सिटी में रजिस्टर्ड एंबुलेंस में एक तिहाई से ज्यादा हैं अनफिट खतरे में रहती है मरीजों की जान फिर भी नहीं दे रहे ध्यान आरटीओ के नोटिस का भी एंबुलेंस संचालकों पर नहीं है असर

बरेली (ब्यूरो)। इमरजेंसी में जीवन रक्षक बनकर अस्पताल पहुंचाने वाली कई एंबुलेंस ही यमराज के रूप में सडक़ों पर फर्राटा भर रही हैं। सिटी में चल रही एंबुलेंस में करीब 100 से ज्यादा एंबुलेंस ऐसी हैं जो अनफिट हैं। ऐसी एंबुलेंस ऑपरेटर्स को आरटीओ नोटिस भी जारी कर चुका है। इसके बाद भी एंबुलेंस की फिटनेस नहीं कराई गई। इनमें से कई तो ऐसी एंबुलेंस हैं जो फिटनेस कराने आई ही नहीं है। इसमें सरकारी विभागों की ज्यादा हैं।

नोटिस जारी पर नहीं की कार्रवाई
दैनिक जागरण आईनेक्स्ट में खबर प्रकाशित होने के बाद आरटीओ ने शहर में दौडऩे वाली अनफिट एंबुलेंस के ऑपरेटर्स को दो माह पहले नोटिस जारी किए थे। साथ सरकारी विभागों को भी अनफिट एंबुलेंसों की फिटनेस कराने के लिए नोटिस जारी किए गए। लेकिन अभी तक किसी ने फिटनेस कराने पर ध्यान नहीं दिया है। ऐसे में विभागीय अधिकारियों ने नोटिस जारी कर अपना काम कर दिया। लेकिन उससे आगे की कार्रवाई करने से कतरा रहे हैं। अब अगर तेज रफ्तार में जा रही एंबुलेंस अगर तकनीकी कारणों से अनियंत्रित हो जाए तो मरीज की जान को तो खतरा होगा ही इसके साथ में तीमारदार की भी जिंदगी खतरे में आ सकती है। वहीं एंबुलेंस की फिटनेस के मामले में सख्ती न दिखाना आरटीओ की कार्य प्रणाली पर भी प्रश्नचिन्ह लगाता है।

सरकारी एंबुलेंस भी अनफिट
एआरटीओ (ई) मनोज कुमार ने बताया कि जिले में करीब 85 सरकारी एंबुलेंस रजिस्टर्ड हैं। जिसमें से 30 से ज्यादा ऐसी एंबुलेंस हैं, जिनकी काफी समय से फिटनेस नहीं कराई गई है। किसी एंबुलेंस की छह माह तो किसी की पांच वर्ष से फिटनेस नहीं हुई है। ये एंबुलेंस सडक़ों पर दौड़ रही हैं या नहीं। इसकी भी जानकारी किसी को नहीं है।

कई हॉस्पिटलों की एंबुलेंस भी शामिल
सिटी की सडक़ों पर दौड़ रहीं अनफिट एंबुलेंसों में कई ऐसे हॉस्पिटलों की हैं, जो मरीजों को बेस्ट ट्रीटमेंट के साथ ही उनको बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने का दावा करते हैं। बड़ी बात यह है कि आरटीओ ने इन हॉस्पिटलों को नोटिस भी दी, लेकिन उन्होंने नजरअंदाज कर कर दिया है।

आउटर से लाए जाते हैं मरीज
डीडीपुरम, पीलीभीत बाइपास रोड पर सैकड़ों की संख्या में खुले हॉस्पिटलों में प्रतिदिन आउटर से मरीजों को लाया और ले जाया जाता है। जो एंबुलेंस मरीजों को लाने और पहुंचाने में लगी हैं, उनमें से कई अनफिट हैं। ऐसे में सडक़ों पर चलना यमराज से कम नहीं है। इन एंबुलेंस से सिटी के आउटर से मरीजों को शहर के बड़े अस्पतालों में लाने का काम होता है। ग्रामीण इलाकों में यह एंबुलेंस पहले मरीज को दुकानों में चल रहे नर्सिंग होम ले जाती हैं। जहां से मरीज को सिटी के बड़े अस्पतालों में इन एंबुलेस से ही रेफर किया जाता है।

फिटनेस में इनकी होती है जांच
-एंबुलेंस के डॉक्यूमेंट चेक होते हैं
-टेक्निकल जांच की जाती है
-बैक व फ्रंट लाइट की जांच होती है
-रेडियम टेप की भी जांच होती है
-एंबुलेंस के टेक्निकल पाट्र्स चेक होते हैं
-एंबुलेंस की रियल स्थिति देखकर जांच की जाती है

फैक्ट एंड फिगर
85 एंबुलेंस सरकारी हैं जिले में
30 से ज्यादा एंबुलेंस अनफिट
282 के करीब प्राइवेट एंबुलेंस रजिस्टर्ड हैं आरटीओ में
85 एंबुलेंस की नहीं कराई फिटनेस
02 माह पहले आरटीओ से जारी किए जा चुके हैं नोटिस

वर्जन
शहर में रजिस्टर्ड सरकारी व प्राइवेट एंबुलेंस में काफी संख्या में अनफिट हैं। उन्हें नोटिस जारी किया गया था। फिटनेस दूसरी जगह होती है। जिन्होंने नोटिस जारी होने के बाद भी अभी तक फिटनेस नहीं कराई है। उनके खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
मनोज कुमार, एआरटीओ (ई)

Posted By: Inextlive