सफाई न के बराबर ही रहती है। पान की पीकें, कूड़ा, और टॉयलेट की गंदगी बीमार बच्चों की सुधर रही सेहत में रोड़ा बनते हैं। तीमारदारों के रवैये को देखते हुए कई बार स्वीपर भी सफाई से किनारा कर लेते हैं, जिसका खामियाजा आखिरकार बीमार बच्चों की सेहत पर ही पड़ता है।

स्टाफ के लिए नहीं व्यवस्था

बच्चा वार्ड में नर्सिग स्टाफ के लिए टॉयलेट की व्यवस्था नहीं है। एनआईसीयू में जो टॉयलेट है वह वेस्टर्न स्टाइल का है, जिसे यूज करने में कई स्टाफ मेंबर्स को असुविधा होती है। वहीं कई नर्सिंग स्टाफ मेंबर्स ने बताया कि कई बार यह टॉयलेट खराब रहता है। जिसके चलते उन्हें खासकर फीमेल नर्सिग स्टाफ को दूसरे वार्ड में जाने को मजबूर होना पड़ता है। स्टाफ ने कहा कि टॉयलेट के खराब हो जाने की कई बार कंप्लेन करने के बावजूद उसे ठीक नहीं कराया गया।

-एनआईसीयू के अंदर ही टॉयलेट बनाया गया जो ठीक नहीं है। एनआईसीयू की व्यवस्था फीमेल हॉस्पिटल में ही होनी चाहिए, लेकिन इसे बच्चा वार्ड में रखा गया है। बच्चा वार्ड के टॉयलेट के खराब होने की कोई जानकारी नहीं है।

- डॉ। आरसी डिमरी, सीएमएस

Posted By: Inextlive