किसी की मैरिज हो या फिर पार्टी हर जगह ठंडे पानी की डिमांड होती है. सिटी में पानी की बढ़ती डिमांड के चलते पानी सप्लाई करने वाले कारोबारियों की संख्या भी बढ़ रही है. स्थिति यह है कि सिटी में पानी का कारोबार हर मंथ लाखों रुपए का है. मगर मिनरल वाटर के नाम पर लोगों को सिर्फ बीमारियां ही मिल रही हैं. सिटी में एक-दो को छोड़ दिया जाए तो बाकी सभी इल्लीगल रूप से धंधा चला रहे हैं. इनकी ओर से न तो क्वालिटी का ध्यान दिया जाता है और न ही मानकों को पूरा किया जाता है. इसके बावजूद इन पर कार्रवाई करना तो दूर अधिकारियों की ओर से पानी की सैंपलिंग भी नहीं की जाती है. इसका नतीजा यह है कि सिटी में गंदे पानी की सप्लाई का धंधा फल-फूल रहा है.


Bareilly : ब्रांडेड कंपनियों के 15 डिस्ट्रीब्यूटरब्रांडेड कंपनियों की वाटर सप्लाई करने वाले डिस्ट्रीब्यूटर की संख्या भी अच्छी खासी है। एक नामी ब्रांड के डिस्ट्रीब्यूटर पवन कुमार ने बताया कि सिटी में करीब 15 डिस्ट्रीब्यूटर हैं जो पूरी सिटी में सप्लाई करते हैं। शहर में डिफरेंट कंपनीज का करीब 42 हजार पेटी पानी हर महीने सप्लाई किया जाता है। एक पेटी में एक लीटर वाले बॉटल के 12 पीस होते हैं। इस हिसाब से देखा जाए तो सिटी में पर मंथ 5,04,000 बॉटल पानी की सप्लाई हो रही है। ब्रांडेड कंपनियों के अलावा लोकल पानी सप्लायर्स की संख्या भी कम नहीं है। इनका बिजनेस भी अच्छा खासा है। ये भी पूरे शहर में केन के जरिए 6 लाख लीटर पानी पर मंथ सप्लाई कर रहे हैं। 40 हैं अवैध


सोर्सेज से मिली जानकारी के अकॉर्डिंग सिटी में बिना रजिस्टे्रशन के तमाम लोग पानी की सप्लाई कर रहे हैं। ये लोग पानी की क्वालिटी भी मेंटेन नहीं करते हैं। मिनरल वाटर के नाम पर लोग अपना धंधा चला रहे हैं। जिस केन में पानी स्टोर करते हैं, उसकी हालत भी खस्ता होती है। नाम व फोटो न छापने की शर्त पर पानी का कारोबार करने वाले एक कारोबारी ने बताया कि सिटी में 40 से अधिक लोग ऐसे हैं, जो बिना रोक-टोक के हार्मफुल पानी का कारोबार कर रहे हैं। पानी के सप्लायर सिटी के डिफरेंट एरियाज में अपना वर्क कर रहे हैं। सुभाषनगर, सिविल लाइन, राजेंद्र नगर, कोहाड़ापीर, प्रेमनगर, नरकुला, बानखाना रोड, स्टेशन रोड सहित तमाम एरिया पानी सप्लायर वर्क कर रहे हैं। 15 लाख का करोबारसबसे अजीब बात यह है कि शहर में जितनी ब्रांडेड कंपनियों के पानी का कारोबार हो रहा है, उतना ही मिनरल वाटर के नाम पर लोकल पानी का भी करोबार हो रहा है। दोनों का रेशियो 50-50 का है। ठंड के मौसम में शहर में पानी का कारोबार जहां बमुश्किल 8 से 9 लाख रुपए पर मंथ का होता है, वही गर्मी में पानी की डिमांड अच्छी-खासी बढ़ जाती है। इस समय पानी का कारोबार 15 लाख पर मंथ हो रहा है। मई-जून में पानी की डिमांड और भी अधिक हो जाती है।रजिस्ट्रेशन होना जरूरी

