अब अस्थमा के मरीज होंगे सेहतमंद
डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में जल्द इंस्टॉल होगी पल्मोनेरी टेस्ट मशीन
ओपीडी व इमरजेंसी में सीओपीडी व अस्थमा मरीजों की जल्द होगी जांच सुरक्षित इस्तेमाल के लिए चिंता, टीबी मरीजों से अन्य मरीजों को खतरे की आशंका BAREILLY: डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में इलाज के लिए आने वाले अस्थमा के मरीजों के लिए अच्छी खबर है। लंबे इंतजार के बाद अब डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में भी पल्मोनरी टेस्ट मशीन की सुविधा शुरू होने जा रही है। हॉस्पिटल में पल्मोनरी टेस्ट मशीन लगने से सांस के मरीजों खासकर अस्थमा पेशेंट्स की जांच सुविधा मिलेगी। यह पहला मौका होगा जब डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में सांस के मरीजों की जांच के लिए पल्मोनरी टेस्ट मशीन लग रही है। हॉस्पिटल में फिलहाल दो पल्मोनरी टेस्ट मशीनें आ चुकी है। जिसे इसी सप्ताह इंस्टॉल किया जाएगा। ओपीडी में लगेगी मशीनहॉस्पिटल में आई दो में से एक पल्मोनरी टेस्ट मशीन ओपीडी में इंस्टॉल होगी। हॉस्पिटल में दो चेस्ट फिजिशियन हैं। दोनों चेस्ट फिजिशियन के केबिन में ज्वाइंट तरीके से पल्मोनरी टेस्ट मशीन से मरीजों की जांच होगी। मशीन के इंस्टॉलेशन के साथ ही एक टेक्निकल अटेंडेंट भी मौजूद रहेगा। जिस पर मरीजों की जांच करने की जिम्मेदारी होगी। टेक्निकल अटेंडेंट के साथ होने से डॉक्टर्स को बिना देरी ज्यादा से ज्यादा मरीजों का इलाज करने में रूकावट नहीं आएगी। वहीं दूसरी मशीन इमरजेंसी वार्ड में मेल सर्जिकल वार्ड के पास लगाई जाएगी।
सीओपीडी-अस्थमा का निदान ओपीडी में पल्मोनेरी टेस्ट मशीन लगने से सांस की बीमारी के संदिग्ध मरीजों की परख जल्दी हो सकेगी। दोनों चेस्ट फिजिशियन के पास रोजाना आने वाले मरीजों में सीओपीडी व अस्थमा के मरीजों की मौके पर पहचान मुश्किल होती है। सीओपीडी यानि क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज फेफड़ों की होने वाली घातक बीमारियों में शुमार है। इसमें सांस लेने में मरीज को बेहद दिक्कत होती है। पल्मोनरी टेस्ट मशीन की जांच के जरिए सीओपीडी और अस्थमा के मरीजों की पहचान मौके पर ही हो सकेगी। रोजाना ब्0 फीसदी मरीज हॉस्पिटल की ओपीडी में रोजाना आने वाले सांस के मरीजों में ब्0 फीसदी मरीज सीओपीडी और अस्थमा के होते हैं। हॉस्पिटल में इन बीमारियों का इलाज अवेलबेल होने के बावजूद ऐसे मरीजों में समय रहते सीओपीडी व अस्थमा के लक्षण नहीं मिलते। पल्मोनरी टेस्ट मशीन से बीमारी डाइग्नोज होते ही सीओपीडी व अस्थमा के मरीजों को तुरंत इलाज मिल सकेगा। साथ ही अन्य मरीजों के फेफडों की स्थिति, उनकी सांस रोकने पर फेफड़ों की ताकत परखने में आसानी होगी। टीबी के खतरे का बढ़ा डरभले ही पल्मोनरी टेस्ट मशीन के हॉस्पिटल में आने से सांस के मरीजों को इलाज में राहत मिलेगी, लेकिन इससे ओपीडी में टीबी की बीमारी फैलने का खतरा भी सामने आ रहा है। दरअसल ओपीडी में दोनों चेस्ट फिजिशियन के पास आने वाले मरीजों में टीबी के भी कई मरीज शुरुआती दौर में इलाज के लिए आते हैं। जब जांच में उनके टीबी से पीडि़त होने की बात मालूम होती है तो उनका ओपीडी में ही डॉट्स केन्द्र पर इलाज होता है, लेकिन टीबी मालूम होने से पहले पल्मोनरी टेस्ट मशीन में फूंकने के दौरान टीबी के मरीज हवा में वायरस फैलाने की वजह बनेंगे। जिसकी चपेट में अन्य मरीज भी टीबी का शिकार बन सकते हैं।
सावधानी पर शुरू मंथनओपीडी में पल्मोनरी टेस्ट मशीन के इस्तेमाल के साथ ही टीबी की बीमारी का खतरा बढ़ने पर जिम्मेदारों के चेहरे पर शिकन आ रही है। हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन सांस के मरीजों को इलाज के साथ ही टीबी की बीमारी का खतरा नहीं देना चाहता। ऐसे में पल्मोनरी टेस्ट मशीन के इंस्टॉलेशन से पहले ही इसके सेफ यूज की कवायदें शुरू हो गई हैं। जिम्मेदार पल्मोनरी टेस्ट मशीन के प्रॉपर स्टेरलाइजेशन और सेफ यूज के तरीकों पर मंथन कर रहे हैं। इसके लिए एक्सपर्ट्स से भी सलाह मशविरा लिया जा रहा है।
---------------------- हॉस्पिटल में दो पल्मोनरी टेस्ट मशीने आ चुकी हैं। इनमें से एक ओपीडी में लगेगी, जिसे जल्द ही इंस्टॉल किया जाएगा। इस मशीन के यूज से सांस के मरीजों की जल्द पहचान कर उन्हें बेहतर इलाज मिलेगा। मशीन के यूज के दौरान टीबी का खतरा भी है, इसके लिए उपाय किए जा रहे हैं। मशीन को यूज के बाद हर बार प्रॉपर स्टेरलाइज किया जाएगा। - डॉ। डीपी शर्मा, सीएमएस