Bareilly: बरेली नगर निगम की बात ही निराली है. अपने जेबें भरने में विभाग के जिम्मेदारों का कोई सानी नहीं है. ताजा मामला सिटी में नगर निगम के इकलौते हॉस्पिटल से जुड़ा है. करप्शन का आलम यह कि हॉस्पिटल अरसे से बंद है किसी मरीज का इलाज तक नहीं हो रहा लेकिन दवाओं पर खर्च जारी है. यही नहीं हॉस्पिटल के डॉक्टर दो साल पहले रिटायर्ड हो चुके हैं लेकिन खर्च है कि थमने का नाम नहीं ले रहा. आलम यह कि डॉक्टर साहब के रिटायरमेंट के बाद हॉस्पिटल स्टाफ में सिर्फ एक कंपाउंडर ही बचा है फिर भी हर साल खर्च बढ़ता ही जा रहा है.


2009 में retirement नगर निगम द्वारा रेजिडेंट्स को दी जाने वाली फैसिलिटीज में हॉस्पिटल की फैसिलिटी भी आती है। ये हॉस्पिटल किला सब्जीमंडी में है। हॉस्पिटल में एक फिजीशियन डॉक्टर के के पाठक और उनके हेल्प के लिए कंपाउंडर विष्णु कुमार गुप्ता को अप्वाइंट किया गया था। डिस्पेंसरी में अप्वाइंट एकमात्र डॉक्टर केके पाठक का रिटायरमेंट 2008-09 में हो गया। अब एक कंपाउंडर विष्णु ही हंै। भुगतान लाखों रुपए नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग के आकड़ों के अकॉर्डिंग डॉ के के पाठक केरिटायरमेंट वाले साल वेतन मद में 96,993 रुपए का व्यय दिखाया गया है। जबकि उसके बाद वर्ष 2009-10 में हॉस्पिटल स्टॉफ की सैलरी पर 3,98,833 रुपए और वर्ष 2010-11 में 6,59,382 रुपए खर्च किए हैं। वर्ष 2011-12 में 11,50,000 रुपए प्रस्तावित है। Vaccination भी फाइलों में


इतना ही नहीं नगर निगम की तरफ से टीकाकरण प्रोग्राम भी फाइलों में ही चला कर लाखों रुपये खर्च किए जा रहे हैं। भले ही वर्र्षों से वैक्सीनेसन का काम ठप पड़ा हो फिर वर्ष 2010-11 में 3,02,922 लाख रुपए टीकाकरण और इसमें लगे कर्मचारियों की सैलरी पर खर्च कर दिया गया। यही नहीं 2011-12 में भी 4,60,000 लाख रुपए के बजट का भी प्रावधान रखा गया है। खुद स्वास्थ्य विभाग के सोर्सेज मानते हैं कि ये टीकाकरण फाइलों पर तो बखूबी हुआ, मगर आम आदमी को इसका फायदा नहीं मिल पाया। जिन कर्मचारियों को वेतन दिखाया गया है वह भी दूसरे विभागों में कार्यरत है। आरामगाह बना hospitalवर्तमान समय में हॉस्पिटल की व्यवस्था की बात करें तो हॉस्पिटल रोज सुबह खोला जाता है, पर पेशेंट्स के लिए नहीं, बल्कि ये सफाई इंस्पेक्टर और सफाई नायकों सहित कर्मचारियों की आरामगाह बना हुआ है। Retirement के बाद बढ़ा खर्च जिस साल डॉ पाठक का रिटायरमेंट हुआ था, उस साल सैलरी की मद में सिर्फ 96,993 हजार रुपए ही ट्रांसफर हुए थे। उससे पहले वाले साल में 1,30,0152 रुपए जारी किए गए, मगर रिटायरमेंट होते ही वर्ष 2009-10 में स्टाफ का खर्च लगभग 3,98,833 लाख और अगले मंथ में लगभग 6,59,382 लाख का दिखा गया। स्टाफ नदारद और लाखों का खर्च रिटारयमेंट के बाद अचानक बढ़ता कैसे चला गया इस सवाल का जवाब अब अधिकारियों को देते नहीं बन रहा है।   हॉस्पिटल स्टाफ पर खर्च का ब्यौरा साल            वेतन                  अन्य 2007-08     1,30,152        48,385 2008-09     96,993             शून्य 2009-10     3,98,833 2010-11     6,59,382 2011-12     11,50,000 (प्रस्तावित)

सभी आकड़े स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी किए गए बजट के आधार पर है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा टीकाकरण की मद में खर्च का ब्यौरासाल            व्यय की राशि 2010-11    3,02,922 2011-12     4,60,000 (प्रस्तावित)हॉस्पिटल में लाखों रुपए के फंड खर्च किए जाने का मामला मैंने अपने समय में उठाया था, मगर अधिकारियों ने जांच के आश्वासन के साथ मामला दबा दिया था। सवाल ये है कि डॉक्टर है नहीं मगर सैलरी की मद में लाखों रुपए का खर्च किया जा रहा है। ये गलत है। - संजीव अग्रवाल, पूर्व पार्षद मैंने ज्वॉइन करते ही इस मामले की तफ्तीश की थी। ये मामला बेहद गंभीर है। मैं इसकी जांच करवाउंगा। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। - मातादीन, नगर स्वास्थ्य अधिकारी फिलहाल मामला संज्ञान में नहीं है। मैं प्रपत्रों को देखने के बाद ही कुछ कह सकूंगा। - विनोद कुमार गुप्ता, सहायक नगर आयुक्त हॉस्पिटल में लाखों रुपए के फंड खर्च किए जाने का मामला मैंने अपने समय में उठाया था, मगर अधिकारियों ने जांच के आश्वासन के साथ मामला दबा दिया था। सवाल ये है कि डॉक्टर है नहीं मगर सैलरी की मद में लाखों रुपए का खर्च किया जा रहा है। ये गलत है। - संजीव अग्रवाल, पूर्व पार्षद

मैंने ज्वॉइन करते ही इस मामले की तफ्तीश की थी। ये मामला बेहद गंभीर है। मैं इसकी जांच करवाउंगा। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। - मातादीन, नगर स्वास्थ्य अधिकारी फिलहाल मामला संज्ञान में नहीं है। मैं प्रपत्रों को देखने के बाद ही कुछ कह सकूंगा। - विनोद कुमार गुप्ता, सहायक नगर आयुक्तReport by: Abhishek Mishra

Posted By: Inextlive