नियमत: बिना रजिस्टे्रशन के पानी का कारोबार नहीं किया जा सकता है। बंद बॉटल का कारोबार करने वालों को जहां फूड एंड सेफ्टी डिपार्टमेंट में रजिस्ट्रेशन करवाना होता है। वहीं बाकी लोगों को नगर निगम के हेल्थ डिपार्टमेंट से रजिस्ट्रेशन करवाना होता है। नगर निगम में 100 रुपए देकर एक साल का रजिस्ट्रेशन होता है। हर साल रीन्यूवल कराने की जरूरत पड़ती है। जुर्माने का प्रावधानरूल्स को फॉलो नहीं करने पर बकाया जुर्माने का प्रावधान है। रूल्स के अकॉर्डिंग बिना रजिस्टे्रशन के पानी का बिजनेस करने वालों के खिलाफ नगर निगम हेल्थ डिपार्टमेंट की ओर से 200 रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है और कारोबार पर रोक भी लगाई जा सकती है। जबकि फूड एंड सेफ्टी डिपार्टमेंट की ओर से मिस इंफॉर्मेशन व मानक पूरा नहीं करने पर मैक्सिमम 5 लाख रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है। मगर अधिकारियों की उदासीनता के चलते कारोबारी बिना किसी भय के पानी का कारोबार धड़ल्ले से कर रहे हैं।नहीं होती है samplingवाटर सप्लायर मिनरल वाटर के नाम पर गंदा पानी सप्लाई कर रहे हैं पर अधिकारी पानी की सैंपनिंग ही नहीं करते हैं। जबकि सैंपलिंग का काम नगर निगम के हेल्थ डिपार्टमेंट व डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के एपिडेमिक डिपार्टमेंट का काम है लेकिन इनकी ओर से कभी भी पानी की सैंपलिंग नहीं की जाती है। हालांकि जलकल डिपार्टमेंट की ओर से सप्लाई होने वाले पानी की सैंपलिंग की जाती है मगर सिर्फ क्लोरीन की जांच की जाती है। पानी में क्लोरीन की मात्रा कितनी होनी चाहिए। अधिकारियों को यह पता ही नहीं है।

कई डिजीज होने की संभावनाडॉ। अजय मोहन अग्रवाल की मानें तो मैक्सिमम डिजीज गंदा पानी पीने से ही होती हैं। अगर पानी प्योर नहीं है तो व्यक्ति को डायरिया, टायफाइड और हेपेटाइटिस जैसी बीमारी होने के चांसेज बढ़ जाते हैं। गंदे पानी के इस्तेमाल से ज्वॉइंडिस होने की भी आशंका रहती है। इसलिए व्यक्ति को चाहिए कि प्योर पानी का इस्तेमाल करे। पानी को किस तरह के बर्तन में रखा जाता है, यह भी मायने रखता है। बहुत कम लोगों ने रजिस्ट्रेशन करवाया है। रजिस्टे्रशन के लिए लोगों को कहा जाएगा। अगर रजिस्ट्रेशन नहीं करवाते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।-डॉ। आरएन गिरी,हेल्थ ऑफिसर,नगर निगमपानी में क्लोरीन की जांच की जाती है। नगर निगम की ओर से जो पानी की सप्लाई की जाती है, उसी पानी की सैंपलिंग की जाती है। इसके अलावा पानी की जांच नहीं की जाती।- डॉ। डीपी सिंह, एपिडेमिक डिपार्टमेंट, डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटलमेरे यहां तीन लोगों ने रजिस्ट्रेशन करा रखा है। बरेली में चल रहे दोनों प्लांट और एक ब्रांडेड कंपनी का सेंट्रल रजिस्ट्रेशन है। - सुनील कुमार, चीफ फूड सेफ्टी ऑफिसरपानी अगर प्योर नहीं है तो, व्यक्ति को
कई डिजीज हो सकती हैं। इसलिए पानी को उबालने के बाद ही यूज करना चाहिए। पानी उबालना संभव नहीें है तो क्लोरीन की गोली यूज करनी चाहिए।- डॉ। अजय मोहन अग्रवाल, फिजीशियनबिना रजिस्टे्रशन के बहुत सारे लोग पानी का कारोबार कर रहे हैं। ब्रांडेड व लोकल पानी का कारोबार बराबर ही है। लोकल सप्लायर के वजह से ब्रांडेड पानी के कारोबार पर भी फर्क पड़ता है। - नशीर अहमद, डिस्ट्रीब्यूटरठंड के मुकाबले गर्मी में पानी की डिमांड दोगुना हो जाती है। मैंने नगर नगर निगम से रजिस्ट्रेशन करवा रखा है। शहर में ऐसे बहुत लोग हैं जो बिना रजिस्टे्रशन के ही वर्क कर रहे हैं।अनुराग सक्सेना, वाटर सप्लायर

Posted By: Inextlive