'औषधि हमेशा कड़वी ही नहीं होती'
10,000 पेशेंट्स का अंतरडिस्ट्रिक हॉस्पिटल के प्रभारी मेडिकल ऑफिसर डॉ। जीएस रायजादा ने बताया कि होम्योपैथ को मेडिकल में सेकेंडरी थैरेपी के रूप में देखते जरूर हैं, मगर पिछले कुछ मंथ में ड्रास्टिक चेंजेस देखने में आए हैं। हर मंथ होम्योपैथी से इलाज कराने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। पहले पेशेंट्स का जो आंकड़ा महज 15 हजार के आसपास टहलता था अब वहीं आकड़ा 40 हजार के प्वाइंट को छू रहा है। डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल की ओपीडी में हर महीने हजारों पेशेंट्स आते हैं। पहले यहां होम्योपैथी से ट्रीटमेंट कराने वालों की संख्या काफी कम रहती थी लेकिन पिछले कुछ सालों में इसमें तेजी से बढ़ोतरी हुई है। हर बीमारी का है इलाज
इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ होम्योपैथिक फिजीशियन के प्रेसिडेंट डॉ। सुधांशु आर्य के अकॉर्डिंग वह दिन लद गए जब होम्योपैथ को सैकेंडरी थैरेपी समझा जाता था। अब शायद ही ऐसा कोई रोग होगा जिसका इलाज होम्योपैथ में नहीं है। थायराइड, प्रोस्टेट, कैंसर, हेपेटाइटिस, स्टोन, सुगर, गैस्ट्रोएंट्राइटिस, स्कीन इंफेक्शन और एलर्जी का सफल इलाज होम्योपैथ में किया जा रहा है। इतना ही नहीं साइकेट्रिक केसेज के पेशेंट्स भी बढ़ी संख्या में होम्योपैथ का रुख कर रहे हैं। जड़ से खत्म होती है बीमारी
डॉ। सुधांशु आर्य ने बताया कि होम्योपैथिक थैरेपी में रोग का नहीं, बल्कि रोग के कारणों का इलाज किया जाता है। पूरा इलाज पेशेंट के सिम्पटम्स पर निर्भर करता है। मसलन अगर पेशेंट को खासी आ रही है तो हम देखते हैं कि खांसी के पीछे का कारण क्या है। वह गले से आ रही है, एसिडिटी की वजह से आ रही है या खांसी के पीछे हार्ट अटैक का खतरा आंका जाता है। हम कारण को भांपकर उसका इलाज करते हैं। इसी वजह से मर्ज फिर कभी लौटकर नहीं आता। हमेशा के लिए खत्म हो जाता है।डॉ। सुधांशु आर्य ने हाल ही में ठीक किए मुश्किल केसेजकम हुई CGPT हैपेटाइटिस के शिकार देशपाल पाठक ने जगह-जगह जमकर इलाज करवाया। हारकर वह होम्योपैथिक इलाज की तरफ डायवर्ट हुए। जब उन्होंने इलाज कराना स्टार्ट किया तो उनकी सीजीपीटी की काउंटिंग 2459 थी। महज दो दिन के इलाज के बाद उनकी काउंटिंग 745 पर आ गई। जो बाद में और कम होती चली गई। बंद हो गए दौरे
पेशे से एमआर पवन को वक्त-बेवक्त दौरे पड़ते थे, जिसकी वजह से उसकी नौकरी पर बन आई थी। होम्योपैथ का इलाज स्टार्ट करते ही सीटी स्कैन में उनके सर में स्पॉट नजर आया। स्पॉट के इलाज शुरू होते ही महज कुछ दिनों में उन्हें रिलेक्स हो गया। अब उन्हें दौरा पडऩा बंद हो गया है। मंथ होम्योपैथिक एलोपैथ होम्योपैथ में ज्यादा ओपीडी में पेशेंट ओपीडी में पेशेंट पहुंचे पेशेंट मार्च 43,803 31,273 12,530अप्रैल 38,577 29,321 9,256मई 44,199 29,547 14,652जून 39,460 27,425 12,035होम्योपैथ ओपीडी में बढ़ रहे पेशेंट्स को देखते हुए संसाधन बढऩे चाहिए। हम कम बजट और संसाधनों की कमी से जूझ रहे है। हालांकि हॉस्पिटल में आने वाले सभी पेशेंट्स का बेहतर इलाज किया जा रहा है। - डॉ। जी.सी रायजादा, डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल बरेली पिछले कुछ सालों में बड़े चेंजेस सामने आए हैं। होम्योपैथ में रिसर्च वर्क भी बढ़ा है। पेशेंट््स का रुझान भी पहले की कम्पेरिजन में ज्यादा देखने में आ रहा है। - डॉ सुधांशु आर्य, प्रेसिडेंट, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ होम्योपैथिक फिजीशियन