मृतक आश्रित को नौकरी देने में आनाकानी

कोर्ट के दबाव से बढ़ी चिढ़

अब नौकरी न देने का ढूंढ रहे तरीका

BAREILLY:

मृतक आश्रित को तत्काल नौकरी देने का हाईकोर्ट का आदेश डीआईओएस मानने को तैयार नहीं हैं। यही वजह है कि फ् सितम्बर को जारी आदेश टेबल पर धूल फांक रहा है। कोर्ट के आदेश का अनुपालन न किये जाने पर जवाब देते हैं कि पहले यह देख लें कि डाक्यूमेंट में कोई कमी तो नहीं है। इससे उनकी नीयत में खोंट है और स्पष्ट हो रहा है है कि वह कोर्ट के आदेश को दरकिनार करने का रास्ता तलाश रहे हैं।

शादीशुदा होने से नहीं करायी नियुक्ति

पिता के निधन के बाद तरुणा मित्रा ने शिक्षा विभाग में मृतक आश्रित कोटे से नौकरी के लिए आवेदन किया था। डीआईओएस ने तरुणा के आवेदन को यह कहकर खारिज कर दिया था कि वह शादीशुदा है। ऐसे में, वह नौकरी का लाभ नहीं दे सकते हैं। दो टूक जवाब से हैरान तरुणा ने हाईकोर्ट का रुख किया।

क्या है केस बैक ग्राउंड

तरूणा मित्रा के पिता प्रेमनारायण मित्रा आलम गिरी गंज स्थित वेदों जीवनी हायर सेकेंडरी स्कूल में फोर्थ क्लास कर्मचारी थे। उनका निधन बीते क्भ् जून को मुंबई में एक लोकल ट्रेन से हुई दुर्घटना में हो गया था। हादसे में तरुणा की छोटी बहन की भी मौत हो गयी थी। सनद रहे कि तरुणा की मां का निधन कई साल पहले हो चुका है। तरुणा अपने परिवार की इकलौती वारिस बची है। इसी आधार पर तरुणा ने मृतक आश्रित कोटे से नौकरी के लिए आवेदन किया था।

हाईकोर्ट ने तत्काल ज्वाइन कराने का दिया था आदेश

हाईकोर्ट के जज प्रदीप कुमार बघेल ने तरुणा के केस में फ् सिंतबर को डीआईओएस को आदेश जारी किया कि डीआईओएस बिना देर किये पेटिशनर की नियुक्ति करें। आदेश देने से पहले जज ने ख्8 जुलाई ख्0क्ब् को जमुना देवी वर्सेज स्टेट ऑफ यूपी के केस में ऐसे ही फैसले का हवाला भी दिया था।

'हाईकोर्ट के आदेश का अनुपालन करने से पहले वह तरुणा के डाक्यूमेंट की जांच करेंगे। साथ ही, कोर्ट का फैसला नियम के दायरे में होगा, तभी पालन सम्भव होगा.'

डीआईओएस, आशुतोष भारदवाज

Posted By: Inextlive