सभी को दवाइयां उपलब्ध हो सकें इसके लिए केंद्र सरकार ने जेनेरिक दवाओं को प्रमोट करना शुरू किया है. पूरे देश के अलावा जिले भर में प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र खोले गए थे.

बरेली (ब्यूरो)। सभी को दवाइयां उपलब्ध हो सकें, इसके लिए केंद्र सरकार ने जेनेरिक दवाओं को प्रमोट करना शुरू किया है। पूरे देश के अलावा जिले भर में प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र खोले गए थे। उम्मीद के विपरीत कई डॉक्टरों ने जेनेरिक दवाओं को प्रमोट नहीं किया। कुछ डॉक्टरों ने जेनरिक दवाओं के खिलाफ ऐसे दिलचस्प बहाने गढ़े कि मरीजों के मन में जेनेरिक दवाओं के खिलाफ खौफ बैठ गया। हालांकि कई डॉक्टर साल्ट लिखकर जेनेरिक प्रिफर करते हैैं। कुछ चिकित्सक मरीज से इस बारे में पूछ लेते हैैं कि उन्हें जेनेरिक दवा तो नहीं लेनी है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने कुछ लोगों से बात की तो उन्होंने कई अहम बातें साझा कीं।

दवा और कपड़े की तुलना
एक पेशेंट अंजलि ने बताया कि उन्होंने एक बार अपने डॉक्टर से जेनेरिक दवा लिखने को कहा तो उनके चिकित्सक ने समझाते हुए कहा कि अगर आप कपड़ा लेने जाएंगी तो सस्ता और खराब कपड़ा लेंगी या बेहतरीन कपड़ा। अंजलि ने बात न समझते हुए कहा कि बेहतरीन ही चुनूंगी। इस पर उस डॉक्टर ने कहा कि कपड़ा तो बेहतरीन पहनना चाहती हैं तो दवा में कांप्रोमाइज क्यों कर रही हैं? डॉक्टर की बात सुनकर अंजलि लाजवाब हो गईं और उन्होंने फिर कभी जेनेरिक दवा के बारे में सोचा भी नहीं। पेशेंट मनोज से डॉक्टर ने साफ कह दिया कि आप इसे अपने रिस्क पर लीजिए। मैं जिम्मेदारी नहीं ले सकता हूं।

कोई रिस्क नहीं है
ड्रग लाइसेंसिंग अथारिटी के असिस्टेंट कमिश्नर संदीप कुमार साफ कहते हैं कि जेनेरिक दवाएं पूरी तरह से सेफ हैं। इसे सरकार पूरे देश में प्रमोट कर रही है। खास बात यह है कि जेनेरिक दवाएं कई ब्रांडेड कंपनियां भी बना रही हैं।

किया जाता है अवेयर
जन औषधि केंद्र पर पहुंचने वाले मरीजों को केंद्र संचालक द्वारा भ्रांतियों की सच्चाई के बारे में बताया जाता है। उन्हें समझाया जाता है कि जेनेरिक की क्वालिटी ब्रांडेड दवाओं की ही तरह होती है। इनके मेकिंग प्रोसीजर भी लगभग सेम ही रहता है।


हमारे पास दूर-दूर से मरीज आते हैैं। इसमें कई लोगों को जेनेरिक के प्रति भ्रांतियां भी होती है। उन्हें अवेयर किया जाता है। समझाते हैैं कि जेनेरिक दवाएं भी ब्रांडेड की तरह ही असरदार होती हैैं। सिटी में कई डॉक्टर्स मरीजों के लिए जेनेरिक दवाएं लिखते हैैं।
राहुल रस्तोगी, संचालक, जन औषधि केंद्र

निजी चिकित्सकों को दवाओं के ब्रांड के साथ ही उनके सॉल्ट भी लिखने चाहिए। इससे मरीजों को परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। मरीजों के बीच कई तरह की भ्रांतियां भी फैलाई जाती हैैं। केंद्र पर आने पर उन्हें समझाते हैैं कि जेनेरिक दवाओं की क्वालिटी काफी अच्छी होती है।
अमूल्य कुमार गुप्ता, संचालक, जन औषधि केंद्र

ब्रांडेड की तरह ही जेनेरिक दवाएं असरदार हैैं। कई बार मरीजों को इनके प्रति डराया जाता है। कुछ लोग मरीजों से यहां तक कह देते हैैं कि इन्हें अपने रिस्क पर इस्तेमाल कीजिए। ऐेसे में मरीज कंफ्यूज हो जाता है। जेनेरिक दवाओं के रेट भी ब्रांडेड दवाओं से कम होते हैैं। हालांकि कुछ डॉक्टर मरीजों को जेनेरिक प्रिफर करते हैैं।
एसएन चौबे, प्रॉपेराइटर, जन औषधि केंद्र

जेनेरिक ब्रांडेड दवाओं की तरह ही असरदार होती हैैं। इनका मेकिंग प्रोसीजर भी लगभग ब्रांडेड की तरह ही होता है। किसी भ्रांति में न पड़ें। सरकार भी इन दवाओं को प्रामोट करती है।
संदीप कुमार, एसिस्टेंट कमिश्नर, ड्रग लाइसेंसिंग अथॉरिटी

Posted By: Inextlive