आसमां में मत ढूंढों सपनों को..
-हर्षोल्लास से मनाई गई हार्टमन की गोल्डन जुबली
-गवर्नर ने स्टूडेंट्स को दी छात्र धर्म के पालन की सीख -सम्मान पाकर खिले मेधावियों के चेहरे, टीचर्स को भी किया गया सम्मानित फोटो क्चन्क्त्रश्वढ्ढरुरुङ्घ हार्टमन कॉलेज के 50 साल पूरे होने पर गोल्डन जुबली का प्रोग्राम धूमधाम से मनाया गया। प्रोग्राम का शुभारंभ चीफ गेस्ट गवर्नर राम नाईक ने किया। उन्होंने मंच से स्टूडेंट्स को सफलता के टिप्स दिए। साथ ही, उन्हें स्टूडेंट धर्म के पालन की नसीहत दी। कॉलेज के मेधावियों को गवर्नर ने ट्रॉफी देकर सम्मानित किया। बच्चों ने मोहा मनथर्सडे को शुरू हुए दो दिवसीय प्रोग्राम के पहले दिन स्टूडेंट्स ने टैलेंट दिखाया। उन्होंने नाटक के माध्यम से अशिक्षा और अंधविश्वास से होने वाली क्षति के बारे में बताते हुए उनसे दूर रहने का संदेश दिया। साथ ही, पर्यावरण की रक्षा के लिए पौध संरक्षण की सीख दी। स्टूडेंट्स ने नाटक के जरिए बताया कि पेड़-पौधों का संरक्षण नहीं किया गया, तो धरती पर जीवन दुर्लभ हो जाएगा। इसके साथ ही स्टूडेंट्स ने राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, कश्मीर, महाराष्ट्र, उड़ीसा का लोक नृत्य प्रस्तुत किया। इसके बाद गवर्नर राम नाईक ने मंच पर मेधावियों का सम्मान किया। उन्होंने श्रेय जुनेजा और एश्वर्या प्रसाद को स्टूडेंट ऑफ द ईयर का पुरस्कार दिया। क्लास नौ के शजरुल इस्लाम, क्लास सात छात्र मोहम्मद जैद और क्लास चार के मोहम्मद मिकदाम को शत-प्रतिशत अटेंडेंस पर लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार दिया गया। इसके अलावा बेहतर शिक्षण कार्य करने वाले टीचर्स का गवर्नर ने सम्मान किया। कार्यक्रम का संचालन कर रही टीचर ने जोशीली पंक्तियां 'आसमां में मत ढूंढों सपनों को, सपनों को धरती जरूरी हैसुनाकर माहौल को खुशनुमा बना दिया। इस मौके फादर डिग्नेसियस डिसूजा, प्रिंसिपल हरमन मिंज, टीचर शालिनी जुनेजा और अंजू आदि मौजूद रहे।
क्या हिन्दी में बोल सकता हूंमेधावियों के सम्मान के लिए जब गवर्नर को मंच पर बुलाया गया, तो उन्होंने स्टूडेंट्स को संबोधित करने से पहले मंच पर चुटकी लेते हुए कहा कि 'क्या मैं हिन्दी में बोल सकता हूं' इस पर दर्शकों ने तालियां बजाकर स्वागत किया। उन्होंने कहा कि मैं अंग्रेजी में बोलता तो और ज्यादा गलती करता। वहीं, हिन्दी में बोलने पर कम गलती करूंगा। क्योंकि हिन्दी मेरी मातृभाषा है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जिस तरह मूर्तिकार मूर्ति बनाने के लिए मिट्टी में पानी मिलाता है, उसे रौंदता हैं। उसके बाद एक बेहतरीन मूर्ति बनाता है। उसी तरह टीचर्स एक कुशल मूर्तिकार हैं। उन्होंने स्टूडेंट्स को किताबी कीड़े बनने की बजाय एक्स्ट्रा एक्टिविटी में बढ़चढ़ कर भाग लेने की नसीहत दी।