हीमोग्लोबिन 5.8 ग्राम, इलाज से मिला जीवनदान
बरेली(ब्यूरो)। करेली के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ। शुचिता ने बताया कि 26 फरवरी 2022 को आशा कार्यकर्ता कमलेश शर्मा करगैना निवासी गर्भवती शहनाज को लेकर आई थी। वह उस वक्त सात माह की गर्भवती थी। उसके शरीर में बहुत सूजन और पेट में दर्द था। जांच में पता चला कि शहनाज का हीमोग्लोबिन 5.8 ग्राम है।
प्रेगनेंसी में की देखभाल
जोखिम गर्भावस्था को देखते हुए तुरंत ही उसको आयरन, सुक्रोज की आठ डोज देने का निर्णय लिया। इसके साथ ही शहनाज को पौष्टिक भोजन जैसे गुड़ चना, पालक, चुकंदर, खजूर खाने की सलाह दी। एक महीने बाद शहनाज का हीमोग्लोबिन बढक़र आठ ग्राम हो गया था। 23 मार्च को स्टाफ नर्स अमिता पाठक ने मीरा राजपूत के साथ सामान्य प्रसव कराया, जिसमें दो किलोग्राम के स्वस्थ बच्चे ने जन्म लिया।
हैमरेज की होती है संभावना
उन्होंने बताया कि बच्चा थोड़ा कमजोर था। लेकिन उसे जिला अस्पताल भेजने की जरूरत नहीं पड़ी। डॉक्टर शुचिता गंगवार ने बताया एनीमिया से ग्रसित गर्भवती महिलाओं में पोस्टपार्टम हैमरेज की संभावना रहती है। जब महिला के शरीर में हिमोग्लोबिन की कमी होती है और प्रसव के वक्त होने वाले रक्त स्त्राव में महिला की मृत्यु की संभावना बढ़ जाती है। यह खतरा तब और बढ़ जाता है जब घर में प्रसव होता है।
आशा कमलेश के मुताबिक शहनाज अपनी मां मैनाज के घर के पास ही रहती है। बच्चे का वजन कम होने पर शहनाज को कंगारू मदर केयर के बारे में बताया गया था और वह रोज तीन से चार घंटे अपने बच्चे को सीने से लगाकर अपने शरीर की गर्मी से बच्चे की देखभाल करती थी। एक महीने में बच्चे का वजन ढाई किलो हो गया। शहनाज के अब तीन बच्चे हैं। उसे नसबंदी कराने की सलाह दी गई है। शहनाज बचपन से ही है मूक बधिर
मैनाज ने बताया कि शहनाज बचपन से ही बोल सुन नहीं सकती थी। इसलिए सात साल की उम्र से ही उसे मूक बधिर के स्कूल में भर्ती कराया था। वह इशारों की भाषा अच्छी तरह समझती है और घर का
काम व अपने बच्चों की देखभाल आसानी से कर लेती है। उसके पति अखलाक मजदूर है। जिनके कारण उसकी पारिवारिक स्थिति अच्छी नहीं है। उन्होंने बताया कि आशा कार्यकर्ता और डॉक्टर ने उनकी बहुत मदद की जिसके कारण उनकी बेटी का बच्चा अब पूरी तरह स्वस्थ है।
क्यों मनाते हैैं मातृत्व दिवस
कस्तूरबा गांधी के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में हर साल 11 अप्रैल को राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य है कि गर्भवती महिलाओ की उचित देखभाल की जा सके। उनकी मृत्यु दर को कम किया जाए, पूरे विश्व में भारत पहला देश है, जिसने राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस की घोषणा की थी