उर्स रजवी के आगाज से शहर हुआ नूरानी
BAREILLY:
-परचम कुशाई के साथ हुआ तीन रोजा उर्स का आगाज - गुलपोशी, चादरपोशी, और फातिहा का चलता रहा सिलसिला - मुशायरा कार्यक्रम में शायरों ने अपनी बेहतरीन नज्मों से बाधां समां इमाम अहमद रजा खां फाजिले बरेलवी का 9म्वां तीन रोजा उर्स ए रजवी का आगाज परचम कुशाई की रस्म के साथ हुआ। शहर के विभिन्न इलाकों से दिन भर परचमी और चादरपोशी का जूलूस निकलता रहा। सुबह फज्र की नजाम के बाद कुरानख्वानी हुई और जायरीन उर्स स्थल पर पहुंचने लगे। देर शाम मिसरे पर शुरू हुए नातिया मुशायरे में देश-विदेश के मशहूर शायरों ने बेहतरीन नज्मों से महफिल में चार चांद लगा दिया। वहीं जायरीन ने इस्लामिया मैदान में लगे स्टॉल पर विभिन्न लजीज पकवानों का लुत्फ लिया। वहीं, बुक स्टाल और बेहतरीन टोपियों की स्टाल्स पर भी जायरीन ने जमकर खरीदारी की। नारे तकबीर और नारे रिसालत के साथ निकला जुलूसआला हजरत की दरगाह पर चादर चढ़ाने के लिए सुबह से ही शहर और ग्रामीण इलाकों से चादर और परचमी जुलूस निकलना शुरू हो गया। दोपहर तीन बजे आजम नगर से परचमी जुलूस हजरत अहसन मियां की कयादत में निकला। नात और मनकबत के बाद फातिहा हुई। दुआ के बाद सय्यद मुदस्सिर अली और दूसरा परचम अल्लाह बख्श के नेतृत्व में जुलूस में शामिल लोग कलाम पढ़ते हुए आजम नगर से कुमार सिनेमा, इंदिरा मार्केट, बिहारीपुर ढाल के रास्ते दरगाह आला हजरत पहुंचा। इस्लामिया पहुंचे इस जुलूस से परचम को लेकर सज्जादानशीन सुब्हानी मियां ने गेट पर रजवी परचम लहराकर उर्स का आगाज किया। इसके अलावा शहर के अन्य एरिया से भी बड़ी तादाद में जुलूस और परचम में लोग नारे तकबीर, नारे रिसालत, उर्स ए रजवी जिंदाबाद, आला हजरत जिंदाबाद के नारे लगाते हुए जुलूस निकलते रहे। आला हजरत पहुंचकर चादरपोशी की। जायरीन ने फातिहा भी कराई। अल सुबह शुरू हुआ यह सिलिसिला देर रात तक चलता रहा। वहीं, अगले दो दिनों तक यह सिलसिला चलता रहेगा।
गुल तैयबा की सना गाते हैंनमाज ए मगरिब के बाद हाजी गुलाम सुब्हानी ने साथियों के साथ मिलाद शरीफ का नजराना पेश किया। नमाज ए महफिल का आगाज कारी रिजवान रजवी ने कुरान की तिलावत से किया। इसके बाद शायरों ने एक से बढ़कर एक कलाम पेश किए। बांग्लादेश के शायर मौलाना हम्माद रजवी ने 'जब तसव्वुर में वह आ जाते हैं, जान ओ दिल चमक जाते हैं', मुफ्ती अनवर अली ने 'ये जमीं आसमां ये लौहे कलम', डॉ। अम्मन तिलियापुरी ने 'दामन ए मुफ्ती ए आजम की कसम हम भी जन्नत की हवा पाते हैं', मौलाना अख्तर ने ' गाफिलों उस जगह का डर खाओ जिसमें सब तन्हा जाते हैं', मुफ्ती जमील ने 'उर्स ए रजवी में जो भी आते हैं, जामे इरफान पीके जाते हैं' पर लोग झूम उठे। इसके अलावा शायर फारूक मदनापुरी, हबीबुल्ला फैजी, असजद बनारसी, कारी रिजवान, अब्दुल वकील, अजहर फारूकी, डॉ। रिजवान रजा, खालिद नसीम, फिरोज राहत, सरवत, नवाब अख्तर मोहनपुरी और असरार नसीमी आदि ने अपनी बेहतरीन शायरी से रात भर महफिल को नूरी बनाए रखा।
इस्लामिया में लगा मेला उर्स ए रजवी के मौके पर पूरा इस्लामिया ग्राउंड मेले में तब्दील हो गया। अलग अलग स्टेट से पहुंचे दुकानदारों ने आला हजरत की लाइफ से जुड़ी अनगिनत बुक्स के अलावा तमाम सब्जेक्ट की किताबें बेची। चादरपोशी के लिए चादर, टोपी, तावीज, फूल, इत्र, बरेली की अलग अलग क्वालिटी का सूरमा, पोस्टर, बैनर, झंडा, गुब्बारा, खिलौने की दुकानें लगीं। जत्थे में पहुंचे जायरीनउर्स के आगाज के साथ ही हजारों जायरीन इस्लामिया ग्राउंड, दरगाह और आसपास के हिस्सों में दस्तक दे चुके हैं शहर के विभिन्न हिस्सों से उर्स स्थल पहुंचने वाले रास्तों पर जायरीन का काफिला देखा गया। सुबह से बसों और ट्रेनों से जायरीन उर्स में शिरकत करने पहुंच रहे थे। इसके अलावा दूसरे देशों से आए अकीदतमंदों ने दरगाह में जियारत की।
जायरीन की खिदमत में लगे रहे उर्स में आने वाले जायरीन के लिए दरगाह कमेटी ने ठहरने और खाने-पीने का इंतजाम किया है। इस्लामिया ग्राउंड पहुंचने पर जायरीन को उनके ठहरने वाले स्थान के बारे में बताने के लिए कैंप लगा था।