- कमेटी से मांगी माफी तब हुआ निकाह

-कमेटी ने दूल्हे पर लगाया 5150 रुपए का जुर्माना

बहेड़ी: इस्लामी इस्लाही कमेटी और शरीयत के खिलाफ जाकर बारात में आतिशबाजी करना उस वक्त बारातियों को भारी पड़ गया जब इमाम ने निकाह पढ़ाने से इनकार कर दिया। बारातियों ने काफी मिन्नत-मुराद की लेकिन इमाम निकाह पढ़ने को राजी नहीं हो रहे थे। रातभर निकाह नहीं हुआ। सुबह बारातियों ने माफी मांगी और फ्यूचर में दोबारा ऐसा न करने की बात कही, तब जाकर निकाह हुआ। इस गलती के लिए दूल्हे पर 5150 रुपए जुर्माना भी लगा दिया गया।

आतिशबाजी से हुए नाराज

शादी-ब्याह जैसे काम में फिजूलखर्ची और गैर शरई कामों से रोकने के लिए गिरधरपुर में एक इस्लामी कमेटी बनी हुई है। कमेटी का काम है कि शरई कामों बैंड बाजा, आतिशबाजी, डीजे आदि को रोकना है। कमेटी ने तया किया है कि यदि कोई ऐसा करता है तो उसका निकाह नहीं पढ़ाया जाएगा। गांव के इम्तियाज के घर गांव के ही मोहम्मद खालिद के बेटे मोहम्मद शाहिद की बारात आई थी। इस दौरान जमकर आतिशबाजी हुई। खाना-पीना होने के बाद जब निकाह का नाम आया तो इमाम ने निकाह पढ़ने से इनकार कर दिया।

बाराती करते रहे मिन्नत

दूल्हे के घर वाले रात भर कमेटी के लोगों से निकाह पढ़ाने की मिन्नतें करते रहे लेकिन कमेटी के लोग तैयार नहीं हो रहे थे। सुबह बारातियों ने इस बात की माफी मांगी। इसके बाद इमाम वफाउर्रहमान ने निकाह पढ़ने के लिए हामी भरी। इसके बाद बारातियों की जान में जान आई। फैसला सुनाने वालों में उत्तर प्रदेश कुरैशी समाज के अध्यक्ष हाजी बिस्वाल, इस्लामी इस्लाही, डा। मोहम्मद शोएब, हाजी आफताब अहमद, इरशाद हुसैन आदि मौजूद रहे।

इन कामों पर है रोक

इस्लामिक इस्लाही कमेटी ने बारात वाले दिन नशा, बैंड-बाजा, डीजे, डांस, आतिशबाजी फायरिंग, ज्यादा बारातियों को बारात में ले जाना जैसे कामों को रोक लगाई है। कमेटी के इस फैसले में हाफिज, उलेमा ने हामी भरी है।

कमेटी गैर शरई और गैर सामाजिक कायरें को रोकने और समाज के अंदर होने वाली सभी बुराइयों को रोकने के लिए गिरधरपुर में इस कमेटी का गठन किया गया है।

मुहम्मद शोएब

सदस्य इस्लामी इस्लाही कमेटी गिरधरपुर

Posted By: Inextlive