पेरेंट्स की चूक से आजीवन इलाज का बोझ ढो रहे बच्चे
-बीमारी को समझते नहीं, फिर भी नियमित दवा लेना मजबूरी
-हर साल करीब 20 बच्चे सामने आ रहे हैं एचआईवी पॉजिटिवबरेली. बिना किसी कसूर के उम्र भर का जख्म मिला है उनको। वह इस जख्म का दर्द तो महसूस करते हैं, पर यह जख्म उन्हें कैसे और कब मिला इससे पूरी तरह अंजान हैं। इस कभी न भरने वाले जख्म के दर्द से बचने को नियमित दवा लेना मानो उनकी नियति बन गई है। यह दवा उनके लिए संजीवनी से कम नहीं है। इस दवा की अहमियत को अगर वह समझते हैं तो बस इतना ही कि इस दवा को उनके पेरेंट्स उन्हें खिलाना कभी भूलते नहीं हैं। उन्हें खिलाने के साथ ही इस दवा को वह खुद भी नियमित लेते हैं। बिना किसी कसूर के जिन्हें यह आजीवन का जख्म मिला है और इस जख्म को भरने के लिए ही जो जन्म के बाद से नियमित दवा लेने का कष्ट सह रहे हैं, वह कोई और नहीं बल्कि एचआईवी पॉजिटिव बच्चे हैं। एआरटी सेंटर के डाटा के अनुसार ऐसे बच्चों की संख्या हर साल 20 का आंकड़ा छू रही है। इस वित्त वर्ष में कोरोना के प्रभाव के चलते यह संख्या जरूर कम हुई है।
एचआईवी पॉजिटिव में 5 परसेंट बच्चेडिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के एआरटी सेंटर से मंडल के एचआईवी पॉजिटिव पेशेंट्स जुड़े हुए हैं। इस सेंटर के डाटा के अनुसार वर्ष 2016-17 से लेकर वर्ष 2019-20 तक जितने पॉजिटिव केसेस डिटेक्ट हुए, उनमें करीब पांच परसेंट बच्चे शामिल रहे। वर्ष 2016-17 में कुल 317 पॉजिटिव केसेस आईडेंटिफाई हुए। इनमें बच्चों की संख्या 16 रही। इसी तरह वर्ष 2017-18 में कुल 389 पॉजिटिव केसेस सामने आए और इनमें 19 बच्चे रहे। वर्ष 2018-19 में कुल पॉजिटिव केसेस की संख्या 490 रही और इनमें 26 बच्चे रहे। इसी तरह वर्ष 2019-20 में एआरटी सेंटर में कुल 541 पॉजिटिव केसेस रजिस्टर्ड हुए और इनमें भी 25 बच्चे शामिल रहे।
मेल चाइल्ड अधिक हैं पॉजिटिवएआरटी सेंटर पर विगत चार वर्षो में जितने भी पॉजिटिव बच्चे रजिस्टर्ड हुए उन्हें यह बीमारी उनके पेरेंट्स से बाई बर्थ मिली। इन पॉजिटिव बच्चों में भी मेल चाइल्ड की संख्या फीमल से अधिक है। वर्ष 2016-17 में इनकी कुल संख्या 16 रही। इनमें से 10 मेल तो 6 फीमेल रहे। इसी तरह वर्ष 2017-18 में पॉजिटिव 19 बच्चों में मेल चाइल्ड की संख्या 12 और फीमेल की संख्या 7 रही। वर्ष 2018-19 में 26 बच्चे पॉजिटिव आईडेंटिफाई हुए और इनमें मेल की संख्या 17 और फीमेल चाइल्ड की संख्या 9 रही। वर्ष 2019-20 में एआरटी सेंटर में रजिस्टर्ड हुए 25 पॉजिटिव बच्चों में मेल चाइल्ड की संख्या 13 तो फीमेल की संख्या 12 रही।
वर्ष 2020-21 में 228 पॉजिटिव इस फाइनेंशियल ईयर की बात करें तो कोरोना के चलते एआरटी सेंटर की ओपीडी भी प्रभावित रही। नई जांचें कम होने से नए पॉजिटिव केसेस भी कम आईडेंटिफाई हुए। इसके चलते ही इस ईयर में अब तक यहां कुल 228 एचआईवी पॉजिटिव ही रजिस्टर्ड हैं। इनमें भी मेल व फीमेल चाइल्ड की संख्या 2-2 है। बढ़ रहे हैं ट्रांसजेंडर पेशेंट इस वर्ष भले ही एआरटी सेंटर में रजिस्टर्ड एचआईवी पॉजिटिव केसस की संख्या बीते वर्षो से कम रही हो, पर इनमें ट्रांसजेंडर की संख्या बीते वर्षो से सबसे अधिक है। वर्ष 2016-17 में इनकी संख्या जहां शून्य थी, वहीं वर्ष 2017-18 में इनकी संख्या 2 रही। वर्ष 2018-19 में मात्र एक ट्रांसजेंटर पॉजिटिव इस सेंटर पर रजिस्टर्ड हुआ तो वर्ष 2019-20 में इनकी संख्या पांच तक पहुंच गई। इस वर्ष भी 3 नए केस सामने आ चुके हैं।