विदेश में है इंडिया
प्राइमरी स्कूल के बच्चों बेसिक नालेज से है कोसों दूर
एक शिक्षक के भरोसे हो रही पढ़ाई का यह है सच BAREILLY: शहर के बेसिक स्कूलों में पठन-पाठन की गुणवत्ता बेहद चिंताजनक है। यदि एजुकेशन का यही हाल रहा तो देश का भविष्य का क्या होगा। स्कूलों में बच्चों के सामान्य ज्ञान की स्थिति यह है कि बच्चों को यह भी नहीं मालूम है कि इंडिया किसे कहते हैं। जिन बुक्स के नाम भी बच्चे पढ़ नहीं सके। एक शिक्षक के भरोसे शिक्षा हासिल कर रहे स्कूलों का आई नेक्स्ट ने जायजा लिया तो यह स्थिति सामने आयी यही नहीं मालूम प्रधानमंत्री होता क्या है देश के प्रधानमंत्री का नाम बताने की बजाय चुप्पी साध लिया। फिर कहा कि प्रधानमंत्री क्या होता है। अंग्रेजी में नाम लिखने को कहा गया तो टीचर का चेहरा देखने लगी। - सादिया, कक्षा ब् प्राइमरी स्कूल बाग ब्रिगटान विदेश में है इंडिया'इंडिया' के बारे में पूछा गया तो छात्रा ने इस अग्रेजी भाषा के नाम को सुन कहा ये विदेश में है। भारत अपना देश बताया
- रुचि, कक्षा पांच प्राइमरी स्कूल बांसमंडी किताब के नाम भी नहीं पढ़ सकीछात्र अपने कोर्स की किताबों के नाम पढ़ कर भी नही बता सका। रोज स्कूल आने का पूछने पर बोला सर जी दूसरी क्लासों को पढ़ाते रहते है, फिर हम क्यों पढ़ने आयें।
- अभिषेक, प्राइमरी स्कूल गंगापुर कक्षा एक की ये बच्ची आगे-पीछे का मतलब तक नही जानती। जब इस बच्चे से आगे-पीछे, ऊपर-नीचे शब्दों का मतलब पूछा गया तो बच्ची कोई जबाव नही दे पायी। - श्वेता, प्राइमरी स्कूल नदोसी नहीं लिख सका िपता का नाम कक्षा तीन का बच्चा अपने पिता का नाम नही लिख सका, उत्तर प्रदेश सुनते ही बोला - हम तो बरेली में रहते है ये क्या होता है - अकदस, प्राइमरी स्कूल खुर्रम गौटिया क्या है एकल स्कूल के इंचार्जो की परेशानियां अकेला टीचर हूं। सभी क्लास के बच्चों को एक साथ पढ़ा पाना सम्भव नहीं होता है। कोई फोर्थ क्लास कर्मचारी न होने से सबसे पहले आकर झाडू लगवाता हूं। कागजी कामों के लिए विभाग भी जाना पड़ता है। अकेला होने के कारण बच्चों को छोड़कर भी नही जा सकता। स्कूल के बाद जाऊं तो काम नही हो पाते है। कभी छुट्टी लेनी हो तो बड़ी मुश्किल हो जाती है, जब तक नगर विकास खंड अधिकारी दूसरे स्कूल से कोई टीचर मेरी अब्सेंट में पढ़ाने के लिए नियुक्त नही करते, तब तक छुट्टी नही मिलती।- सफीद अहमद खां, , इंचार्ज सूफीटोला-क्
जोगी नवादा के कम्यूनिटी सेंटर में दो स्कूलों के साथ ये एकल स्कूल भी चल रहा है। पांच क्लासेस को एक साथ पढ़ाना बहुत मुश्किल काम है। अलग-अलग क्लास के बच्चों को एक साथ पढ़ाना बड़ा दिक्कत करता है। एक कमरे में ही स्कूल है इसलिए पांचों क्लास के बच्चों को एक साथ ही बैठाना पड़ता है। - ज्योति पांडे, प्राइमरी स्कूल जाटवपुरा-ख् एकल स्कूल होने मुझे अकेले ही सारी जिम्मेदारियां निभानी पड़ती है। कोई फोर्थ क्लास नही है, इसलिए सफाई से लेकर बच्चों के एमडीएम वाले वर्तन साफ करवाने तक के कामों के लिए परेशान होना पड़ता है। पूरे स्कूल के बच्चों को अकेले पढ़ाना बहुत समस्या पैदा करता है। विभागीय कामों के लिए जाना भी जरूरी होता है, लेकिन स्कूल बंद करके कैसे जाये, कोई छुट्टी भी जल्दी नही मिलती। - शिवानी, प्राइमरी स्कूल गंगापुर-क् अकेला टीचर होने से बच्चे नही आते पढ़नेप्राइमरी स्कूल सूफीटोला-क् में ब्क् बच्चे पढ़ रहे है। एक से लेकर पांच तक की सभी कक्षाओं का दारोमदार स्कूल के इंचार्ज के पास है। अकेला शिक्षक होने की वजह से इतने सारे बच्चों को एक साथ हैंडिल करना एक तरफ इस इंचार्ज के लिए मुश्किल भरा होता है, तो दूसरी ओर बच्चें भी अकेले टीचर से पढ़ने में खास दिलचस्पी नही दिखा रहे। इस लिए इस स्कूल में अटे्नडेंस रजिस्टर्ड पर बच्चों की अनुपस्थिति के लाल गोले ज्यादा देखने को मिले। यही हाल प्राइमरी स्कूल बालीजाती-क्, प्राइमरी स्कूल बांसमंडी-क्, प्राइमरी स्कूल गंगापुर-क्, प्राइमरी स्कूल-सूफीटोला-क् का भी मिला।