Bareilly: न्यूक्लियर फैमिली का बढ़ता ट्रेंड ज्यादा से ज्यादा ईयरली पैकेज की चाहत एक तरफ जहां लोगों की परचेजिंग पावर को बढ़ा रहे हैं वहीं परिवारों की नींव को हिला भी रहे हैं. एजुकेटेड हाउसवाइव्ज जहां परिवार की उम्दा परवरिश कर रही हैं वहीं सबसे ज्यादा डिप्रेशन का शिकार भी हो रही हैं. डिप्रेशन की वजह से पत्नियां कभी हसबैंड्स पर शक करती हैं तो कभी-कभी खुद को नुकसान भी पहुंचा बैठती हैं. सिटी के काउंसलर्स के पास पहुंचने वाले काउंसलिंग केसेज में 20 परसेंट तक की बढ़ोतरी हुई है.


सिटी की एक पॉश कालोनी में रहने वाली निशा के घर में वह और उनके हसबैंड राजीव (दोनों नाम परिवर्तित) रहते हैं। उनकी शादी क ो दो साल हुए हैं। पति के मार्केटिंग जॉब में होने की वजह से उन्हें आए दिन शहर से बाहर रहना पड़ता है या फिर वह देर रात से घर पहुंचते हैं। निशा के रात में बात करने पर राजीव थकान की वजह से अक्सर झुंझलाहट के साथ ही जवाब देने लगे। ऐसे में निशा को डिप्रेशन हो गया। धीरे-धीरे डिप्रेशन इतना बढ़ गया कि निशा ने सुसाइड तक अटेंप्ट कर लिया। इसके बाद राजीव को उन्हें काउंसलर के पास ले जाना पड़ा। बढ़ रहे हैं फैमिली डिस्प्यूट


न्यूक्लियर फैमिली के बढ़ते कल्चर में हसबैंड के साथ क्वालिटी टाइम स्पेंड न कर पाने की वजह से लेडीज में डिप्रेशन बढ़ रहा है। यह डिप्रेशन धीरे-धीरे फैमिली डिस्प्यूट की वजह बन रहा है। ऐसे केसेज में सबसे पहले हाउस वाइव्ज का बिहेवियर इरिटेटिंग हो जाता है, वह खुद को रिजेक्टेज फील करती हैं और यह कुंठा इतनी बढ़ जाती है कि वह रात में ठीक से नींद भी नहीं ले पातीं। धीरे-धीरे उनका कॉन्फिडेंस कम होने लगता है और वह हीन भावना से ग्रस्त हो जाती हैं।हो जाती हैं शकी मिजाज

डिप्रेशन के कारण पति और पत्नी में मामूली बातों पर झगड़े होने लगते हैं इससे दूरियां और बढ़ जाती हैं। हसबैंड के वाइफ के साथ क्वालिटी टाइम स्पेंड न कर पाने को पत्नियां गलत नजरिए से देखती हैं। फिजिकल नीड्स पूरी न होने पर शक और भी गहरा हो जाता है। कई बार तो डिप्रेशन में लेडीज सुसाइड तक अटेंप्ट करती हैं। अजब से होते हैं सवालऐसी लेडीज जब काउंसलर्स के पास पहुंचती हैं तो उनके सवाल अजीब से होते हैं। मसलन, मेरे हसबैंड दूर हो रहे हैं, मैं उन्हें कैसे अट्रैक्ट करूं.  कई बार वह तंत्र-मंत्र की बात भी करती हैं। कहीं उनके हसबैंड को किसी ने वश में तो नहीं कर लिया है। वास्तव में अकेलेपन के कारण ही उनके दिमाग ऐसी बातें आती हैं। 25-40 एज ग्रुप में है प्रॉब्लमकाउंसलर्स के मुताबिक, जिन हाउसवाइव्ज के साथ प्रॉब्लम्स आ रही हैं, उनमें 25-40 साल की उम्र की लेडीज शामिल हैं। ये सभी लेडीज न्यूक्लियर फैमिलीज से ही ताल्लुक रखती हैं। सिटी में काउंसलर्स के पास एक महीने में 25 केसेज तो आते ही हैं, जिनकी समस्या हसबैंड का घर पर पूरा समय न दे पाना होता है।हाउस वाइव्ज के लिए सुझाव- सोशल एक्टिविटीज से जुड़ें।

- टाइम स्पेंड करने के लिए एक  वीकली लिस्ट तैयार करें।- पार्ट टाइम जॉब या बिजनेस कर सकती हैं।- घर में ही हॉबी क्लासेज स्टार्ट करें।- जॉब कर सकती हों तो, ज्वॉइन करें।ऐसा नहीं है सभी लेडीज में ऐसी प्रॉब्लम होती है, पर न्यूक्लियर फैमिली में आम तौर पर नॉन वर्किंग लेडीज डिप्रेशन में आ जाती हैं। कई लेडीज ऐसी भी होती हैं जो खुद को बिजी रखकर इससे बची रहती हैं। हमारे पास भी जब ऐसे केसेज आते हैं तो मैं लेडीज को खुद को बिजी रखने की ही सलाह देती हूं। सिटी में धीरे-धीरे इस तरह के केसेज बढ़ते जा रहे हैं। जिनमें हसबैंड के क्वालिटी टाइम न देने से वाइव्स डिप्रेशन में आ रही हैं।डॉ। सुविधा शर्मा, साइकोलॉजिस्ट
यह सही है कि समय के साथ लेडीज में अकेलेपन से होने वाले डिप्रेशन के केसेज बहुत बढ़ गए हैं। इसके बाद लेडीज अपने पति पर शक करने लगती हैं, हालात यहां तक पहुंच जाते हैं कि वह हसबैंड की जासूसी तक करवाती हैं। इससे बचने के लिए जरूरी है कि लेडीज अपनी सोच को पॉजिटिव रखें और इमोशंस पर कंट्रोल करें। खुद को व्यस्त रखने के लिए हॉबीज कल्टीवेट करें और बच्चों पर ध्यान दें।
डॉ। हेमा खन्ना, साइकोलॉजिस्टसमाज में जो बदलाव आ रहा वह प्रोडक्टिव नहीं है। इससे आए दिन मानसिक बीमारियां बढ़ती जा रही हैं। ज्वाइंट फैमिलीज में लोग आपस में सुख-दुख बांट लेते थे। जो न्यूक्लियर फैमिलीज में पॉसिबल नहीं है। यह आगे चलकर परेशानी का सबब बन जाता है। मल्टी नेशनल कंपनीज के आने के बाद समाज में इस तरह की समस्याएं बढऩे लगी हैं। इसके लिए जरूरी है कि हम अपने मूल्यों और संस्कारों क ो न भूलें।डॉ। नवनीत कौर आहूजा, सोशियोलॉजिस्ट

Posted By: Inextlive