जिंदा है तभी मनाते हैं हिंदी दिवस
बरेली (ब्यूरो)। वर्तमान परिवेश में हमारे समाज पर अंग्रेजी हावी होती जा रही है। ऐसे में हिंदी प्रेमियों के अलग-अलग मत हैं। कुछ का मानना है कि हमारी राष्ट्रभाषा केवर्चस्व पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं, वहीं कुछ मानते हैं कि हिंदी का अस्तित्व ऐसा है कि उस पर कभी कोई संकट आ ही नहीं सकता। हिंदी दिवस के अवसर पर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के सभागार में गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें सिटी के विद्वत समाज से जुड़े कई लोगों ने हिस्सा लिया। इसमें हिंदी के वर्तमान और भविष्य को लेकर गहनतापूर्वक परिचर्चा की गई।
दयनीय नहीं हिंदी भाषा
गोष्ठी की शुरूआत मां वीणा को याद करते हुए जीजीआईसी की प्रवक्ता प्रवीणा श्रीवास्तव ने की। उन्होंने कहा कि हमारा सौभाग्य है कि हम ऐसे देश में पैदा हुए, जहां हिंदी जैसी सुगम एवं सुमधुर भाषा बोली जाती है। उन्होंने 1893 में विदेश में आयोजित धर्म सम्मेलन में स्वामी विवेकानंद की स्पीच का भी जिक्र किया। साथ ही कहा कि हिंदी कहीं भी दयनीय नहीं है। हम सभी प्रतिज्ञा लें कि हिंदी को दैनिक जीवन में शामिल करेंगे। हम हिंदी का सम्मान तो करते हैैं, लेकिन उसे यथोचित महत्व नहीं दे पाते। मैकाले चाहते थे कि हिंदी भाषी आगे न बढ़ पाएं। अगर वे आगे बढ़ गए तो विश्व पर राज करेंगे। इस कारण उन्होंने हमें अंग्रेजी का दास बना दिया। बहुत लोग कहते हैैं कि वे हिंदी के साथ सहज नहीं हैं, वे बताएं क्या स्वप्न हिंदी में देखते हैैं। इस बात पर गहन विचार करने की जरूरत है कि आज हमें हिंदी दिवस मनाने की आïवश्यकता क्यों पड़ रही है।
गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए डॉ। राजेश शर्मा ने कहा कि हिंदी पर कोई खतरा नहीं है। यहां विभिन्न भाषाएं बोली जाती हैं। विश्व में हिंदी का क्रेज बढ़ रहा है। सब भाषाओं का सम्मान करें पर हिंदी को न भूलें। यह सही है कि अंग्रेजी व्यावसायिक भाषा है। यह हमें बहुत कुछ देती है। अन्य देशों में भी स्थानीय भाषा के साथ लोग अंग्रेजी सीखते हैैं। अगर अंग्रेजी नहीं आती तो कहीं बाहर जाने पर समस्या होती है। डॉ। राजेश ने कहा कि बरेली और हिंदी को विश्व पटल पर पंडित राधेश्याम कथावाचक ने अलग पहचान दिलाई। उन्होंने राधेश्याम रामायण लिखी, जिसका मंचन राष्ट्रपति भवन, नेपाल एवं देश के अन्य हिस्सों में किया गया।
संस्कृत में दिया परिचय
आंवला के अतरछेड़ी स्थित राजकीय इंटर कॉलेज से आए संस्कृत शिक्षक डॉ। अभिनव भारद्वाज ने संस्कृत में अपना परिचय दिया। साथ ही हिंदी के महत्व पर प्रकाश डाला। प्राइमरी स्कूल हरूनगला से आए शिक्षक जाकिर हुसैन ने बताया कि कैसे वह हिंदी का इस्तेमाल सोशल मीडिया पर स्टूडेंट्स को पढ़ाने में कर रहे हैैं। वह साइंस मॉडल तैयार करते हैैं और उसकी ट्रिक को सोशल मीडिया पर शेयर भी करते हैैं। प्राथमिक विद्यालय हरूनगला की टीचर पूजा गंगवार ने कहा कि हिंदी बोलना आसान है, हम सपने भी हिंदी में ही देखते हैैं। सोचते भी हिंदी में हैैं। शिक्षक सारिका सक्सेना ने हस्ताक्षर अभियान चलाया। गोष्ठी में शामिल सभी लोगों ने हस्ताक्षर किए। उन्होंने कहा कि जो लोग हस्ताक्षर नहीं कर सकते, उन्हें हिंदी में हस्ताक्षर करना सिखाएं। बिसौली के डीआरए कॉलेज की छात्रा रजनी यादव ने देशभक्ति गीत गाकर कार्यक्रम का समापन किया। संचालन एफआर इस्लामिया इंटर कॉलेज से आए फिजिक्स लेक्चरर फरहान अहमद ने किया। इस दौरान खेमलता, प्रतिभा शर्मा, निवेदिता शर्मा, दीपमाला पांडे, पूजा शर्मा, किरन, प्रियंका शुक्ला, पारुल चंद्रा, पूनम, समिता श्रीवास्तव, स्वाति पारशरी, आरिफ खान, आरिफ हुसैन, पप्पू हुसैन, विप्रा शुक्ला, साक्षी यादव, प्रिया पाठक, जाकिर हुसैन, शाशि वाला जौहरी, रश्मि यादव, शिखा आदि शिक्षकों के साथ स्टूडेंट्स भी उपस्थित रहे।