Hospital में ही रहने को मजबूर नवजात
एंबुलेंस के फेरे बढ़ाए डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में यूं तो 5 एंबुलेंस हैं। इन 5 एंबुलेंस में से सिर्फ 1 एंबुलेंस महिला डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के पास है। कफ्र्यू के दौरान पेशेंट और उनके परिजनों को घर तक पहुंचाने के लिए सारा दारोमदार इसी एक एंबुलेंस पर है। महिला डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल की सीएमएस मंजरी नारायण ने बताया कि डिलीवरी के बाद बच्चों के साथ उनके परिजनों को घर पहुंचाने के लिए हम एंबुलेंस को कई फेरे में चला रहे हैं, मगर यह व्यवस्था नाकाफी साबित हो रही है। महिला डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में पूरे डिस्ट्रिक्ट से पेशेंट पहुंचते हैं। इन दिनों हर रोज लगभग 20 प्रसूताएं हॉस्पिटल पहुंच रही हैं। ऐसे में समस्या और बढ़ गई है।बनाई जा रही लिस्ट
सीनियर फिजीशियन डॉ। स्नेहलता ने बताया कि नाइट पैदा हुए बच्चों की लिस्ट मॉर्निंग में तैयार कर ली जाती है। मंडे को भी 26 पेशेंट की लिस्ट तैयार हुई है। इन्हें हम उनकी कंडीशन की प्राथमिकता के आधार पर घर तक पहुंचा रहे हैं। हमारी कोशिश है कि कोई परिवार कफ्र्यू में परेशान न हो। उन्होंने बताया कि डिलीवरी के बाद अगर व्यवस्था न हो सके तो वार्ड में उन्हें दोबारा एडमिट रखा जा रहा है। चल रही है अवैध वसूली
फ्राईडे को एक बच्ची के पिता बने शाहनवाज हॉस्पिटल परिसर में परेशान घूम रहे थे। पूछने पर पता चला कि उन्हें एंबुलेंस की सुविधा नहीं मुहैया की जा रही है और जो एंबुलेंस ड्राइवर उन्हें ले जाने के लिए तैयार हुआ है, वह उनसे 250 रुपए की डिमांड कर रहा है। उन्होंने बताया कि कफ्र्यू में उनके जैसे परिवारों की मजबूरी का फायदा भी खूब उठाया जा रहा है। हमारे पास सिर्फ एक ही एंबुलेंस है। दूसरी तरफ डिलीवरी के केस भी बढ़ गए हैं। पेशेंट्स को घर पहुंचाने के लिए हम उसी एंबुलेंस का यूज कर रहे हैं। जरूरतों को देखते हुए हमारे पास कम से कम 2 एंबुलेंस होनी चाहिए। ताकि हम पेशेंट को कफ्र्यू के दौरान सकुशल घर पहुंचा सकें। -मंजरी नारायण सक्सेना,सीएमएस महिला डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल