मेनिया से ग्रसित पेशेंट दिखता है अधिक खुश बढ़ा चढ़ाकर करता है बातें 1100 मरीज टोटल हर माह जिला अस्पताल के मन कक्ष में आते हैं. 150 से अधिक मेरिया के मरीज जिला अस्पताल के मन कक्ष में हर माह आते हैैं

हिमांशू अग्निहोत्री (बरेली)। लिमिट से ज्यादा हंसना तो कभी राजा की तरह धन दौलत लुटा देना, ये मेनिया डिसऑर्डर के लक्षण हो सकते हैैं। दर असल इससे पीडि़त व्यक्ति खुद को शक्तिशाली समझने लगता है। साथ ही जोखिम भरे कामों को करने से भी नहीं डरता। जिला अस्पताल स्थित मन कक्ष में मेनिया से ग्रासित 150 से अधिक पेशेंट्स हर माह इलाज कराने पहुंच रहे हैं। कोई ठीक होने के बाद अपने पैसे के लिए पछतावा करता है तो किसी को मेनिया के दौरान हुई शारीरिक क्षति का अफसोस होता है।

बाद में होता है अफसोस
डॉ। आशीष बताते हैैं कि मेनिया के शिकार पेशेंट बहुत खुश रहते हैैं। वह अपने आप को बढ़ा चढ़ाकर बताते हैैं। कई बार मेनिया के शिकार बड़ी-बड़ी फर्म के ओनर बिजनेस में लॉस वाली डील कर लेते हैैं। साथ ही पैसे भी लुटा देते हैैं। इसमें लोग दानी बन जाते हैैं। साथ ही इसमें सक्सुअल डिजायर भी बढ़ जाती है। डॉ। आशीष बताते हैैं कि बरेली में एक 60 वर्षीय रिटायर्ड व्यक्ति ने मेनिया होने के कारण अपनी पेेंशन खाते से निकालकर सबको बांट दी। लेकिन, मेनिया से ठीक होने के बाद उन्हें काफी अफसोस हुआ।

मेनिया डिसऑर्डर को जानें
बायपोलर डिस्ऑर्डर एक मानसिक बीमारी होती है। इस बीमारी में मरीज के मस्तिष्क का नियंत्रण बिगड़ जाता है। जब व्यक्ति च्यादा खुश रहता है तो उसे मेनिया कहते हैं। मेनिया में मरीज का मन अधिक प्रसन्न होने की वजह से वह राजा की तरह फील करता है। साथ ही खुद को बढ़ाचढ़ाकर दिखाता है। इसमें पेशेंट अधिक सजना-संवरना, खुद को शक्तिशाली या अधिक धनी मानने लगता है। साथ ही इसमें पेशेंट को जोखिम भरे कामों को करने में मन लगाता है। वहीं कुछ मामलों में पेशेंट खुद को भगवान का अवतार भी समझने लगता है। ऐसे में झाड़-फूंक के चक्कर में न पड़ें बल्कि चिकित्सक को दिखाएं।

क्यों होता है यह डिसऑर्डर
मेनिया 30 प्रतिशत तक जेनेटिक होता है। अगर परिवार का कोई सदस्य इस बीमारी से पीडि़त होता है तो उसके बच्चों को यह बीमारी होने की आशंका ज्यादा होती है। इसके साथ ही दिमाग में कुछ केमिकल्स जैसे डोपामिन आदि की अनियमितता होने से मूड को नियंत्रित करने वाला सिस्टम गड़बड़ हो जाता है और व्यक्ति इसका शिकार हो जाता है। साथ ही नशा करने वाले लोग भी इसके शिकार होते हैैं।

ये लक्षण हैैं तो संभल जाएं
इस बीमारी से पीडि़त व्यक्ति को यह बार-बार होता है। इसलिए पेशेंट के परिजनों को बता दिया जाता है कि आगे से पेशेंट को नींद न आए, बदतमीजी करने लगे, अत्याधिक खुश दिखे तो सचेत हो जाएं।

केसेस

पकड़ लिया था बिजली का तार
तीन माह पूर्व बर्न वॉर्ड में आए पेशेंट ने बताया कि उसके कान में रात को आवाज आई कि तुम्हारे अंदर बहुत शक्ति आ गई है। इसके बाद उसने बिजली के तार को पकड़ लिया था। जिससे उसका हाथ जल गया था। उसके परिवार ने बताया था कि उसे पहले भी इस तरह की समस्या हो चुकी थी।

टीचर से की बदतमीजी
एक सप्ताह पहले मीरगंज का एक 12 वर्षीय बच्चा आया था। उसके परिवार ने बताया कि पहले वह ठीक था। लेकिन, बाद में वह सबसे ऐेंठ कर बात करने लगा। साथ ही कॉलर चढ़ा के चलने लगा, उसने टीचर से बदतमीजी भी कर दी थी।

नशे की लत ने किया बीमार
फरीदपुर निवासी 20 वर्षीय युवक दूसरे शहर में जॉब करने गया था। वहां किसी तरह उसे भांग खाने की लत लग गई। वह भांग खाते-खाते मेनिया में चला गया था।

खुद को समझ रही थी भगवान
शीशगढ़ निवासी एक महिला खुद को देवी का अवतार बता रही थी। साथ ही बातों को बढ़ाचढ़ाकर भी बता रही थी। परिजन झाड़ फूंक करवा रहे थे। यहां लेकर आए तब उन्हें पता चला कि वह मेनिया का शिकार है


मेनिया एक ऐपिसोडिक रोग है। यह ऐपिसोड में आता है। एक मरीज में एक या अधिक ऐपिसोड हो सकते है। यह एक अवस्था है जिसमें ठीक होने के बाद पेशेंट को ग्लानि होती है। यह दवा से एक सप्ताह से 15 दिनों में कंट्रोल हो जाता है। पहली बार में मेनिया होने पर दवा छह माह से एक साल तक चलती है। वहीं कुछ लोगों को लगातार एपिसोड्स आते हैं तो उन्हें जीवनभर यह दवा लेनी पड़ सकती है।
डॉ। आशीष कुमार, मनोचिकित्सक

Posted By: Inextlive